प्रफेसर एम.एम.कलबुर्गी |
गोविन्द पंसारे |
नरेन्द्र दाभोलकर |
ज्ञातव्य है कि वामपंथी विचारक और हंपी यूनिवर्सिटी के पूर्व उप कुलपति प्रफेसर एम.एम.कलबुर्गी की उनके निवास स्थान धारवाड़ में कुछ अज्ञात बंदूकधारी ने गोली मारकर हत्या कर दी। वारदात रविवार सुबह 9 बजे हुई। कलबुर्गी एक तरह से कर्नाटक के दाभोलकर थे। महाराष्ट्र के रहने वाले नरेंद्र दाभोलकर जिनकी अगस्त 2013 में हत्या कर दी गई थी, की ही तरह प्रफेसर कलबुर्गी का भी दक्षिणपंथी हिंदुत्व विचारकों के साथ पिछले कई साल से विरोध था। अज्ञात हमलावरों की गोलियों के शिकार बने महाराष्ट्र के वरिष्ठ सीपीआई नेता गोविंद पांसरे की मौत हो गई थी. 16 फ़रवरी 2015 को कोल्हापुर में कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें गोली मार दी थी.
यह सिलसिला अब थमने वाला नहीं है. आने वाले दिनों में इनकी नीतियों का जो भी विरोध करेगा उसकी हत्या इनके द्वारा प्रसारित उग्र हिन्दुवत्व वाले लोग कर देंगे. आरक्षण का सवाल हो या जादू-टोना या अंधभक्ति का विरोध जो शक्तियां करेंगी उनको नेस्तानबूत करने के लिए यह सब हर संभव प्रयास करेंगी. इनकी भाषा बहुरूपिये की भाषा है जो एक समय में ही चार तरह की भाषा बोलते हैं.
आरक्षण के समर्थन में जो शक्तियां आयेंगी उनके दमन की भी पूरी तैयारी नागपुर मुख्यालय ने कर रखी है. अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले दंगो में उनकी हत्याएं तथा उनकी संपत्ति की लूट-पाट का काम अब पिछड़े व दलित जो उग्र हिन्दुवत्व से ओत-प्रोत होते हैं उन्ही से कराते हैं और वैचारिक समर्थन सवर्ण जातियों के उग्र हिन्दुवत्वादी देते हैं.
मुल्क खतरे में है देश की एकता व अखंडता खतरे में है. जिस तरह से उग्र हिन्दुवत्व लागू किया जा रहा है उससे वैज्ञानिक सोच रखने वाले लोगों का जीवन संकट में है. देश बहुधर्मी, बहुजातीय, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषीय व बहुनस्ली है, परस्पर एक दुसरे के सम्मान से ही देश की एकता और अखंडता को सुरक्षित रखा जा सकता है. उग्र हिन्दुवत्व वाले लोग हत्याओं और दुष्प्रचार का सहारा लेकर एक छोटे से तबके के लिए उग्र हिन्दुवत्व विचारों वाला देश बनाना चाहते हैं जो असंभव है.
सुमन
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