भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना दिखाने वाले नरेन्द्र दामोदर मोदी प्रधानमंत्री तो बन गए लेकिन बुलेट ट्रेन को चलाने के लिए 98,805 करोड़ रुपए का क़र्ज़ जापान से लेकर ऋण गुरु जरूर बन गए हैं. बुलेट ट्रेन स्टेटस सिंबल का सवाल तो हो सकता है लेकिन जनता को इससे कोई लाभ नहीं होने जा रहा है. अहमदाबाद से मुंबई तक हवाई जहाज का किराया 1720 रुपये प्रति व्यक्ति है और यात्रा का समय 70 मिनट है वहीँ बुलेट ट्रेन का संभावित किराया 2800 रुपये प्रति व्यक्ति होगा. यात्रा का समय दो घंटे होगा. अब कौन सी यात्रा सस्ती होगी यह उस रूट के यात्रियों को तय करना होगा इसीलिए दुनिया में बुलेट ट्रेन सफल नहीं हो पा रही है. जापान वर्षों से दुनिया के अन्दर बुलेट ट्रेन की तकनीक को बेचने या निर्माण करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी अब जाकर उसे 505 किलोमीटर के रूट पर बुलेट ट्रेन परिपथ बनाने का कार्य मिल पाया है.
भारत के ऊपर लगभग 287,500,000,000.00 डॉलर का कर्जा है और 505 किलोमीटर बुलेट ट्रेन के लिए लगभग 98805 करोड़ रुपये का जापान से कर्ज लेना कहीं से बुद्धिमानी का कार्य नहीं है. देश के बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्ज के ब्याज के रूप में निकल जायेगा जिससे विकास के साथ-साथ जनता की बुनियादी आवश्यकताएं पूरा करने में असमर्थता सरकार के हिस्से में आएगी. लोगों का कहना है कि इतना बड़ा कर्ज लेने के बाद भारत इंडोनेशिया के बाद दूसरा बड़ा कर्जदार मुल्क बन जायेगा. इंडोनेशिया के ऊपर इस वक्त लगभग 190,700,000,000.00 डॉलर का कर्ज विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनो व देशों का है.
हमारे प्रधानमंत्री जी जनता की बुनियादी आवश्यकताओं में मुख्य भोज्य पदार्थ की महंगाई को रोकने में असमर्थ हैं. लहसुन के दाम 240 रुपये प्रति किलो तथा अरहर की दाल 200 रुपये प्रति किलो है. अन्य खाद्य पदार्थ भी अपनी चरम सीमा पर हैं.
जनता की बहुसंख्यक आबादी की समस्याओं से प्रधानमंत्री आँख मूंदे हैं और अभिजात्य वर्ग के दिवा स्वप्नों को पूरा करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं जिससे यह साबित हो रहा है कि बहुसंख्यक आबादी जिये या मरे लेकिन देश में अभिजात्य वर्ग के लिए बुलेट ट्रेन व क्योटो सिटी बसायेंगे. जापान के इस करार से हम सब ऋण गुरु हो गए हैं .
सुमन
1 टिप्पणी:
एक दम सही विषय उठाया है। वर्तमान रेल व्यवस्था तो सही चल नहीं पा रही! सामान्य डिब्बे में शीट उपलब्ध नहीं। बुलेट ट्रेन के लिये कर्ज लेना बुद्धिमानी नहीं कही जा सकती!
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