व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश के सत्तारूढ़ दल व संघ के लोगों के लिप्त होने का मामला है. इस घोटाले में अब तक 50 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. वहीँ आज इस घोटाले का पर्दाफाश करने वाले आशीष चतुर्वेदी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, स्वास्थ्य मंत्री रिटायर्ड आई पी एस हरी सिंह यादव व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनकी जान को खतरा है इसलिए सुरक्षा दी जाए.
मुख्य सवाल यह है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने को सांस्कृतिक संगठन कहता है लेकिन मध्य प्रदेश में इसके प्रशिक्षित बहुत सारे नेता व कार्यकर्ता व्यापम घोटाले से सम्बद्ध हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट चतुर्वेदी की सुरक्षा सम्बन्धी मांग इसलिए भी जायज है कि
संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं ने जब राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को नहीं बक्शा तो आशीष चतुर्वेदी उनके सामने कुछ भी नहीं हैं. व्यापम घोटाले के मुख्य तथ्य यह हैं :- मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल राज्य में कई प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के
लिए जिम्मेदार राज्य सरकार द्वारा गठित एक स्व-वित्तपोषित और स्वायत्त
निकाय है। ये प्रवेश परीक्षाएँ, राज्य के शैक्षिक संस्थानों में तथा सरकारी
नौकरियों में दाखिले और भर्ती के लिए आयोजित की जाती हैं। नौकरियों में अपात्र परीक्षार्थियों और उम्मीदवारों को
बिचौलियों, उच्च पदस्थ अधिकारियों एवं राजनेताओं की मिलीभगत से रिश्वत के
लेनदेन और भ्रष्टाचार के माध्यम से प्रवेश दिया गया एवं बड़े पैमाने पर
अयोग्य लोगों की भर्तियाँ की गयी।
पहली एफआईआर 2009 में दर्ज हुई।इसके लिए राज्य सरकार ने मामले की जाँच के लिए एक समिति कि स्थापना की।समिति ने २०११ में अपनी रिपोर्ट जारी की, और एक सौ से अधिक लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था तथा कई अब भी फरार हैं।
व्यापम
घोटाले की व्यापकता सन २०१३ में तब सामने आई जब इंदौर पुलिस ने २००९ की
पीएमटी प्रवेश से जुड़े मामलों में 20 नकली अभ्यर्थियों को गिरफ़्तार किया
जो असली अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा देने आए थे.
जगदीश सागर का नाम घोटाले के मुखिया के रूप में सामने आया जो एक
संगठित रैकेट के माध्यम से इस घोटाले को अंजाम दे रहा था। जगदीश सागर की
गिरफ़्तारी के बाद राज्य सरकार ने २६ अगस्त २०१३ को एक विशेष कार्य बल की स्थापना की और बाद की जाँच और गिरफ्तारियों से घोटाले में कई
नेताओं, नौकरशाहों, व्यापम अधिकारियों, बिचौलियों, उम्मीदवारों और उनके
माता-पिता की घोटाले में भागीदारी का पर्दाफाश हुआ।
जून २०१५ तक २००० से
अधिक लोगों को इस घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया जा चुका है जिस में
राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और एक सौ से अधिक अन्य
राजनेताओं को भी शामिल हैं
जुलाई २०१५ में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने
देश के प्रमुख जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो को मामले की जाँच स्थानांतरित करने के लिए एक आदेश जारी किया।
सुमन
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-01-2016) को "विवेकानन्द का चिंतन" (चर्चा अंक-2217) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
नववर्ष 2016 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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