5 मार्च 2014, बुधवार। मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई की आम सभा बुधवार, 5 मार्च को मध्यप्रदेश बैंक अॅाफीसर्स एसोसिएशन के दफ्तर ओसीसी होम्स, धेनू मार्केट में आयोजित हुई। आम सभा में इंदौर इकाई का पुर्नगठन किया गया। अध्यक्ष श्री एस.के.दुबे एवं संयुक्त सचिव श्री केसरी सिंह चिढ़ार को बनाया गया। इस मौके पर गत तीन वर्ष में इकाई की गतिविधियों की रिर्पोट पेश की गई।
इंदौर इकाई की नवीन कार्यकारिणी इस प्रकार है - संरक्षक मंडल में पेरिन होमी दाजी, आलोक खरे, बसंत षित्रे, अनन्त श्रोत्रिय एवं कृष्णकांत निलोसे। अध्यक्ष मंडल में डॅा. अजीज इंदौरी, ब्रजेश कानूनगो, सुलभा लागू, उत्पल बैनर्जी, रविन्द्र व्यास, अध्यक्ष एस.के.दुबे, उपाध्यक्ष चुन्नीलाल वाधवानी, सुरेश पटेल, सचिव अभय नेमा, संयुक्त सचिव केसरी सिंह चिड़ार, सह सचिव भारत सक्सेना और विभोर मिश्रा, एवं कार्य कारिणी सदस्य रशीद इंदौरी, विनीत तिवारी, अतुल लागू, तपन भट्टाचार्य, जावेद आलम, विश्वनाथ कदम, दीपक असीम, सारिका श्रीवास्तव, तौफीक गौरी एवं मानद सदस्य के रूप में इप्टा के अध्यक्ष विजय दलाल एवं सचिव अशोक दुबे।
बैठक की शुरुआत आपसी परिचय के साथ हुई इसके बाद प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई के सचिव श्री अभय नेमा ने पिछले तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान आयोजित किए हुए कार्यक्रमों का सिलसिलेवार विवरण दिया। तत्पश्चात उपस्थित लोगों ने भविष्य के कार्यक्रमों के लिए अपने-अपने विचार रखे।
जाने-माने कवि और प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई के पूर्व अध्यक्ष श्री कृष्णकांत निलोसे, एस.के.दुबे, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव विनीत तिवारी ने कहा कि लेखकों और साहित्यकारों को केवल कमरों के अंदर बैठकर गोष्ठी ना करते हुए लोगों तक जाकर, उनके बीच उनकी परेशानियों और समाज एवं राजनीति में व्याप्त बुराइयों के पहलूओं को जानना-समझना जरूरी है जिससे हमें लेखन के जरिए उन्हें और लोगों तक पहुँचा सकें, लोगों को परिचित करा सकें और उन्हें उन पर हो रहे शोषण और अत्याचारों के खिलाफ लड़ने को प्रेरित किया जा सकने वाला साहित्य रच सकें। नए लोगों को जोड़ने के साथ-साथ हिन्दी के अलावा अन्य भाषाओं जैसे उर्दु, सिंधी, मराठी एवं स्थानीय बोलियों के साहित्य को पढ़ा समझा जाना चाहिए और उनके साहित्यकारों को भी प्रगतिशील लेखक संघ में शामिल किया जाना चाहिए।
मध्य प्रदेष प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव विनीत तिवारी ने कहा कि हमको खुद भी अपनी सोच और समझ को पुख्ता करना चाहिए जिससे हम अपने लेखन को विकसित कर सकें, और उसके लिए हमको खुद भी पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी समझ और सोच में धार लाने के लिए हमको गोर्की, चेखव, टॅालस्टॅाय, दोस्तोवस्की, चेग्वेरा, फैज, कैफी, जाफरी, प्रेमचंद, परसाई, मुक्तिबोध, पाश , ब्रेख्त, नाजिम हिकमत, पाब्लो नेरूदा को तो जरूर से ही पढ़ना चाहिए।
प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई के कोषाध्यक्ष केसरी सिंह चिड़ार ने विगत तीन वर्षों में हुए आय-व्यय का विवरण दिया और बैठक के दौरान हमारे वरिष्ठ साथी जो अब हमारे बीच नहीं रहे सर्वश्री सनत कुमार, देवीप्रसाद मोर्य, मिर्जा इस्माइल बेग एवं विलास गुप्ते को याद करते हुए उन्हें श्रृद्धांजली दी गई।
कार्यक्रम के अंत में संरक्षक मंडल के सदस्य एवं हमारे वरिष्ठ और सम्मानीय साथी श्री आलोक खरेजी ने नई कार्यकारिणी को शुभकामनाएं देते हुए एवं कहा कि हम एक कठिन समय से निकल कर प्रगतिशील लेखक संघ की इकाई ने अपने को फिर से सुगठित ही नहीं किया बल्कि और नए साथियों को भी इससे जोड़ा है जो सराहनीय है। नए लोगों को जोड़ने और पुरानों को सीखने के लिए समय-समय पर साहित्यिक शिविरों का आयोजन जो समय-समय पर पहले भी होते रहे हैं, पुनः और ज्यादा संख्या में होना जिससे इस कठिन समय में हम घर पर ना बैठकर लोगों के लिए ऐसे साहित्य की रचना कर सकें जो लोगों को बता सके कि लेखन केवल सौंदर्य और प्रकृति की खूबसूरती तक ही सीमित नहीं है बल्कि लोगों के शोषण को भी उजागर करता है।
सारिका
प्रगतिशील लेखक संघ इंदौर इकाई
9425096544
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