शनिवार, 23 मार्च 2013

दिल्ली का आतंकवाद समाप्त करने का उपाय

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीनस्थ दिल्ली पुलिस सेल ने राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के मुस्लिम विरोध के मुकाबले अपनी हदें तोड़कर नौजवानों को फर्जी आतंकी घटनाओं में निरुद्ध करने का काम जारी कर रखा है। आरएसएस दंगे करवाकर मुसलमानों को प्रताड़ित करता है तो यह सेल राज्य की ताकत का उपयोग कर उनको आतंकवादी बना रहा है।  भारत सरकार मुसलमानों से सम्बंधित मामलों की अनदेखी कर रही है इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया इन फर्जी दहशतगर्दों के सम्बन्ध में २४ घंटे अपना राग अलापता रहता है। इससे यह महसूस होता है कि  इस लोकतान्त्रिक देश में राज्य की शक्तियों का दुरपयोग हो रहा है  
               वह एक सामान्य जिंदगी जीने की चाह में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर लौट रहा था। लियाकत की पहली बीवी अमीना बेगम का कहना है, 'हमने उनकी वापसी के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं, कुपवाड़ा में डेप्युटी कमिश्नर के ऑफिस में फॉर्म भी भर दिया था। पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा मामला बनाया है।' परिवार का कहना है कि उसके आने के रूट के बारे में भी सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी थी। 
सूत्रों का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल को भी इस बारे में सूचित कर दिया गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम ने गोरखपुर जाकर लियाकत को गिरफ्तार कर लिया। कश्मीर पुलिस ने दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
             हिजबुल मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी लियाकत अली शाह की गिरफ्तारी पर बवाल बढ़ता जा रहा है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इसके विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से बात करने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं।

गौरतलब है कि लियाकत की गिरफ्तारी को जम्मू कश्मीर पुलिस गलत बता रही है। दिल्ली पुलिस लियाकत को फिदायीन बताकर गिरफ्तार करने के बाद बड़ी साजिश को बेनकाब करने का दावा कर रही है। मगर, कश्मीर पुलिस और लियाकत के परिवार वालों का कहना है कि वह राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत कश्मीर में बसने के लिए पीओके से नेपाल के रास्ते लौट रहा था।
       'जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक एसपी को दिल्ली में नियुक्त किया गया है जो दिल्ली पुलिस से यह जानकारी हासिल कर सके कि किस आधार पर दिल्ली पुलिस दावा कर रही है कि लियाकत ने राजधानी में आत्मघाती हमले करने की योजना बनाई थी।'
 
      इसके जवाब में दिल्ली पुलिस का कहना है कि अगर ये दावे सही हैं, तो फिर जामा मस्जिद इलाके के गेस्ट हाउस से मिले हथियार और विस्फोटक किसके हैं? सवाल यह भी है कि गेस्ट हाउस में ठहरने वाला शख्स असल में कौन था?

यह बात दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को बतानी चाहिए कि उसने ये फर्जी कारनामा क्यों किया और किसके  इशारे पर किया और इस घटना की सी बी आई जांच की जानी चाहिए कि दिल्ली पुलिस ने कितने नवजवानों को फर्जी बरामदगी के आधार पर जेलों में निरुद्ध किया है। गुजरात में भी जब सी बी आई ने जांच की तो बड़े बड़े पुलिस अधिकारी जेलों में पहुँच गए और गुजरात का आतंकवाद समाप्त हो गया उसी तरह दिल्ली के आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सी बी आई जांच आवश्यक है। 

सुमन  
लो क सं घ र्ष !  

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