शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

विद्यार्थी


हम विद्या की अर्जना  , निरंतर करते रहते हैं।

             हमको है विद्यालय प्यारा।
              सब मित्रों से भाई-चारा।।

गुरु, गौरव, गरिमा, गूढ़ ह्रदय में धरते रहते हैं।।1।।

              सदा ज्ञान का दीप जलाये,
               हम रहते प्रकाश फैलाये।

माँ सरस्वती का ध्यान, धीर बन धरते रहते हैं।।2।।

              विद्यालय में हुआ दुबारा,
              वर-विवेक-मय जन्तर हमारा।

यही "पथिक" पथ पूर्ण सुजन आदरते रहते हैं।।3।। 
                                                                                                                             -गुरु प्रसाद सिंह मृगेश

बी .एल . यादव "पथिक"
ग्राम व पोस्ट- बडेल 
जिला- बाराबंकी 
मो- 9795180883

5 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बढ़िया है भाई-
मवई चौराहा -
से-

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

उत्तम रचना।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,

virendra sharma ने कहा…

अर्थ गर्भित नव भाषिक प्रयोग लिए अभिनव रचना सुन्दर ,मनोहर .
शुक्रवार, 7 सितम्बर 2012
शब्दार्थ ,व्याप्ति और विस्तार :काइरोप्रेक्टिक

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आज 09/09/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

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