साथियों हाथो में पेन-पेन्सिल, आँखों में सपने, कुछ कर गुजरने की उम्मीद मन में भरकर जब ये बच्चे ईट भट्टो से निकलकर स्कूल की ओर चलते है तो इन्हें देखकर जो मन में ख़ुशी होती है उसे शायद शब्दों से बया नहीं किया जा सकता है बस इन्हें देखते ही रहने को मन करता है बस देखते ही रहने को
जी हाँ ये कहानी है उन प्रवाशी मजदूरों के बच्चो की जिनका जीवन मिट्टी की धूल के बीच शुरू होता है कच्ची ईटो के निर्माण और पकने के बीच आकार लेता है और वापस मिटटी की धूल के बीच ही कही खो जाता है। जिन्हें न तो स्कूल का ज्ञान मिल पाता है न मैदान का खेल मिल पता है न ही भोजन का स्वाद मिल पाता है ऐसे ही बच्चो को उनका बचपन वापस दिलाने और उनके जीवन में शिक्षा का प्रकाश फ़ैलाने के उद्देश्य से जाग्रति बाल विकास समिति द्वारा ईट भट्टों पर अनौपचारिक शिक्षण केंद्र चलाये जा रहे है जहाँ पर बच्चो को न सिर्फ शिक्षा मिल रही है बल्कि उन्हें स्वस्थ पौष्टिक भोजन भी प्रदान किया जा रहा है जिसके माध्यम से न सिर्फ उनका शारीरिक पोषण हो रहा है बल्कि उनके अन्दर साफ़ सफाई की के प्रति भी समक्ष विकसित हो रही है जब ये बच्चे अपने अपने घरो में खाना खाने से पहले हाथ धोते है तो इनके छोटे भाई बहन भी देखा देखी इनकी नक़ल करते है और इस तरह वे भी साफ सफाई के बारे में सीखते है आपको बताते चले कि एक आंकडे के अनुसार भट्टों पर हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार था या फिर कमजोरी का शिकार था लेकिन जब से भट्टों पर इन केन्द्रों के माध्यम से न्यूट्रीशन प्रोजेक्ट शुरू हुआ है तब से न सिर्फ इन बच्चो के शारीरिक विकास में वृद्धी हुयी है बल्कि इनके अन्दर अच्छी सोच भी विकसित हो रही है न्यूट्रीशन प्रोजेक्ट के समन्वयक श्री किशन सर का कहना है कि न्यूट्रीशन प्रोजेक्ट का मतलब सिर्फ चैरिटी के तौर पर बच्चो को भोजन बाटना ही नहीं है बल्कि यह एक शिक्षण प्रक्रिया भी है जिसके अंतर्गत हम बच्चो में स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक पोष्टिक भोजन और स्वच्छता के प्रति समक्ष भी विकसित करते है जिससे उनके अन्दर स्वस्थ और अच्छी भावना का विकास होता है और सभी बच्चे स्वस्थ भी रहते है तभी तो हमारा नारा है
" खूब खायेंगे खूब पढेंगे
अच्छा खायेंगे अच्छा बनेंगे "
तो
साथियों गर कभी जीवन की भागा - दौड़ी से कुछ समय मिले तो कुछ पल इन बच्चों
के साथ भी बिताएगा। आपको यह जानने और महसूस करने का मौका मिलेगा कि जीवन
का यह भी एक रूप है जहाँ जिंदिगी बगैर सपनों के भी पलती है।अच्छा खायेंगे अच्छा बनेंगे "
हमें आपका इंतज़ार रहेगा .........................
के. एम. भाई
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