बुधवार, 16 अप्रैल 2014

अनुच्छेद 370, भाजपा की नीयत क्या है?

 पिछले साल के अंत में नरेंद्र मोदी ने जम्मू की एक सभा में संविधान के अनुच्छेद 370 पर बयान देकर एक बहस की शुरुआत कर दी थी। लेकिन यह बड़ा गोल-मोल था। मोदी के शब्दों से उनके दिल की बात को समझ पाना मुश्किल था। अगर कोई यह कहे कि इस अनुच्छेद पर विचार की आवश्यकता है, तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए? तब अर्थ यह निकाला गया था कि भाजपा अनुच्छेद 370 पर अपनी इस पुरानी नीति पर विचार कर सकती है कि इसे समाप्त किया जाना चाहिए। लेकिन अरुण जेटली ने यह बयान देकर मामला स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी  अपनी पुरानी नीति से हट नहीं रही। तब फिर पुनर्विचार किस बात पर?
    नई दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अनुच्छेद 370 का मुद्दा फिर उठा। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपने लिखित भाषण में कहा, ‘‘कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों के कारण आजादी के समय से ही जम्मू-कश्मीर समस्याग्रस्त रहा है। अपनी गलत नीतियों और अनुच्छेद 370 के कारण देश में मुख्य धारा के विकास से कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को अलग रखा है। हम राष्ट्रविरोधी तत्वों को कोई भी तरजीह देने के खिलाफ हैं। हम दृढ़ हैं कि कश्मीर की गरीब जनता को आजादी के 67 साल बाद तक जो विकास नहीं मिल सका, वह  उसे मिलना चाहिए। कांग्रेस और उसके सहयोगी भारत में कश्मीर के दर्जे पर जो सवाल उठाते हैं, हम उसकी सख्त निंदा करते हैं।’’
    भाजपा के दिल की ओर इशारा तो होता है, लेकिन खुलासा नहीं। दिल की बात भाजपा ने लिखत-पढ़त में नहीं कही। लिखित भाषण से हट कर राजनाथ ने कहा- जम्मू-कश्मीर हमारे लिए बड़ा गंभीर और संवेदनशील क्षेत्र है। अगर अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर का विकास होता है, तो हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं। लेकिन अगर जम्मू-कश्मीर को मुख्य धारा में शामिल होने से रोकने के लिए अनुच्छेद 370 एक साजिश है, तो हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते। भाजपा किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेगी।’’         अनुच्छेद 370 पर मौजूदा दौर में भाजपा की नीति को अगर-मगर के बीच फिर भी छोड़ दिया गया।
    लेकिन कश्मीर का मसला वाकई इतना संवेदनशील है कि कोई बड़ी पार्टी अगर झूठ-फरेब और पाखंड का सहारा लेती रहे तो उससे देश का नुकसान हो सकता है। राजनाथ के एक बड़े भ्रामक प्रचार को ही देखें-कांग्रेस और उसके सहयोगी भारत में कश्मीर के दर्जे पर सवाल उठाते हैं। यह कहाँ की खोज है? जवाहरलाल नेहरू के दिनों से अब तक कांग्रेस की घोषित नीति यही रही है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अटूट अंग है। कांग्रेस की ही बदौलत आज जम्मू-कश्मीर भारत में है। संघ परिवार की चलती तो यह राज्य भारत में होता ही नहीं।
अनुच्छेद 370 से अब तक हुए हानि-लाभ को भाजपा क्या समझ नहीं पाई? अनुच्छेद 370 साजिश है या नहीं, भाजपा नहीं जानती? आखिर राजनाथ अपनों के बीच बोल रहे थे। कार्यकर्ताओं को भ्रम में रखने के बजाय दो टूक बताना चाहिए था। राजनाथ ने स्पष्ट नहीं किया कि अनुच्छेद 370 को  भाजपा समाप्त करना चाहती है या नहीं। कारण यही हो सकता है कि अनुच्छेद 370 पर संघ परिवार में श्रम विभाजन की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। जैसे इन दिनों भाजपा को राम मंदिर पर आडवाणी के युग की तरह मुखर होने की जरूरत नहीं है। मंदिर का मोर्चा विहिप और कुछ साधू-संतों पर छोड़ दिया गया है। लेकिन अनुच्छेद 370 आनुषांगिक संगठनों पर नहीं छोड़ा जा सकता। भाजपा अनुच्छेद 370 के खिलाफ खुल कर बोलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही, क्योंकि उसे इस मसले पर किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं मिलने वाला। अगर-मगर की यही वजह है।
-प्रदीप कुमार
लोकसंघर्ष पत्रिका  चुनाव विशेषांक से

2 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सटीक उम्दा आलेख ...!
RECENT POST - आज चली कुछ ऐसी बातें.

Vaanbhatt ने कहा…

सम्पूर्ण भारत में एक व्यवस्था के हिमायती होने मात्र से नियत पर शक करना ठीक नहीं...

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