कचेहरी परिसर में आए हुए अबरार अहमद ने कहा कि "सुभाष चन्द्र कुशवाहा ए.आर.टी.ओ काहे का साहित्यकार है अपने भ्रष्टाचार का छिपावे के लिये बहुरुपिया साहित्यकार बनत है। बाबू जी अइसन कौनो साहित्यकार होत हैं। साहित्यकार बहुत उच्च चरित्र वाला आदमी होत है। उके लिखे से नवा समाज पैदा होत है। नयी पीढ़ी कै चरित्र निर्माण होत है।" यह कहते हुए अबरार ने ए.आर.टी.ओ व महान साहित्यकार सुभाष चन्द्र कुशवाहा को बताया की वह तो लुटेरा है और अंतर्गत धारा 147,148, 392, 323, 504, 506 आइ.पी.सी का मुकदमा कप्तान के आदेश से दर्ज हुआ था। श्री अबरार ने बताया की बाराबंकी कचेहरी में श्रीमान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहाँ वकीलों ने इसको बंधक बना लिया था जिसकी खबर 16 जुलाई 2008 को अमर उजाला में " गुस्साए वकीलों ने ए.आर.टी.ओ को कोर्ट में बंधक बनाया" जागरण ने लिखा था " न्यायालय गए ए.आर.टी.ओ से बदसलूकी" राष्ट्रीय सहारा ने " गवाही देने आये ए.आर.टी.ओ को वकीलों ने घेरा" हिंदुस्तान ने शीर्षक लगाया था "पेशी पर आये ए.आर.टी.ओ की घेरा" । उन्होंने बताया कि जिला जज, ए.डी.एम, एस.डी.एम व कोतवाल साहब जब आये तब काफी मिन्नत के बाद इस साहित्यकार को छुड़ा कर ले गए थे। इस समय ए.आर.टी.ओ आफिस बाराबंकी में ए.आर.टी.ओ प्रशासन छंगालाल, वीरेन्द्र प्रताप शाही, दल कुमार सिंह, आर.पी सिंह, ब्रिजेन्द्र चौधरी को शासन ने निलंबित कर दिया है यह लोग साहित्यकार के दिशानिर्देशन में बसों का टैक्स जमा नहीं होता था और फिटनेस जारी की जाती थी। इस बड़े घोटाले में सभी लोग शामिल थे। एन.एच.आर.एम घोटाले में अधिकांश खरीदी गई गाड़ियों का पंजीकरण बाराबंकी ए.आर.टी.ओ दफ्तर में ही हुआ है।मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012
काहे का साहित्यकार है: सुभाष चन्द्र कुशवाहा
कचेहरी परिसर में आए हुए अबरार अहमद ने कहा कि "सुभाष चन्द्र कुशवाहा ए.आर.टी.ओ काहे का साहित्यकार है अपने भ्रष्टाचार का छिपावे के लिये बहुरुपिया साहित्यकार बनत है। बाबू जी अइसन कौनो साहित्यकार होत हैं। साहित्यकार बहुत उच्च चरित्र वाला आदमी होत है। उके लिखे से नवा समाज पैदा होत है। नयी पीढ़ी कै चरित्र निर्माण होत है।" यह कहते हुए अबरार ने ए.आर.टी.ओ व महान साहित्यकार सुभाष चन्द्र कुशवाहा को बताया की वह तो लुटेरा है और अंतर्गत धारा 147,148, 392, 323, 504, 506 आइ.पी.सी का मुकदमा कप्तान के आदेश से दर्ज हुआ था। श्री अबरार ने बताया की बाराबंकी कचेहरी में श्रीमान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहाँ वकीलों ने इसको बंधक बना लिया था जिसकी खबर 16 जुलाई 2008 को अमर उजाला में " गुस्साए वकीलों ने ए.आर.टी.ओ को कोर्ट में बंधक बनाया" जागरण ने लिखा था " न्यायालय गए ए.आर.टी.ओ से बदसलूकी" राष्ट्रीय सहारा ने " गवाही देने आये ए.आर.टी.ओ को वकीलों ने घेरा" हिंदुस्तान ने शीर्षक लगाया था "पेशी पर आये ए.आर.टी.ओ की घेरा" । उन्होंने बताया कि जिला जज, ए.डी.एम, एस.डी.एम व कोतवाल साहब जब आये तब काफी मिन्नत के बाद इस साहित्यकार को छुड़ा कर ले गए थे। इस समय ए.आर.टी.ओ आफिस बाराबंकी में ए.आर.टी.ओ प्रशासन छंगालाल, वीरेन्द्र प्रताप शाही, दल कुमार सिंह, आर.पी सिंह, ब्रिजेन्द्र चौधरी को शासन ने निलंबित कर दिया है यह लोग साहित्यकार के दिशानिर्देशन में बसों का टैक्स जमा नहीं होता था और फिटनेस जारी की जाती थी। इस बड़े घोटाले में सभी लोग शामिल थे। एन.एच.आर.एम घोटाले में अधिकांश खरीदी गई गाड़ियों का पंजीकरण बाराबंकी ए.आर.टी.ओ दफ्तर में ही हुआ है।
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4 टिप्पणियां:
hridaysparshee...samachar prakashit karane ke lie aabhar.
yh kisne afwaah phaila di hai ki sahitykaar bahut uchch charitr wala hota hai ?
HAIRTANGEJ
अरे आजकल .जाने कितने .पुलिस वाले , आर टीओ, थानेदार, पत्रकार, आई ए एस , अफ़सर ...सभी अपनी अपनी पहुंच के बल पर अपनी रचनायें ..किताबें छपवाकर...अपने विभागों को , मातहतों को किताबें बेच कर साहित्यकार बने हुए हैं ....ब्लोगरों में भी तो यही हाल है....। यह तो धन्धा है साहित्यकार किस बात के .....
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