उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्तिथ फास्ट ट्रेक कोर्ट नंबर ७ के सामने सरकार बनाम गुलजार अहमद वानी के गवाह शिबली बेग का अपहरण पुलिस विभाग के एक दरोगा व सिपाही ने कर लिया। आज सरकार बनाम गुलजार अहमद वानी के केस में गवाह शिबली बेग गवाही देने के लिये उपस्थित हुआ किन्तु पुलिस वालों की तरफ से झूठी गवाही न देने के लिये बात जैसे सामने आई वैसे ही अज्ञात पुलिस वालों ने उसका अपहरण कर लिया इससे कचेहरी परिसर में सनसनी फ़ेल गयी। मामला यह है कि 15 अगस्त 2000 में लखनऊ के सहकारिता भवन के पास बम विस्फोट कांड में पुलिस वालों ने शिबली बेग को गवाह रखा था। इसी मुक़दमे के अन्य अभियुक्त कलीम अख्तर के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने उसको पेश किया तो वह पक्षद्रोही हो गया था और उसने कलीम अख्तर के खिलाफ झूठी गवाही देने से साफ़ मना कर दिया था और अब अभियोजन पक्ष ने उसी केस के अभियुक्त गुलजार अहमद वानी के खिलाफ झूठी गवाही देने के लिये बाध्य किया और उसके मना करने पर उसका अन्य पुलिस वालों द्वारा अपहरण करा दिया गया। गुलजार अहमद वानी अधिवक्ता मोहम्मद शोएब ने न्यायालय श्रीमान फास्ट ट्रक कोर्ट नंबर 7 को इस घटना का प्रार्थना पत्र दिया तो न्यायालय ने थाना कैसरबाग से रिपोर्ट मांगी है।
पुलिस महानिदेशक जी उत्तर प्रदेश में बिगडती हुई कानून व्यवस्था को कैसे पटरी पर लाओगे। अगर पुलिस बल ही नियमो और उपनियमो का पालन नही करेगी तो जनता का विश्वास कैसे हासिल करेगी। गवाह का अपहरण किये जाने की घटना कि बात से यह साबित हो रहा है की पुलिस विभाग का न्यायालयों के प्रति न तो सम्मान है और न ही उनके द्वारा किये जा रहे इन्साफ में विश्वास है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
पुलिस महानिदेशक जी उत्तर प्रदेश में बिगडती हुई कानून व्यवस्था को कैसे पटरी पर लाओगे। अगर पुलिस बल ही नियमो और उपनियमो का पालन नही करेगी तो जनता का विश्वास कैसे हासिल करेगी। गवाह का अपहरण किये जाने की घटना कि बात से यह साबित हो रहा है की पुलिस विभाग का न्यायालयों के प्रति न तो सम्मान है और न ही उनके द्वारा किये जा रहे इन्साफ में विश्वास है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
1 टिप्पणी:
बाड़ ही खेत को खा रही है?
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