देश में आमिर खान के बयान पर हंगामा हो सकता है. साध्वी और गेरुवा वस्त्र धारी लोग उत्तेजक व गलत बातों को बोलकर हो हल्ला हंगामा कराते रहते हैं. यह उसी नियोजित तरीके से किया जाता है कि चोरों को जब चोरी करनी होती है तो दूसरे क्षेत्र में चोर चोर की आवाज देने लगते हैं और जो लोग चोर पकड़ने के लिए भागते हैं तो चोरी उन्ही के घरों में हो जाती है. देश भक्ति व राष्ट्रभक्ति का नारा लगाने वाले लोग जब ज्यादा जोर शोर से हल्ला मचाने लगते हैं तो निश्चित रूप से आर्थिक अपराधी कोई न कोई बड़ा अपराध कर रहे होते हैं. इसका प्रत्यक्ष उदहारण रिलायंस उद्योग समूह द्वारा गैस चोरी की घटनाएं हैं. जो हज़ारों हज़ार करोड़ रुपये की हैं उसके ऊपर देशभक्ति राष्ट्रभक्ति का प्रमाणपत्र जारी करने वाले नागपुर मुख्यालय या भगवा वस्त्र धारी तथाकथित नेता कोई आवाज नहीं लगायेंगे.
लाखों-लाख करोड़ रुपये का वारा-न्यारा करने वाली रिलायंस इंडस्ट्री और देश में प्राकृतिक गैस निकालने वाली सरकारी कंपनी
ओएनजीसी के पूर्व में रहे एक विवाद की जांच कर रही अमेरिकी एजेंसी डगोलायर
एंड मेकनॉटन की रिपोर्ट में सामने आया है कि आरआईएल ने 11 हज़ार करोड़ कीमत
की गैस चोरी क
रिलायंस इंडस्ट्री न सिर्फ अपने ब्लॉक के चार कुओं से गैस निकाल रही है,
बल्कि ओएनजीसी के नियंत्रण वाले ब्लॉक की गैस का भी दोहन कर रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस के ब्लॉकों की मौजूदगी से ओएनजीसी की
तकरीबन 11.12 घन मीटर गैस जिसकी कीमत तकरीबन 11,055 करोड़ है का दोहन
प्रभावित हुआ है।
यह कम्पनियाँ पर्यावरण तथा स्थानीय जनता के जीवन से खिलवाड़ भी करती रहती हैं लेकिन उसकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. वही अक्टूबर 2015 में शहडोल में बुधवार की
रात करीब 9.30 के आस-पास ग्राम चंगेरा की खैरहनी बस्ती में रिलायंस सीबीएम
प्रोजेक्ट द्वारा गैस खनन के लिए किए गये बोर वेल में पंप डालने के दौरान
भू-गर्भ से बने गैस के दबाव ने कंपनी के कर्मचारियों के लिए समस्या खड़ी कर
दी। आग के शोलों के साथ हुए तेज धमाके ने ग्रामीणों को भविष्य के लिए
चिंता में डाल दिया, हुए धमाके से ग्रामीणों के घरों में दरारे पड़ गई,
वहीं देर रात हुए धमाके के बाद ग्रामीण घर छोड़कर खेतों की ओर भाग लिए,
यहीं नहीं कुछ ग्रामीणों ने गुस्से में बोर क्षेत्र को घेर कर रिलायंस के
कर्मचारियों की पिटाई भी कर दी।
इन चोरों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए इस देश में न कोई कानून है न संविधान है. गरीब आदमियों के लिए ही कानून और संविधान और जेलें हैं. इनकी देशभक्ति, राष्टभक्ति का सर्टिफिकेट स्थायी रूप से नागपुर मुख्यालय ने जारी कर रखा है जिस तरह से 1757 से 1947 तक ब्रिटिश साम्राज्यवाद के लिए राष्ट्रभक्ति, देशभक्ति का प्रमाणपत्र पहले से जारी हुआ था. उनके खिलाफ आज भी नागपुर मुख्यालय बोलने में मूक और बधिर साबित होता है. अब सवाल यह उठता है कि इन चोरों का सरगना कौन है.
महाराष्ट्र में किसान घाटे की खेती के कारण कर्ज के मकडजाल में फंस गए हैं. आये दिन किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं. उनको कोई छूट सरकार देने में असमर्थ है लेकिन इस बीच संचार माध्यमों से मालूम होता रहता है कि लाखों करोड़ों रुपये की छूट उनको दी जा रही है देश के बहुसंख्यक आबादी का कोई पुरसाहाल नहीं है. कुछ मल्टी नेशनल कंपनियों का चारागाह देश को बना दिया गया है.
सुमन
3 टिप्पणियां:
असली मुद्दे छुपाने के लिए ही तो ऐसे मुद्दों में उलझाए रखा जाता है।
असहिष्णुता टाइप मुद्दे
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