हम विद्या की अर्जना , निरंतर करते रहते हैं।
हमको है विद्यालय प्यारा।
सब मित्रों से भाई-चारा।।
गुरु, गौरव, गरिमा, गूढ़ ह्रदय में धरते रहते हैं।।1।।
सदा ज्ञान का दीप जलाये,
हम रहते प्रकाश फैलाये।
माँ सरस्वती का ध्यान, धीर बन धरते रहते हैं।।2।।
विद्यालय में हुआ दुबारा,
वर-विवेक-मय जन्तर हमारा।
यही "पथिक" पथ पूर्ण सुजन आदरते रहते हैं।।3।।
-गुरु प्रसाद सिंह मृगेश
-गुरु प्रसाद सिंह मृगेश
बी .एल . यादव "पथिक"
ग्राम व पोस्ट- बडेल
जिला- बाराबंकी
मो- 9795180883
5 टिप्पणियां:
बढ़िया है भाई-
मवई चौराहा -
से-
उत्तम रचना।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
अर्थ गर्भित नव भाषिक प्रयोग लिए अभिनव रचना सुन्दर ,मनोहर .
शुक्रवार, 7 सितम्बर 2012
शब्दार्थ ,व्याप्ति और विस्तार :काइरोप्रेक्टिक
आज 09/09/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
एक टिप्पणी भेजें