गुरुवार, 21 जून 2012

जिए मोरे राजा




सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठे लोग जिसपे राज करते है जिनके बदौलत वे है | कभी भी नही चाहते की वे कही से सुखी रहे वे हर पल किल्लत की जिन्दगी जिए अभाव में रहे ताकि निरीह बनके सत्ता के आगे नतमस्तक रहे विजयदान देथा की कहानी पर आधारित नाटक '' जिए मोरे राजा '' जिसकी परिकल्पना और निर्देशन अभिषेक पंडित द्वारा स्मृति भवन के प्रागण में किया गया |
निर्देशक ने अपनी कल्पना शीलता से पूरी कहानी के धार को उसी तरह प्रस्तुत किया इस नाटक की यह सबसे ख़ास बात रही की किसी भी कहानी के अभिव्यक्ति पूरी इमानदारी से ज़िंदा रहे | नर्देशक ने यह कार्य बखूबी किया |
नाटक का मूल की किसी राज्य में एक राजा था | जो अपने समान किसी को न
सुन्दर देखना पसंद करता न ही अपने समान किसी दूसरे को बुद्धिमान देखना पसंद करता | उसके बड़े अजीब शौक थे वो दरबारियों को जानवरों की तरह चलते और बोलते देखना पसंद करता | नाटक आज के वर्तमान संदर्भ को जो शासन सत्ता और तीजो का मिलन पर्व इस पूरी दुनिया में चल रहा है उसपे जबर्दस्त प्रहार करता दिखता है नाटक के एक एक संवाद दर्शको को महसूस करा रहा था की यह नाटक तो उनके जीवन के रोज मर्रा के घटते समस्यों की ओर इंगित करता है | आज के हालात पर करारी चोट करता जिए मोरे राजा आम आवाम को यह बता गया की देश में कोई भी सत्ता हो उसमे जीने वाला आम आदमी सत्ता शासन के लिए सिर्फ जानवर का महत्व रखता है मानव का नही इस नाटक की एक और विशेता रही की इसमें सारे पात्र साकेतिक थे और उन जानवरों के माध्यम से सत्ता में बैठे लोग क्या नीतिया बनाते है और उसका अनुपालन करने में कैसे बंदर बाट होती है जनता द्वारा दिए गये पैसे का और जनता के सुख सुविधा के लिए मिले पैसे को शासन और सत्ता के लोग मिलबाट कर कैसे हजम कर जाते है इसको निर्देश ने बड़ी ही सफलता से कहा नाटक के पात्र सूत्रधार के रूप में वैदेही मिश्रा ने अपनी भूमिका से पूरे नाटक को बांधे रखा वैदेही के अभिनय में जबर्दस्त ऊर्जा देखने को मिली इसके साथ ही राजा के रूप में मनन पाण्डेय ने सार्थक भूका निभाई मंत्री वर्षम सिंह द्वारा आज के सबसे चाटुकार मंत्री के किरदार में अपने अभिनय की क्षमता का प्रदर्शन किया और इस नाटक के वे छोटे तीन कठपुतली मैत्री तिवारी ,रिद्दी पाण्डेय तमन्ना यादव ने अपने अभिनय द्वारा यह साबित कर दिया की वे आने वाले कल में एक शानदार कलकार होंगे उनके अभिनय की गति से कही भी यह नही लगा की ये मात्र ८ साल की बच्चिया इन पात्रो को निभा रही है | अपने सशक्त अभिनय द्वारा उन्होनेह साबित भी किया की इस नाटक को निर्देशित करने वाले अभिषेक पंडित के पास इस क्षेत्र में कितना ऊर्जा है | नाटक का संगीत पक्ष भी काफी मजबूत रहा जिससे नाटक पूरे समय तक दर्शको को बांधे रखा नाटक की पूर्ण सफलता यही है की दर्शक अन्त तक नाटक से बंधा रहे | सब मिलाकर सूत्रधार संस्था की यह १०३ वी प्रस्तुती यह बता गयी की अगर आपमें जूनून हो तो आप आसमान से तारे तोड़ सकते है बस एक पहल की जरूरत है |नाटक के पात्र वैदेही मिश्रा , मनन पाण्डेय , वर्षम सिंह ईशान पाण्डेय , बलबीर पाठक , दीपक विश्वकर्मा , आरुल अभिषेक , मैत्री तिवारी , रिद्दी पाण्डेय , तमन्ना यादव ,यशस्वी वशिष्ठ , पार्थ यादव , शुभाकर पाण्डेय , अंगद निषाद , दिव्यांश यादव ,अभिनय अभिषेक ................................कबीर
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