सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

निवेशकोंकी पहली पसंद उग्र हिंदुत्व


 निवेशकोंकी पहली पसंद उग्र हिंदुत्व, बाजार के लिए पूरे देश को अब गुजरात बनाने की तैयारी!

पहले चरण के आर्थिक सुधारों का इतिहास उग्र धर्मोन्माद की कथा है, तो जाहिर है कि दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों के लिए फिर इतिहास दुहराया जाना है। आडवाणी की रथयात्रा ने बाजार का अश्वमेध शुरू किया तो फिर भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में बुरीतरह फंसे भाजपा अध्यक्ष नितिनगडकरी की जगह फिर लौहपुरूष लालकृष्ण आडवाणी संघ परिवार की राजनैतिक कमान संभालने जा रहे हैं।  नरेंद्र मोदी तो संघ परिवार की ओर से प्रधानमंत्रित्व का सबसे उजला चेहरा पेश है ही, जिसे अब अमेरिका, इजराइल और इंग्लैंड का अनुमोदन भी मिल गया है। इस मिशन को कामयाब बनाने में बाजार और मीडिया की तमाम ताकतें एकजुट हैं।बाजार को नैतिकता की कितनी परवाह है? ।बाजार की ही महिमा अपरंपार है कि जहां हर युवती के लिए उसकी वर्जिनिटी जिंदगी से भी कीमती चीज होती है, वहीं एक युवती ने खुलेआम इसका सौदा किया है। उसने चैरिटी के लिए अपनी वर्जिनिटी की बोली लगाई है। मजे की बात यह है कि इस नीलामी में एक भारतीय ने जापानी व्यक्ति को तगड़ी चुनौती पेश की है। मगर बाजी जापानी व्यक्ति के हाथ ही लगी।
 खुले बाजार की व्यवस्था में नैतिकता गैरप्रासंगिक है। नैतिकता सिखाने वाले धर्म भी दरअसल एक अर्थव्यवस्था है। बहिष्कार, अलगाव और नरसंहार की अर्तव्यवस्था। इसलिए अनुदार, सांप्रदायिक धर्मांध राष्ट्रवाद खुले बाजार के लिए सर्वोत्तम परिवेश का निर्माण करता है।पहले चरण के आर्थिक सुधारों का इतिहास उग्र धर्मोन्माद की कथा है, तो जाहिर है कि दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों के लिए फिर इतिहास दुहराया जाना है। आडवाणी की रथयात्रा ने बाजार का अश्वमेध शुरू किया तो फिर भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में बुरीतरह फंसे भाजपा अध्यक्ष नितिनगडकरी की जगह फिर लौहपुरूष लालकृष्ण आडवाणी संघ परिवार की राजनैतिक कमान संभालने जा रहे हैं। इसी बीच पता चला है कि निवेशकों की पहली पसंद उग्र हिंदुत्व है। बाजार के लिए पूरे देश को अब गुजरात बनाने की तैयारी है। कांग्रेस के फ्लाप शो के मुकाबले मीडिया औरकारपोरेट इंडिया ने भ्रष्टाचार विरोधी बवंडर खड़ा करके दुबारा आडवाणी की ताजपोशी का रास्ता साफ कर दिया है। नरेंद्र मोदी तो संघ परिवार की ओर से प्रधानमंत्रित्व का सबसे उजला चेहरा पेश है ही, जिसे अब अमेरिका, इजराइल और इंग्लैंड का अनुमोदन भी मिल गया है। इस मिशन को कामयाब बनाने में बाजार और मीडिया की तमाम ताकतें एकजुट हैं।बाबरी विध्वंस के लिए कुख्यात कल्याण सिंह की भी भाजपा मे वापसी तय है। उमा भारती की घर वापसी हो चुकी है। अटल बिहारीवाजपेयी मार्का उदारता और धर्मनिरपेक्षता का चोला उतारकर संघ परिवार भाजपा की नये सिरे से उग्र हिंदुत्व ब्रांडिंग में लगी है।असम का ट्रेलर चल ही चुका है।कास खबर यह है कि गुजरात में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार के संबंधों में अटकलों पर विराम लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि अपनी पूर्व की व्यस्तताओं के मद्देनजर वह चुनाव प्रचार करने गुजरात नहीं जा पायेंगे।जाहिर है कि सत्ता में भागेदारी भारी बला है। राजग के वर्तमान और भावी सहयोगियों ने भी उग्र हिंदुत्व का दामन थाम लेने में बेहतर भविष्य देख रहे हैं। बाबरी मस्जिद विध्वंस तथा देशव्यापी सांप्रदायिक दंगों के बाद मिली चुनावी सफलता के कारण इस स्व-आविष्कारित हिंदुत्व को उग्र हिंदुत्व के नाम से मान्यता प्रदान कर दी गई तथा इसे सत्ता प्राप्ति का मूल मंत्र मान लिया गया ।असल में, भाजपा जिस उग्र हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की वैचारिकी पर आधारित राजनीति करती है, उसमें उसके पास दागियों को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुखौटे के पीछे छुपाने की अवसरवादी सुविधा है।

निवेश आकर्षित करने के मामले में गुजरात देश के अन्य राज्यों से आगे रहा है। उद्योग मंडल एसोचैम के सर्वेक्षण के अनुसार, जून, 2012 के अंत तक गुजरात को 14.8 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले।सर्वेक्षण में कहा गया है कि गुजरात के वित्त, विनिर्माण, रीयल एस्टेट तथा सिंचाई क्षेत्र में निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि निजी निवेश का प्रवाह निवेश अवसरों के आकर्षण पर निर्भर करता है। यह मुख्य रूप से मुनाफे को देखकर तय किया जाता है।एसोचैम के अध्ययन में कहा गया है कि जून, 2012 तक देश के विभिन्न राज्यों को कुल 140 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले। इसमें 14.8 लाख करोड़ रुपये के साथ गुजरात की हिस्सेदारी 10.6 फीसद रही।गुजरात को मिले कुल निवेश प्रस्तावों में से 10.3 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव निजी क्षेत्र को तथा 4.5 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव सरकारी क्षेत्र को प्राप्त हुए हैं।दूसरी ओर, इस साल जून तक राबर्ट वाड्रा की वजह से चर्चा में आये हरियाणा में हुए कुल 4.5 लाख करोड़ रुपये निवेश में निजी क्षेत्र की भागीदारी करीब 87 प्रतिशत रही है। यह बात एसोचैम के एक विश्लेषण में सामने आई है। निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने में झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश अन्य अग्रणी राज्य हैं। इन राज्यों में होने वाले कुल निवेश में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक होती है। भारत में हुए कुल निजी निवेश में हरियाणा की हिस्सेदारी 4.8 प्रतिशत से अधिक रही है।


गुजरात विधानसभा के चुनाव अपने दम पर लड़ने की घोषणा करनेवाले एनडीए के घटक दल जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने वड़ोदरा में आयोजित पत्रकार परिषद में केन्द्र सरकार पर कड़े प्रहार करते हुए कहा कि देश के कुल वार्षिक बजट से आधी रकम का भ्रष्टाचार हुआ है। नरेन्द्र मोदी के बारे में पूछे गए सवाल का टालते हुए शरद यादव ने कहा कि वे किसी व्यक्ति के बारे में बयानबाजी नहीं करेंगे। उन्होंने नरेन्द्र मोदी और नितिश कुमार से सम्बंधित किसी भी प्रश्नों का इंकार देते हुए स्पष्ट किया कि जेडीयू गुजरात में किसी के साथ गठबंध नहीं करेगा। उन्होंने गुजरात में आदिवासियों की स्थिति को खराब बताते हुए कहा कि जेडीयू उनके हितों को प्राथमिकता देगा।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोपों और उनके इस्तीपेâ के बारे में सवाल के जवाब में शरद यादव ने कहा कि गडकरी पहले ही स्वयं जांच की मांग कर चुके हैं और जांच शुरू भी हो चुकी है। पत्रकार परिषद में जेडीयू के गुजरात प्रभारी गिरिराज सिंघवी और झगडिया के जेडीयू विधायक छोटूभाई वसावा समेत अन्य पार्टी नेता उपस्थित रहे।

ब्रिटेन के एक प्रमुख समाचार पत्र ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संबंध जोड़ने का निर्णय करने पर ब्रिटेन और अन्य देशों को सलाह देते हुए आज लिखा है कि उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए की पुनर्वास वर्ष 2002 के नरसंहार में आग में घी का काम करने वाले वर्चस्ववाद से प्रेरित राष्ट्रवाद जैसी चीजों के लिए लाइसेंस नहीं है। अपने संपादकीय में कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए फाइनेंशियल टाइम्सने कहा है कि इस वक्त (मोदी के साथ काम करने के ब्रिटेन के निर्णय) पर बड़ा सवालिया निशान है यह ऐसे वक्त पर हुआ है जब दिसंबर में गुजरात में चुनाव होने वाले हैं और उनमें मोदी के जीत की संभावनाएं प्रबल हैं। अखबार ने लिखा है कि उनकी नई अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता से मोदी का बहुमत बढ़ सकता है। पहचान भारत में वर्ष 2014 में होने वाले आम चुनावों में भी उनकी संभावनाओं को बढ़ा सकता है, जहां उन्हें संभावित प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। इस संपादकीय का शीषर्क थागुजरात का शर्म, पुनर्वास मोदी सरकार को दोष मुक्त नहीं करती अखबार ने लिखा है कि मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री, भारत के सबसे सक्रिय और उद्योग-समर्थकों में से एक हैं। लेकिन 10 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनसे किनारा किया जा रहा है क्योंकि वह एक क्षेत्रीय सरकार के हिन्दू राष्ट्रवादी हैं जिसपर दंगों में लिप्त होने का आरोप है। इन दंगों में अनुमानत: 2,000 मुसलमान मारे गए थे।
पिछले 15 साल से गुजरात में भाजपा की सरकार है और इन वर्षों में गुजरात ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में भारी प्रगति की है। गुजरात की सफलताएँ इतनी प्रभावशाली हैं कि सारे देश की निगाहें गुजरात पर ही जमी हुई हैं और अन्य राज्य उसे अपने लिए उदाहरण के तौर पर देख रहे हैं। मुख्य बात यह भी है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी इस महत्त्वाकांक्षा को छुपाने की रत्ती भर भी कोशिश नहीं करते कि उनकी निगाहें प्रधानमंत्री पद पर टिकी हुई हैं और वे अगले आम चुनाव में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचने की पूरी कोशिश करेंगे।अगर नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो इसका गहरा असर केवल भारत की घरेलू राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि भारत की विदेशनीति भी काफ़ी बदल जाएगी। नरेन्द्र मोदी का नाम सन् 2002 में गुजरात में हुए मुस्लिम नरसंहार से जुड़ा हुआ है और उन्होंने आज तक इसका खंडन नहीं किया है। इसलिए नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से सिर्फ़ भारत के अन्दर विभिन्न सम्प्रदायों के बीच आपसी सामाजिक सम्बन्ध जटिल हो जाएँगे बल्कि इस्लामी दुनिया के साथ भी भारत के आपसी सम्बन्धों पर बुरा असर पड़ेगा। यह भी माना जा रहा है कि मोदी के केन्द्र में सत्तारूढ़ होने से भारतीय-अमरीकी सम्बन्धों पर भी बुरा असर पड़ेगा। अमरीका मोदी को स्वीकार नहीं करना चाहता और कई बार उन्हें अमरीका का वीजा देने से इन्कार किया जा चुका है।
उग्र हिंदुत् को समझने के लिए, हमें भारत में उसकी जड़ों के साथ ही उसके विदेशी संबंधों-प्रभावों की पड़ताल करनी होगी। 1930 में हिंदू राष्ट्रवाद नेभिन्लोगों कोदुश्मनोंमें रूपांतरित करने का विचार यूरोपीय फ़ासीवाद से उधार लिया। उग्र हिंदुत् के नेताओं ने मुसोलिनी और हिटलर जैसे सर्वसत्तावादी नेताओं तथा समाज के फ़ासीवादी मॉडल की बार-बार सराहना की। यह प्रभाव अभी तक चला रहा है (और इसकी वजह वे सामाजिक-आर्थिक कारण हैं जो अब तक मौजूद हैं) मजेदार बात यह है कि स्वदेशी और देशप्रेम की चिल्-पों मचाने वाले लोग, खुद विदेशों से राजनीतिक-और-सांगठनिक विचार लेकर आए या उनके स्पष् प्रभाव में रहे हैं।हिंदुत्ववादी नेताओं ने फासीवाद, मुसोलिनी और इटली की तारीफ में 1924-34 के बीचकेसरीमें ढेरों संपादकीय लेख प्रकाशित किए। संघ के संस्थापकों में से एक मुंजे 1931 में मुसोलिनी से मिल कर आया था। और वहीं से लौट करहिंदू समाजके सैन्यीकरण का खाका तैयार किया। इस संबंध मेंइकोनॉमिकल एंड पोलिटिकल वीकलीके जनवरी 2000 अंक में मारिया कासोलारी का शोधपरक लेख प्रकाशित किया गया था, जिसमें कासोलारी ने आर्काइव/दस्तावेजों से प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में बताया गया है कि किस तरह सावरकर से लेकर गोलवलकर तक ने हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार की सराहना की थी। यह शोध हिंदुत् बिग्रेड पर हिटलर-मुसोलिनी के स्पष् प्रभाव और विचारों से लेकर तौर-तरीकों घृणा फैलाने वाले प्रचार तंत्र तक में विदेशी फासिस्टों की नकल को तथ्यों सहित साबित करता है। आमतौर पर संघी संगठनों के प्रचार से भले ही यह समझा जाता है कि हिंदू महासभा और संघ करीबी नहीं रहे, विशेषकर सावरकर के समय में उन्होंने संबंद्ध विच्छेद कर दिया था; लेकिन कासोलारी ने तथ्यों-सबूतों के साथ प्रमाणित किया है कि वे कभी अलग नहीं हुए। और दोनों ही समय समय पर हिटलर द्वारा नस्लीय सफाए को जायज ठहराते रहे और भारत में भी उसी से प्रेरणा लेने की बात करते रहे। 
सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं।  भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का जाना अब लगभग तय है। दूसरा कार्यकाल तो बिल्कुल नहीं, संभावना है कि पहला कार्यकाल भी पूरा कर पाएं। दरअसल पार्टी नेतृत्व के साथ-साथ संघ को भी इसका अहसास हो गया है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समझौता हुआ तो पार्टी के अंदर विरोध मुखर हो सकता है। शायद यही कारण है कि अब तक साथ खड़े संघ ने भी दूरी बनाते हुए बयान जारी कर गडकरी को परोक्ष संकेत दे दिया है। भाजपा इस मामले को लेकर सख्त दिखाई दे रही हैं। भाजपा को चिंता है कि हिमाचल और गुजरात के चुनावों पर इसका सीधा असर पड़ सकता हैं।यह कटु सत्य है कि नितिन गडकरी की अध्यक्षता में बीजेपी विपक्ष की भूमिका ठीक से नहीं निभा पा रही। किसी मुद्दे पर पार्टी के तेवर कभी गरम पड़ते हैं, तो कभी नरम। दरअसल, बीजेपी को जो भी फायदा होना होता है, वह 'पारिवारिक रार' से नुकसान में बदल जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी तो अंदरूनी कलह को रोक पाए, ही अपनी लड़खड़ाती जुबान को और ही वह आरोपों से बच पाए। इस बार कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे, लेकिन बीजेपी इसे भुनाने में इसलिए नाकाम रही कि खुद उसके अध्यक्ष नितिन गडकरी पर भी गंभीर आरोप हैं। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से गडकरी की विदाई की रूप रेखा मात्र बाकी है। साथ ही नए अध्यक्ष को लेकर भी शुरूआती चर्चा शुरू हो गई है।खबर है कि बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। गडकरी पिछले कुछ दिनों से बिजनेस में गड़बड़ियां करने के गंभीर आरोपों से जूझ रहे हैं। हमारे सहयोगी समाचार चैनल टाइम्स नाउ ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि गडकरी ने अपने पद छोड़ने की पेशकश की है। मीडिया में एक के बाद एक हो रहे खुलासों के बाद पद छोड़ने के लिए पड़ रहे चौतरफा दबाव के बीच नितिन गडकरी शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे। उन्होंने बीजेपी के सबसे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी के घर जाकर उनसे मुलाकात की। इसके बाद गडकरी के घर पर बीजेपी के सीनियर नेताओं की बैठक शुरू हुई। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने आज कहा कि उनकी जन क्रांति पार्टी का भाजपा में भावी विलय देश में राष्ट्रवादी ताकतों को एकजुट करने के उद्देश्य से किया जाएगा। सिंह ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में एक सवाल पर कहा कि उनका भाजपा में जाने के पीछे कोई राजनीतिक स्वार्थ नहीं है, बल्कि यह तो राष्ट्रवादी ताकतों को एकजुट करने के मकसद किया जा रहा है। जन क्रांति पार्टी में भाजपा का विलय विचाराधारा का सम्मिलन है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा से गठबंधन नहीं करेगी बल्कि उसमें विलीन हो जाएगी।संघ ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन किसी अवैध गतिविधि में लिप्त है तो उसके खिलाफ निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जो दोषी पाये जाएं, अवश्य दंडित हों। उसने कहा कि उसे गडकरी को लेकर चल रहे विवाद से कोई लेना देना नहीं है। इस विवाद पर बयान जारी करते हुए संघ ने कहा कि वह संगठन (संघ) को इस विवाद में घसीटने के प्रयासों से दुखी है। संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि हमें इन विवादों में संघ का नाम घसीटे जाने के प्रयासों से काफी अफसोस है। जोशी का यह बयान उन मीडिया खबरों के बाद आया है, जिनमें दावा किया गया है कि संघ गडकरी के बचाव की कोशिश कर रहा है।  

आयकर विभाग ने मामले की जांच के लिए कॉरपोर्ट मामलों के मंत्रालय से संपर्क किया है। अखबार के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत मामले की जांच कर सकता है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास जमा दस्तावेज से ये खुलासा हुआ है कि गडकरी ने पूर्ति में निवेश करने वाली कई कंपनियों को अनसिक्योर्ड लोन दिया है। घाटकोपर ईस्ट मुंबई में रजिस्टर्ड कंपनी अपडेट मर्केंटाइल के पास पूर्ति ग्रुप के 29 लाख शेयर्स हैं। इस कंपनी को 2009-10 में 80 लाख रुपये से ज्यादा का अनसिक्योर्ड लोन मिला था जिसमें से साढ़े 14 लाख रुपये खुद नितिन गडकरी ने दिया था। आयकर विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने मुंबई में अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर कहा कि हम कंपनियों में वित्त पोषण के स्रोत का पता लगाएंगे। इनमें वे 18 कंपनियां भी शामिल हैं जिन्होंने पूर्ति में निवेश किया है।
राहुल गांधी जल्द ही कांग्रेस पार्टी और सरकार में 'बड़ी भूमिका' निभाने जा रहे हैं। पार्टी नेताओं की ओर से उनकी 'ज्यादा बड़ी भूमिका' की मांग को देखते हुए ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस महासचिव को कार्यकारी अध्यक्ष या पार्टी उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। 
गुजरात विधानसभा चुनावों में बीजेपी नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में हैट-ट्रिक लगाते हुए फिर सत्ता हासिल कर सकती है। इंडिया टुडे और ओआरजी के ऑपिनियन पोल में यह दावा किया गया है। पोल के मुताबिक अपनी ईमानदार और विकास पुरुष की छवि के बलबूते वह गुजरात में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता दिलाने में सफल रहेंगे, वहीं कांग्रेस पिछले चुनावों से बदतर हालत में रहेगी।
बीजेपी को 11 सीटों का फायदा: पोल के मुताबिक 2007 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले बीजेपी को शानदार सफलता मिलेगी। 180 की विधानसभा में वह 11 सीटों की बढ़ोतरी के साथ 128 सीटें हासिल करेगी। हालांकि बीजेपी के वोट प्रतिशत में गिरावट आएगी। यह 2007 में 49 पर्सेंट के मुकाबले 3 पर्सेंट घटकर 47 रह जाएगा। ऑपिनियन पोल के मुताबिक इन चुनावों में कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा और वह 11 सीटों के नुकसान के साथ 48 पर सिमट जाएगी।
राहुल, नीतीश, सुषमा से आगे मोदी: पोल में पाया गया कि गुजरात में तो मोदी का जलवा बरकरार है ही, राज्य के अधिकतर वोटर उन्हें पीएम पद पर देखना चाहते हैं। पोल में गुजरात के 56 पर्सेंट वोटरों ने राय दी कि वह मोदी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। उन्हें कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विकल्प भी दिया गया था। पोल में जब लोगों से पूछा गया कि वह बीजेपी में पीएम पद के लिए किसे चुनना चाहेंगे तो 56 पर्सेंट ने मोदी को चुना। सुषमा स्वराज 9 पर्सेंट के साथ दूसरे नंबर पर रहीं। 60 पर्सेंट वोटरों ने माना की अगर मोदी पीएम बनते हैं, तो गुजरात के विकास को नई दिशा मिलेगी। यहां गौर करने लायक बात यह है कि चूंकि पोल गुजरात में किया गया, इसलिए मोदी के प्रति उनका झुकाव समझा जा सकता है।
मगर मुस्लिम अभी भी खफा: पोल के मुताबिक मोदी मुस्लिमों का दिल अभी भी नहीं जीत पाए हैं। पोल में 61 पर्सेंट मुस्लिम वोटरों ने कहा कि वह मोदी के लिए वोट कतई नहीं करेंगे। हालांकि मोदी के बारे में उनकी राय आश्चर्यजनक रूप से अलग थी। 58 पर्सेंट का मानना था कि मोदी गुजरात दंगों लिए जिम्मेदार नहीं हैं। वहीं 54 पर्सेंट ने माना कि मोदी उनके समुदाय के लिए निष्पक्ष रहे हैं। पोल में 43 पर्सेंट मुस्लिमों ने कहा कि कांग्रेस राज्य में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने वाली पार्टी है। वहीं 41 पर्सेंट इससे असहमत थे। यह पोल गुजरात की 36 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया। इसमें पांच हजार 40 वोटर शामिल हुए।
बाजार को नैतिकता की कितनी परवाह है? वैश्विक कारोबारी फलक पर अपनी चमक बिखेरने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी रजत गुप्ता को भेदिया कारोबार के मामले में 2 साल की सजा को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। उद्योग जगत के दिग्गजों ने जहां इस सजा को गलत बताते हुए गुप्ता के योगदान का गुणगान किया है। वहीं मैनहटन के शीर्ष संघीय अभियोजक प्रीत भरारा ने गोल्डमैन सैक्स के पूर्व निदेशक को सुनाई गई सजा को 'दुखद घड़ी' करार देते हुए कहा है कि इससे दूसरे लोग सबक लेंगे और संवेदनशील कारोबारी जानकारियां लीक करने से बचेंगे।बाजार की ही महिमा अपरंपार है कि जहां हर युवती के लिए उसकी वर्जिनिटी जिंदगी से भी कीमती चीज होती है, वहीं एक युवती ने खुलेआम इसका सौदा किया है। उसने चैरिटी के लिए अपनी वर्जिनिटी की बोली लगाई है। मजे की बात यह है कि इस नीलामी में एक भारतीय ने जापानी व्यक्ति को तगड़ी चुनौती पेश की है। मगर बाजी जापानी व्यक्ति के हाथ ही लगी।एक ब्राजील की युवती ने जैसे ही अपनी वर्जिनिटी की नीलामी का ऐलान किया खरीददारों की लाइन लग गई। वो भी केवल ब्राजील के नहीं देश- विदेश के खरीदार पंक्ति में खड़े हो गए, लेकिन जापान ने इस नीलामी में जीत हासिल की।यह किसी हॉलीवुड या एडल्ट मूवी की स्टोरी नहीं बल्कि हकीकत है। 20 वर्षीय ब्राजील की युवती कैटारिना मिग्लोरिनी ने अपनी वर्जिनिटी के लिए ऑनलाइन नीलामी का ऐलान किया और सौदा 7 लाख 80 हजार डॉलर में एक जापानी ग्राहक नात्सु के साथ पक्का कर लिया। इस सौदे में जापान के नात्सु की टक्कर भारत के रुद्र चटर्जी और अमेरिकी जैक मिलर जैक राइट से थी। फिजिकल एजुकेशन की यह छात्रा के अनुसार वह इस पैसे का उपयोग गरीब परिवारों के लिए आवास निर्माण में करेगी। कैटारिना ने कहा कि वर्जिनिटी बेचने से मिले पैसे से वो घर बनाएगी और कुछ पैसा घर की जरूरतों को पूरा करने में खर्च करेगी।गौरलतब है कि वर्जिनिटी खरीदने वाले जापानी नात्सु को 7 लाख 80 हजार डॉलर चुकाने के बावजूद कुछ शर्तो का पालन करना होगा। शर्तो के बारे में आपको बता दें कि कंडोम का इस्तेमाल जरूरी होगा। कैटारिना खुद को वर्जिन साबित करने के लिए किसी भी तरह के टेस्ट को तैयार रहेंगी।ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच उड़ते जहाज में कैटारिना नात्सु को सौंप दी जाएगी और सेक्स डेट से पहले और बाद में कैटारिना का इंटरव्यू होगा और शूटिंग भी होगी। इस पूरे प्रकरण पर डॉक्यूमेंटरी फिल्म वर्जिन वाटेड बन रही है। इस फिल्म के लिए कैटारीना ने ऑस्ट्रेलिया के एक फिल्म निर्माता के साथ करार किया है और इसके कैटारिना को अच्छे खासे पैसे मिलेंगे।लेकिन इस अनूठी नीलामी का ब्राजील ही नहीं पूरी दुनिया में विरोध हो रहा था। विरोधियों का कहना है कि कैटारिना महज लोकप्रियता पाने के लिए ऐसा काम कर रही है। जबकि एक अखबार के इंटरव्यू में कैटारिना ने कहा, यह नीलामी बस एक बिजनेस है वैसे मैं रोमांटिक लड़की हैं और प्यार में विश्वास रखती हैं।
कैटारिना से बहुत पीछे नहीं हैं भारतीय बाजार की देसी कन्याएं!मॉडल और बिकनी गर्ल पूनम पांडे ने अब एक बार फिर अपनी जुबां से धमाका किया है। पूनम ने ट्विटर एक मैसेज में लिखा है, उन्होंने एक एडल्ट फिल्म साइन की है, जिसमें काफी मसालेदार दृश् होंगे। इस फिल्म का निर्देशन अमित सक्सेना कर रहे हैं। गौर हो कि अमित सक्सेना ने ही फिल् जिस्म-2 का निर्देशन किया था। हालांकि पूनम ने अपनी इस फिल् टाइटल का खुलासा नहीं किया है, बस मैसेज में इतना लिखा है कि उनकी आने वाली फिल्म सिर्फ तीन अक्षरों से शुरू होती है। जिसका पहला अक्षर है, दूसरा अक्षर एच है जिसके लिए उन्होंने लिखा है एच फॉर हैबिट और तीसरा अक्षर है एस यानी सेक्स।यहां बता दें कि हैबिट से तात्पर्य है कि किसी चीज को आदत में शुमार करना और सेक् का मतलब तो विदित ही है। हालांकि पूनम ने पहले दो अक्षरों `` और `एच` का खुलासा किया था। बकौल पूनम, सेक्स की लत एक अलग तरह की आदत जैसा है। बहुत लोग सेक्स की लत के शिकार होते हैं और इसके बिना उनका मूड अजीब हो जाता है। पूनम का कहना है कि सत्तर के दशक के मध्य में जिस तरह यह कहा जाता था कि शराब के नशे के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं, यही बात आज के जमाने में सेक्स के लिए लागू होती है। लोग इसके लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।पूनम पांडेय कहती हैं कि सेक्स या किसी और चीज की चाहत के साथ कुछ बाते हो सकती हैं। पहली- आप इसे पसंद करते हैं, फिर इसके लिए कुछ कर पाने की स्थिति में होते हैं और उसके बाद आपकी चाहत इतनी बढ़ जाती है कि इसके लिए आप कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते हैं। पूनम ने फैंस को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनकी फिल्म में काफी सेक्स दृश्य हैं। हालांकि इस मॉडल ने यह भी कहा कि यह एक एडल्ट फिल्म है लेकिन इसकी कहानी बहुत अच्छी है।
-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

APKI SOCH PAR TARS AATA HAI KI APKO HINDUTAV UGRA AUR MUSLIM SHANT NAZAR AATE HAIN. MUSALMANO KA ITIHAS KHUD HI BATATA HAI KI MUSLIM KITNE SHANTIPRIY HAIN.

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