सोमवार, 22 जुलाई 2013

गुजरात का सांप्रदायिक और एनकाउंटर कल्चर का मॉडल देश में नहीं चल सकता- दिपांकर

खालिद मुजाहिद की तरह निमेष कमीशन की रिपोर्ट का कत्ल करना चाहती है सपा
सरकार- दीपांकर भट्टाचार्या
इस राजव्यवसथा ने केवल तीन चीजें ही जनता को दी हैं काले कानून, फर्जी
मुठभेड़ तथा फर्जी मुकदमें- दिपांकर
आने वाली पीढ़ी लोकतंत्र को बचाने वाली इस लड़ाई को एक नजीर की तरह पेश

करेगी- दिपांकर भट्टाचार्या

लखनऊ 22 जुलाई 2013। उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिले वार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रपायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना सोमवार को 62 वें दिन भी जारी रहा। आज धरने को समर्थन देने के लिए भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने शिरकत की।
धरने में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि हिन्दुस्तान के अंदर लोकतांत्रितक आंदोलन के इतिहास मे यह धरना एक मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि आनेवाली पीढ़ी लोकतंत्र को बचाने वाली इस लड़ाई को एक नजीर के तौर पर पेश करेगी। उन्होने कहा कि आज आम जनता के सामने  अमेरिका प्रायोजित नीतियों की तबाही सामने हैं। आज सवाल चाहे प्रशासन का हो या फिर आर्थिक नीतियों का हर ओर अमेरिकी साम्राज्यवाद परस्त नीतियां ही दौड़ रही हैं। उन्होने
कहा कि मारूती का आंदोलन आज पूरे देश में फैल चुका है। यह धरना भी उसी लड़ाई का एक रूप है। उन्हांेने कहा कि हमें वो दिन लाना होगा जब सड़क की आवाज, जो सच्चाई की आवाज है को दबाने की हिम्मत शासक वर्ग न कर सके। उन्हांेने कहा कि इस मंच ने आज खालिद के सवाल पर ही नही देश के विभिन्न भागों में बंद निर्दोष मुस्लिम नौजवानों तथा राज्य प्रायोजित आतंकवाद से लड़ रहे आदिवासियों के पक्ष में एक लंबी लड़ाई लड़ी है।
भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्या ने कहा कि ,
  भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्या ने कहा कि आज मीडिया और न्यायपालिका ने भी आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को न्याय दिलाने की मुहिम से मुंह मोड़ लिया है। उन्होंने कहा कि बिहार के कतील सिद्दीकी की हिरासत में की गयी हत्या की कोई खबर नहीं छपी। आज देश का समूचा लोकतंत्र ही संकट में है लेकिन हम लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। जो भी संगठन लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आयेगा हम बिना बैनर देखे उसके साथ होंगे।
                                                          दीपंकर भट्टाचार्या ने बोधगया में हुए धमाकों का जिक्र करते हुए कहा कि बिना किसी जांच के इस विस्फोट में सीधे इंडियन मुजाहिदीन का हाथ बता दिया गया।  उन्होंने सवाल किया कि क्या संघ के लोग इन विस्फोटों में शामिल नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि एक विशेष नीति के तहत मुसलमानों को बदनाम करने का खेेल चल रहा है। आज भाजपा संघ की मंशा के मुताबिक मोदी को आगे कर उन्हें भारत का भविष्य बता रही है। इस देश में सन् 1992 दुहराने की तैयारी चल रही है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में असल मुद्दे गायब करने की एक चाल चल रही है। गुजरात का सांप्रदायिक और एनकाउंटर कल्चर का माॅडल देश में नहीं चल सकता। गुजरात में मजदूरों का शोषण खुलेआम जारी है। आज मोदी
पूंजीपतियों का संरक्षण खुलेआम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर बन रही नीति आज अमेरिका से प्रेरित है। हमें 2014 के आम चुनाव में इसे पलटने के लिए आगे आना होगा। उन्हांेने कहा कि आज देश के कई सवालों को मिलाकर व्यापक लोकतांत्रिक आंदोलन को एक सवाल बनाना होगा। भट्टाचार्य ने
कहा कि माले रिहाई मंच के इस धरने को अपना समर्थन जारी रखेगी।
                                                  सीपीआई (एमएल) सेंन्ट्रल कमेटी सदस्य और इंकालाबी मुस्लिम कांफ्रेस के
अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि लोकतात्रिंक ढांचा इंसाफ के वसूलों पर टिका होता है और इंसाफ ही उसकी बुनियाद होती है। पर जिस तरीके से खालिद और अन्य आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों की रिहाई के सवाल पर सपा सरकार मुकर गई है ऐसे में अगर सत्ता जनता द्रोही हो जाए तो जनता को भी राज्य द्रोही
हो जाना चाहिए। आज कथित सेक्युलर पालिटिक्स का नकाब ओढ़े सत्ताधारी मोदी का हौव्वा बना रहे हैं। उनसे बस मैं यही कहना चाहूंगा की मोदी एक भेडि़या है और भेडि़या जब शहर में आता है तो उसका क्या हाल होता है आप सब जानते हैं।
   धरने के समर्थन में अंमेबडकर नगर से सैकड़ों की संख्या में लोग पहुचे थे  जिन्हें सपा सरकार में पिछले दिनों दंगों में जान माल का नुकसान हुआ था। इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष बाल मुकुन्द धूरिया ने कहा कि सपा राज में मुसलमान दंगे की आग में पिछले साल भर से झुलस रहा है और मुलायम बड़ी बेशर्मी से कहते फिरते नजर आते हैं कि वो 2014 में प्रधानमंत्री बनेंगे। यह एक संवेदहीन सरकार के नुमाइंदे हैं जिन्हें जनता के दुख दर्द से ज्यादा अपने कुनबे की चिन्ता होती है। यूपी को पिछले दो दशक से ठग रही सपा-बसपा से पूछना चाहूंगा कि जब आप के समर्थन से काग्रेंस की दिल्ली में सरकार है तो प्रधानमंत्री भी आपका ही हुआ और इन दोनों दलों ने ही एफडीआई के मसले पर सीबीआई के डंडे से बचने के लिए वोट किया। इन्हें जनता की कम अपने जेल जाने की ज्यादा चिंता है।
एपवा की ताहिरा हसन ने कहा कि खालिद का मामला किसी एक व्यक्ति का नहीं है, क्योंकि खालिद के न्याय का संघर्ष हो चाहे इशरत के न्याय का सवाल यह वो मुद्दे हैं जिन्हें वर्तमान सरकारें हल करने में नाकामयाब हैं। ऐसे में हमारी लड़ाई पूरे तंत्र के बदलाव ही है और यह लड़ाई लंबी है। आज रिहाई मचं ने जो पहल की और इस आंदोलन को आज तमाम उत्पीड़न व दमन के बावजूद चला रहा है वो एक लोकतांत्रिक आवाज है जिसे आज पूरे देश के जनांदोलनों का समर्थन मिल रहा है।
आजमगढ़ रिहाई मंच के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि 2012 विधानसभा चुनवों में सपा के नेताओं ने आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों की रिहाई के सवाल के वादे को लेकर वोट लिया और आज जब मौलाना खालिद की हत्या हो गई  और आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर नहीं रखा जा रहा है। जिससे आजमगढ़ के तारिक कासमी की रिहाई संभव नहीं हो रही है और इस इंसाफ की मांग को लेकर जब धरना किया जा रहा है और सपा सरकार रिहाई मंच का मंच उखाड़ फेकवाया। ऐसे में आजमगढ़ के नौवों सपा विधायकों और 3 मंत्रियों से पूछना चाहेंगे कि क्या अपना जमीर गिरवी रख दिया है क्या?
  धरने का संचालन मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी ने किया। धरने को रिहाई
मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय, सीपीआई (एमएल) सेंन्ट्रल कमेटी सदस्य और इंकालाबी मुस्लिम कांफ्रेस के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम, इंकलाबी नौकजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष बाल मुकुन्द धूरिया, एपवा की प्रभारी ताहिरा हसन, सीपीआईएमल के राज्य सचिव सुधाकर यादव, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान, भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद, हाजी फहीम सिद्दीकी, मौलाना कमर सीतापुरी, डा0 अली अहमद कासमी, पटना से आए अधिवक्ता काशिफ यूनुस, दिनेश सिंह, डा0 आफताब, मसीउद्दीन संजरी, हरेराम मिश्र, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया।
को निर्दोष साबित करने वाली जस्टिस निमेष कमीशन की रिपोर्ट की भी  हत्या की जा रही है। यह केवल यहीं नही हो रहा है। आज देश के विभिन्न भागों में सरकारें सच्चाई का गला घोटने को तैयार खड़ी है। उन्होंने बिहार की नीतिश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो नितीश कुमार आज अपने को सबसे बड़े सेक्यूलर होने का दावा कर रहे हैं उन्हांेने ही सत्ता में आते ही दलितों के नर संहार से संबंधित अमिरदास आयोग को भंग कर दिया था ताकि सच्चाई किसी के सामने न आ सके और दोषी दंडित न किये जा सकें इसी तरह नितीश सरकार ने फारबिसगंज में मुस्लिमों का जनसंहार करवाया। उन्होंने कहा कि सन् सत्तर के दशक से जब से जनता में राजनैतिक गोलबंदी बढ़ी है तब से इस राजव्यवसथा ने केवल तीन चीजें ही जनता को दी हैं काले कानून, फर्जी मुठभेड़ तथा फर्जी मुकदमें। आम जनता के खिलाफ यह संघर्ष एक पाॅलिसी लेवल पर सभी सरकारों द्वारा चलाया जा रहा है।

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