
आतंकवाद के सवाल पर अमरीकी व उसके मित्र देश ने अपने वेतनभोगी लोगो द्वारा आतंकवाद की घटनाये कराकर इस्लाम के चेहरे को बदनाम करने का काम किया | जिहाद ,इस्लाम ,मुसलमान आदि शब्दों के नये अर्थ पश्चिमी मिडिया ने गढ़े और फिर आतंकवाद को समाप्त करने के नाम पर इराक , लीबिया से लेकर अफ़गानिस्तान तक उनकी सरकारो का विनाश करते हुए वहा के निवासियों को मार डालने की प्रक्रिया जारी की |
पश्चिमी मीडिया ने अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से पूरी दुनिया के मुसलमानों को जितना बदनाम कर सकते थे उतना बदनाम किया और फिर उनका नर संहार किया | भारत पकिस्तान सम्बन्धो में कश्मीर समस्या पैदा करने में सी.आई.ए. का मुख्य हांथ है अमरीकी नही चाहते है कि भारत पकिस्तान एकता हो ,इसलिए आये दिन जम्मू एंड कश्मीर बार्डर पर रोज गोलाबारी होती रहती है पकिस्तान की सेना व आई.एस.आई.अमरीकी नियत्रित तंत्र है | वही अपने देश की सरकार पकिस्तान पर हल्ला भी मचाती है फिर बैंकाक में जाकर हाथ भी मिलाती है और अब तो बिदेश मंत्री सुषमा स्वराज पकिस्तान जाकर बातचीत का एक नया दौर प्रारंभ कर रही है | एन.डी.ए.सरकार की पकिस्तान के सम्बन्ध में कोई नीति नही है वोट के सवाल को लेकर देश के अन्दर पकिस्तान विरोध और लम्बी-लम्बी भड़काऊ बाते लेकिन अचानक दोस्ती करने में भी पीछे नही रहते है | दोस्ती का अंत सैनिको की जान लेकर समाप्त होती है |
वही नेहा दभाड़े एवं इरफान इंजीनियर लिखते है 'अमरीका के नेतृत्व में चल रहे ‘‘आतंक के विरूद्ध युद्ध’’ के कारण पूरी
दुनिया अशांत और असुरक्षित बन गई है। फ्रांस सहित अमरीका के मित्र देशों और
आईसिस के बीच चल रहे युद्ध में निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। यह युद्ध न
तो समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व के मूल्यों और ना ही जीवन जीने के पश्चिमी
तरीके की रक्षा करने के लिए लड़ा जा रहा है। इसका उद्देश्य इस्लाम या
बंधुत्व, समानता, सामाजिक न्याय, करूणा, मानवीय गरिमा और अन्य इस्लामिक
सिद्धांतों की रक्षा करना भी नहीं है। ‘‘हमारे जीवन जीने के तरीके की
रक्षा’’ जैसे नारे इस युद्ध के शिकार लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए उछाले
जा रहे हैं। इनका उद्देश्य जनमत को प्रभावित करना और करोड़ों डॉलर के खर्च
और लाखों लोगों की जिंदगियों से खेलने को औचित्यपूर्ण ठहराना है। इस्लाम के
प्रति घृणा फैलाना, इस युद्ध का एक महत्वपूर्ण हथियार है।,
सुमन
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