दिल्ली में आरएसएस मुख्यालय के सामने छात्र-छात्रों के प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस ने चापलूसी में जमकर लाठी चार्ज किया इस लाठी चार्ज में पुलिस के साथ-साथ संघी व अराजक तत्व भी छात्र-छात्रों को पीटने में आगे थे.
इस सम्बन्ध में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर मिस्टर बी.एस. बस्सी ने कहा कि छात्र-छात्रों के प्रदर्शन में उकसावेपूर्ण कार्यवाई के कारण बल प्रयोग करना पड़ा. लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कार्यों के ऊपर लाठी चार्ज या बल प्रयोग करना कानून और संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है. छात्र अगर उकसावे पूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे तो क्या बस्सी साहब और उनकी पुलिस लाठी चार्ज व बल प्रयोग संघी गुंडों के साथ करके भारतीय संविधान व कानून व्यवस्था को गंगा स्नान कराकर पवित्र गाय बना रहे थे. लोकतंत्र में और वर्तमान सरकार में जिम्मेदारीपूर्ण पदों पर बैठे हुए लोग अपनी जिम्मेदारियों का संविधान व कानून के हिसाब से पालन नहीं कर रहे हैं. चापलूसी कर सत्तारूढ़ दल के नेताओं को खुश करने की जो प्रक्रिया है वह लोकतंत्र और संविधान के लिए घातक है. उकसावे में आकर क्या पुलिस बल जनता को मार डालेगा. उकसावे में आकर क्या वह संविधान और कानून को छोड़ कर गुंडागर्दी की स्तिथि में आ जायेगा. बस्सी साहब का यह बयान निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है. रिटायरमेंट के बाद और कुछ पाने की इच्छा और आकांक्षा इस तरह के कार्यों को करने के लिए प्रेरित करती है.
संघी गुण्डों और संघी पुलिस की एकता का अदभुत नजारा और झूठ के दोनों कारखाने इस एकता को नकार रहे हैं। |
दिल्ली पुलिस ने पिछले वर्ष 2015 में 10 निरीक्षकों समेत करीब 490 कर्मियों को
निलंबित किया गया और इसके साथ ही भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शुरू की
गई, सतर्कता जांच की संख्या में 55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पुलिस
रिकॉर्ड के अनुसार निलंबित किए गए अधिकारियों में 90 उप-निरीक्षक, 46 सहायक
उप-निरीक्षक, 97 हेड कांस्टेबल और 247 कांस्टेबल शामिल हैं। अगर सावधानीपूर्वक दिल्ली पुलिस के सम्पूर्ण क्रियाकलापों की जांच की जाए तो उसका और भयानक चेहरा सामने आएगा. उकसावेपूर्ण कार्यवाई की बात कहकर बचाव करना कहीं से उचित नहीं है.
संघी अपने को पुलिस के साथ होने पर बहुत बहादुर समझते है. पहले यह ब्रिटिश पुलिस के साथ यही काम करते थे और अब दिल्ली पुलिस के साथ. मुखबिरी इनका मुख्य पेशा रहा है. बटेश्वर इनका मुख्य चेहरा है मुख्य पहचान है.
सुमन
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