भारत के राजनेता अमेरिकी नेताओं के जूतों में कीचड़ लग जाने पर उसको साफ़ करने में अपना गौरव समझते हैं उसी कड़ी में ध्वस्त अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाने के लिए कई वर्षों से विभिन्न प्रकार की कोशिशें की जा रही थी जिसका लाभ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को होना शुरू हुआ है. रुपये को डॉलर के मुकाबले और झटका लगा। रुपया डॉलर के मुकाबले अबतक के
सबसे निचले स्तर पर चला गया। शुरुआती कारोबार में बुधवार को अमेरिकी डालर
के मुकाबले रुपया 118 पैसे की गिरावट के साथ 67.42 प्रति डालर के न्यूनतम
स्तर पर आ गया। एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में यह अब तक की सबसे बड़ी
गिरावट है। अभी और गिरावट होगी पहले बिकेगा सोना और फिर संसद।
शेयर मार्किट में सरकारी व इजारेदार कंपनियों द्वारा जुआ खेला जाता है. इस जुए की खास बात यह है कि जुआ विभिन्न बैंको व वित्तीय संस्थानों से ऋण लेकर ही खेल जाता है और हार जीत का परिणाम देश के मत्थे मढ़ दिया जाता है.
शेयर मार्किट में सिर्फ जुआ ही हो रहा है उद्योगिक उत्पादन, कृषि उत्पादन से इसका कोई सम्बन्ध नही है. उद्योगिक उत्पादन आयत और निर्यात से समझा जा सकता है. कितना हो रहा है सबको मालूम है ?
भारत को चाहिए कि तुरंत जिन देशों से उनकी मुद्रा व भारतीय मुद्रा में व्यापार हो सकता है व्यापार करना चाहिए। डॉलर की निर्भरता तुरंत ख़त्म करनी चाहिए। अमेरिकी साम्राज्यवाद की चापलूसी बंद करनी चाहिए क्यूंकि जब भी जनता को लाभ देने की बात उठती है विदेशी साजिश के तहत शेयर मार्किट डावांडोल होने लगता है कल्पित मुनाफा व कल्पित हानि से न कुछ बनता है न कुछ बिगड़ता है. हम समृद्ध हैं और शक्तिशाली हैं. हमारे राजनेता जरूर अमेरिकी साम्राज्यवादियों के नौकर हैं.
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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