मंगलवार, 11 मार्च 2014

नमो सामंतवाद लायेंगे या लोकतंत्र को समाप्त करेंगे

उत्तर प्रदेश में कीर्तिवर्धन सिंह  सपा छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। बड़े माफिया डॉन ब्रजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार उनके समर्थकों के द्वारा घोषित किया जा चुका है। एक दिनी पूर्व मुख्यमंत्री जगदम्बिका पाल के भाजपा में जाने कि सम्भावना व्यक्त कि जा रही है . आने वाले दिनों में लग रहा है कि सुशील सिंह, बृजेश सिंह, धनन्जय सिंह आदि भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं और यह सब लोग नए सामंतवाद के प्रतीक हैं लोकतंत्र में इनके कार्यकलापों को देखते हुए लगता है कि इनका उसमें विश्वास ही नहीं है। कीर्तिवर्धन सिंह के पिता राजा आनंद सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री थे , भाजपा के लिए कार्य करने के कारन बर्खास्त कर दिए गए , निकट भविष्य में और भी कई क्षत्रिय मंत्री अपने मंत्री पद को छोड़ते हुए भाजपा में जा सकते हैं जो नमो को प्रधानमंत्री बनने में रोड़ा अटकाने का काम करेंगे। नमो प्रधानमंत्री बनने के लिए बेताब हैं। उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा क्षत्रिय शिरोमणि ठाकुर राजनाथ सिंह भी हो सकते हैं कि सारे सामंत अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ इकठ्ठा हो जायेंगे तो निश्चित रूप से लोकतंत्र की बजाये सामंतवाद अपने नए रूप में आ सकता है। भाजपा का ब्राह्मणवादी नेतृत्व अब अपने को असहज महसूस करने लगा है जो आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इस टिपण्णी से परलक्षित होता है कि उन्होंने  संघ के प्रचारकों से कहा कि उनका काम 'नमो-नमो' करना नहीं है। भागवत ने प्रचारकों को सलाह दी है कि वे व्यक्ति-केन्द्रित प्रचार अभियान का हिस्सा न बनें। संघ ने भाजपा को नसीहत दी है कि पार्टी के नाराज नेताओं से सख्ती से न निपटा जाए। इस समय यह सोचने का वक्त नहीं है कि कौन जीतेगा और कौन सरकार बनाएगा, बल्कि यह समय इस बात को सोचने का है कि कौन जीतना नहीं चाहिए।
यह टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी के ऊपर ब्राह्मणवादी पकड़ की कमजोरी को दर्शाती है।  उत्तर प्रदेश भाजपा के अंदर ही अंदर ठाकुर वर्सेज ब्राह्मण की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। संघ का लोकतंत्र में विश्वास न होना और अधिनायकवादी ब्राह्माडवत्व को जो चुनौती मिल रही है। वह वैचारिक संघर्षपूर्ण स्तिथि में संगठन को ला खड़ा किया है। 
अब  मतदाताओं को तय करना है कि देश में लोकतंत्र रहेगा या अधिनायकवादियों का अधिनायक।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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