भारत गुट निरपेक्ष आन्दोलन का अध्यक्ष और नेता भी रहा है। छोटे-छोटे जन गणों की आशा का संचार केंद्र रहा है। पता नहीं कब भारत अमेरिकी साम्राज्यवाद का पिट्ठू हो गया है। जैसे बहरीन से लेकर तमाम सारे छोटे छोटे देशों में अमरीकियों ने जेलखाने सी.आई.ए के अड्डे, सैनिक अड्डे बना कर उनकी संप्रभुता का हनन कर लिया है। यह उसी तरह का खतरा है जैसे विधिक अधिकार पत्र के द्वारा सर टामस रो को मुग़लकालीन भारत में व्यापार करने की अनुमति मिली थी और अंत में तिगडम ताल करके भारत को ब्रिटिश आधीन भारत के रूप में परिवर्तित कर दिया था। अभी मालदीव में जो परिवर्तन हुए हैं इस समाचार के आने के बाद यह पुष्टि होती है कि वहां के सत्ता परिवर्तन में अमेरिकी साम्राज्यवादियों का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष हाथ जरूर है।
हमारे देश में तो अमरीकी साम्राज्यवादियों के पैसे से पलने वाले एन.जी.ओ से लेकर राजनीतिक दल तक हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ दल में इतना नैतिक साहस भी नहीं था कि वह खुलेआम इस कृत्य को जनता के बीच में ले जाती।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
हमारे देश में तो अमरीकी साम्राज्यवादियों के पैसे से पलने वाले एन.जी.ओ से लेकर राजनीतिक दल तक हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ दल में इतना नैतिक साहस भी नहीं था कि वह खुलेआम इस कृत्य को जनता के बीच में ले जाती।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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