
वहीँ, कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी लिखते है आईएस की भाड़े की फौज को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह नया फिनोमिना है। लेकिन
सच यह है कि भाड़े की फौज खड़ी करना,आतंकी हमले करना,स्थिर सरकारों को
गिराना और उनके स्थान पर कठपुतली सरकारों को बिठाने का धंधा बहुत पहले से
सीआईए करता रहा है। मध्यपूर्व में दाखिल होने के पहले अनेक देशों में भाड़े
के सैनिकों की भर्ती करके हमला करने,हमला गुटों को हथियार देने,पैसा
देने,प्रशिक्षण देने आदि के काम भी सीआईए करता रहा है। मीडिया में आईएस और
उसकी भाड़े की सेना का कवरेज कुछ इस तरह आ रहा है कि यह कोई नई बात हो।
शीतयुद्ध के दौरान सीआईए ने भाड़े की सेना खड़ी करने के मामले में
विशेषज्ञता हासिल कर ली थी और अनेक देशों में जनता के द्वारा चुनी गयी
सरकारों को गिराया,उनके खिलाफ भाड़े के सैनिकों के जरिए युद्ध चलाए, उन
देशों में अस्थिरता पैदा की ।
रूस के लड़ाकू विमान को नाटो सदस्य देश द्वारा मार गिराए जाने की घटना के बाद एक बड़े युद्ध की भूमिका बन रही है. जिसमें उस क्षेत्र के निवासियों को ही मरना है, अपंग होना है. संयुक्त राष्ट्र संघ, सुरक्षा परिषद् जैसे संगठन साम्राज्यवादी मुल्कों के आगे काफी पहले ही बौने साबित हो गए हैं. सी आई ए अपनी नापाक गतिविधियाँ जारी किये हुए है. उसकी योजनाओं को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के पास कोई योजना नहीं है. सी आई ए पहले भी दुनिया में किस देश में कौन शासक होगा यह तय करता आया है. उसकी इच्छा के विपरीत अगर कोई शासक हुआ तो उसके कत्लेआम करने की एक बड़ी परंपरा है.
सुमन
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