रोटियाँ गरीब की प्रार्थना बनी रहीं
दिन गए बरस गए यातना गई नहीं
रोटियाँ गरीब की प्रार्थना बनी रहीं
एक ही तो प्रश्न है, रोटियाँ के पीर का
पर उसे भी आसरा है आंसुओं के नीर का
राज है गरीब का ताज दानवीर का
तख्त भी पलट गए पर कामना गई नहीं
रोटियाँ गरीब की प्रार्थना बनी रहीं
वेणु श्याम की बजी,राम का धनुष चढ़ा
युद्ध भी लड़े गए,ज्ञान बुद्ध का बढ़ा
पर खड़ा रहा नहीं,निर्धनों का झोपड़ा
अर्थियां चली गईं पर योजना गई नहीं
रोटियाँ गरीब की प्रार्थना बनी रहीं।
जो स्वयं भटक रहे, राह वह दिखा रहे
जो रमे महल-महल त्याग वह सिखा रहे
जग हुआ शहीद तो नाम वह लिखा रहे
पंच के प्रपंच में प्रवंचना गई नहीं
रोटियाँ गरीब की प्रार्थना बनी रहीं
भूप संत रहनुमाँ,यह कभी तो वह कभी
मंच से उतर गए एक-एक कर सभी
प्यास है अभी वहीं भूख है अभी वहीं
साँस है तो भूख की पर वासना गई नहीं
रोटियाँ गरीब की प्रार्थना बनी रहीं
- गोपाल सिंह 'नेपाली'
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