पाकिस्तान में कहा जाता है कि सिन्धु नदी के स्नान से बेवफाई आ जाती है। लाल कृष्ण अडवानी जब पाकिस्तान यात्रा पर गए तो शायद सिन्धु स्नान कर लिया था, तभी उनको जिन्ना याद आने लगे थे लेकिन अब सिन्धु स्नान का असर कम हो रहा है और भारतीय राजनीति में समन्वय वादी नेता के रूप में अपनी छवि स्थापित करना चाहते हैं। बाबरी मस्जिद ध्वंस के नायक और देश में साम्प्रदायिकता की लहर चलाने वाले अडवानी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं इसी लिए नागपुर मुख्यालय की छुपी हुई रणनीति के तहत गुजरात नरसंहार के नायक नरेन्द्र मोदी का नाम प्रधानमन्त्री पद के लिए उछाला गया है जिससे एनडीए के घटक दलों को यह सन्देश जाए कि यदि नरसंहारी प्रधानमंत्री नही चाहते हो तो उनसे कम अडवानी को प्रधानमंत्री का दावेदार मान लो इसी रणनीति के तहत शिवसेना जैसी उग्र हिन्दुवात्वादी पार्टी भी नरेन्द्र मोदी का विरोध कर रही है और अंत में अडवानी को नागपुर मुख्यालय प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाना चाहता है लेकिन सबसे बड़ा खतरा यह है की अडवानी ने अगर पुन: सिन्धु स्नान कर लिया तो देश के साथ कितना वफ़ा करेंगे। इन हिंदुत्व वादियों का इतिहास रहा है मुंह में राम बगल में छुरी।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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