
बेलगाम वैसे तो अम्न पसंद शहर के नाम से जाना जाता था.इसकी तारीख कभी मजहबी तशद्दुद को लेकर पहचान ना बनी थी.लेकिन फिरकापरस्तों ने ना सिर्फ बेलगाम शहर बल्कि पुरे मुल्क को अपनी चपेट में ले लिया है. इस मुल्क की तहजीब ही गंगा जमुनी तहजीब के नाम से जानी जाती है.लेकिन अफसोस के बाबरी मस्जिद की शहादत ने मुल्क की फिजा को ही आलूदा बना दिया.हिन्दू मुसलामानों में नफरत की दीवार को खड़ा कर दिया .जहाँ दिवाली और ईद साथ मनाया करते थे वही पर ईद त्योहारों के वक्त एक डर सा लगने लगा के क्या इस ईद पर कही फसाद तो बरपा नहीं होगा..? डर और खौफ के साये में लोग जीने लगे.बार बार इंतजामिया पर भी सवाल खड़े किये जाने लगे...अवाम चाहती है के मुजरिम का कोई मजहब नहीं होता और मुजरिम को सजा जरूर मिलनी चाहिए....फिर वो हिन्दू हो या मुसलमान...
सियासत दानों के लिए मजहब...नफरत... फसाद.... ये इख्तदार हासिल करने के जराये बन चुके है. इख्तदार हासिल करने के लिए भी फसाद और किसी को इख्तदार से उतारने के लिए भी फसाद.... और इस फसाद के शोलों में बेलगाम जैसा अम्न पसंद शहर भी लपटों में आ गया. फिरकापरस्त तंजीमों ने अपना यहा डेरा जमा दिया और देखते देखते नफरतों की चिंगारियों ने भाईचारगी को राख के ढेर में तब्दील कर दिया.
हाल ही में गांधीनगर में जो फसाद हुआ है इसकी तस्वीर साफ होती नजर आ रही है.रामसेना के सरगना रमाकांत कुंदुस्कर को गिरफ्तार किया गया है उसे बेल्लारी जेल भी भेज दिया गया है.लेकिन अवाम ये चाहती है के जब शहर के हर फसाद में रामसेना का हाथ होने के या इसकी शय या दलील होने के बावजूद इस पर क्यों पाबन्दी नहीं डाली जा रही...?पिछले कई फसाद में रामसेना का कोई न कोई कारकुन या गुंडा फसाद में पहल करता नजर आया है .पिछले महीने ही बालू पवार को गुंडा एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया.वडगांव विष्णु गल्ली(निजामिया मस्जिद ,निजामिया मोहल्ला )में पथराव करनेवालों में अक्सर रामसेना के गुंडे ही शरीक होने की बात मोहल्लेवालों ने बताई.वडगांव एरगट्टी चॉल में घुस कर माजूर शख्स आसिफ मन्नुरकर का कत्ल करनेवालों में भी रामसेना का हाथ रहा.अंगोल में मस्जिद पर जान बुझ कर रामसेना का बोर्ड लगाने की शरारत कर फिर मुस्लिम नौजवानों पर तलवार से हमला कर शदीद जख्मी करनेवाले भी रामसेना के ही लोग थे.लव जिहाद की कहानी बना कर जान बुझ कर मुस्लिम नौजवानों को बेरहमी से पिटनेवाले सरगर्म देश भक्त भी आप को इसी राम सेना से ही मिलेंगे.ईद ए मिलाद के वक्त झुटे नारे खुद लगा कर मिलाद के जुलुस से घर लौटने वालों पर मुकद्दमे दर्ज करनेवालों में रामसेना के ही लोग थे.शहर के तमाम फसाद के पीछे अगर संजीदगी से गौर किया जाय तो रामसेना का ही हाथ नजर आएगा.और ये कोई छिपी बात नहीं बल्कि पुलिस दस्तावेज में भी मौजूद है.रामसेना के बैनरों पर भी आप को मजहबी तशद्दुद फैलानेवाले मजमून ही मिलेंगे.इन को देखते हुए शहर ए बेलगाम के तमाम अम्न पसंद लोगों का मुजाहरा है के जल्द से जल्द राम सेना पर पाबंदी लगा कर शहर में पुर सुकून माहोल को बनाये रखने में मदद करे.हाल ही में गांधी नगर में जो फसाद बरपा हुआ उसमे ये देखा गया के फिरकापरस्त बेखौफ हो कर तलवारों का मुजाहरा करते दिखाई देते है.हथियार लेकर किसी को भी जख्मी या कत्ल करने में इन्हे कोई डर नहीं लगता.इनकी नकिल कस्ना है तो गिरफ्तारी के बाद जल्द इन्हे जमानत ना दी जाय.
कर्नाटक में पर सुकून माहोल के लिए रास्ते हमवार करने है तो फौरी तौर पर रामसेना पर पाबंदी आएद कर दी जाय.गिरफ्तार होने के बाद ज़मानत पर रिहा ना किया जाय.देखा ये भी गया है के बेलगाम जेल में इन्हे तमाम सहूलते मुहैया करायी जाती है.सुबह शाम बेहतरीन खाने फिरकापरस्तों को लिए परोसे जाते है.मुस्लिम नौजवानों को जेल की सफाई और झाड़ू पोछा लगवाने का काम करवाया जाता है.मुस्लिम लीडर जेल में जाकर पूछताछ भी नहीं करता दूसरी तरफ बजरंगदल,रामसेना और भाजपा के एमपी,एमएलए दिन में दो बार फसादियों से मिलते है.उनकी हिम्मत अफ़ज़ाई करते है.ताके बाहर आने के बाद फसाद में हिस्सा ले.गांजा शराब जैसी नशीली चीज़े भी जेल इंतजामिया फिरकापरस्तों को सप्लाई करवाती है.जेल इनके लिए होटल होती है.इनपर कोई दबाव नहीं होता.इसपर भी रोक लगा दी जाय ताके फिरकापरस्त जेल जानेसे डरने लगे.
- इक़बाल अहमद जकाती
एडिटर
एडिटर
पैगाम ए इत्तेहाद
बेलगाम ,कर्नाटक
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