मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

यहाँ एक बच्चे के खून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ो...अन्तिम भाग

दंगे राजनैतिक लाभ के लिए करवाए जाते हैं यह तो पहले भी कहा जाता रहा है। इस बार सभी राजनैतिक दलों ने इसे सार्वजनिक तौर पर स्वीकार भी कर लिया। केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार िशंदे ने तो यहाँ तक कह दिया कि चुनाव से पहले इस तरह के और दंगे भी करवाए जा सकते हैं। 1, नवम्बर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुज़फ्फरनगर में कुछ शरारती राजनैतिक तत्व हैं जो माहौल को खराब करने के लिए एक वारदात को दबाना और दूसरी को उछालना चाहते हैं। भाजपा पर राजनैतिक लाभ के लिए दंगा करवाने का आरोप लगभग सभी दलों ने खुले रूप से लगाया है। ऐसा मानने वालों की संख्या बहुत बड़ी है कि दंगे का माहौल तैयार करने की शुरुआत संघ परिवार और भाजपा से जुड़े हुए नेताओं ने ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए की थी। उन्हें अपने लक्ष्य में सफल होते देख अन्य दलों के नेता समाज को बाँटने के उनके इस अभियान का विरोध करने के बजाय भड़की हुई भावनाओं पर राजनैतिक रोटी सेकने के लिए उसमें शामिल हो गए। अगर देश एंव समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को अन्य दलों के नेताओं ने निभाया होता तो भी इस साम्प्रदायिक हवा को रोका या इसकी तीव्रता को कम अवश्य किया जा सकता था। कुल मिला कर यदि देखा जाए तो मूल्यविहीन और सिद्वान्तविहीन राजनीति भी इसकी ज़िम्मेदार है। बेहतर भविष्य और सेकुलर लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमें राजनीति में मूल्यों और सिद्वान्तों की वकालत करने वालों को महत्व देना ही होगा।
मोबाइल : 09455571488
-मसीहुद्दीन संजरी
 लोकसंघर्ष पत्रिका में प्रकाशित

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…


गये साल को है प्रणाम!
है नये साल का अभिनन्दन।।
लाया हूँ स्वागत करने को
थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।।
है नये साल का अभिनन्दन।।...
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नवल वर्ष 2014 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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