पटियाला कोर्ट के सामने बस्सी की कानून व्यवस्था |
दिल्ली देश की राजधानी के साथ दुनिया में लोकतांत्रिक देशों में एक प्रमुख शहर है. यहाँ की छोटी बड़ी घटनाओं के ऊपर विश्व की नजर रहती है. दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित कानून व्यवस्था स्थापित करने वाला बल है. कल जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पटियाला कोर्ट में उपस्थित कराने में दिल्ली पुलिस नाकाम रही. बड़े-बड़े दावे करने वाले पुलिस कमिश्नर बस्सी व उनकी पुलिस ने संसद मार्ग स्तिथ थाने में रिमांड के लिए सम्बंधित मजिस्टेट को बुला कर लेना पड़ा. पटियाला हाउस के अन्दर व बाहर केंद्र में शासित सत्तारूढ़ दल के विधायक से लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् कार्यकर्त्ता व उनसे सम्बंधित अधिवक्ता जेएनयू के प्रोफेसर्स, छात्रों, पत्रकारों की पिटाई अभियान में लगे हुए थे. वहीँ, कन्हैया कुमार के समर्थकों की भी पिटाई की गयी. जिससे वह लोग कन्हैया कुमार की पैरवी न कर सके. पुलिस की सोची समझी रणनीति के तहत इस तरह की कार्यवाईयां होती हैं. कुछ वर्षों पुर्व लखनऊ में भी गिरफ्तार लोगों की पैरवी न करने देने के लिए पुलिस, एटीएस, एसटीऍफ़ व कथित हिन्दुवत्ववादी अधिवक्ताओं व उनके कार्यकर्ताओं ने मुहम्मद शुऐब एडवोकेट की यह कहते हुए पिटाई कोर्ट रूम में कर दी कि यह पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे.
देश में दंगा कराने के लिए 5 जनवरी 2012 को
कर्नाटक की सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और श्रीराम सेना के आधा दर्जन लोगों को
पाकिस्तानी झंडा फहराकर दंगा भड़काने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया है. दूसरे
दिन झंडा फहराए जाने के खिलाफ बजरंग दल और श्रीराम सेना समेत अनेक संगठनों ने बंद
का आव्हान किया था. इधर श्रीराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक ने कहा
है कि गिरफ्तार किए गए लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य हैं.
इस तरह की घटनाएं देश के अन्दर कानून व्यवस्था को खराब करने के लिए संघी गिरोह करता रहता है. सर्व विदित है कि यह सारी घटनाएं बराबर समाचारों में आती रहती हैं. क्या दिल्ली पुलिस कमिश्नर बस्सी को यह चीजें नहीं दिखाई देती हैं. जवाहर लाल नेहरु विश्व विद्यालय के प्रकरण से दिल्ली पुलिस की भूमिका नागपुर मुख्यालय द्वारा संचालित एक अनुवांशिक संगठन जैसी हो गयी है. यदि जरा सा भी शर्म दिल्ली पुलिस में बाकी है तो उसे तुरंत पटियाला कोर्ट के अन्दर व बाहर हुई मारपीट के ऊपर कार्यवाई करनी चाहिए लेकिन कहीं नथुनी उतर न जाए इसलिए बड़ी शर्मिंदगी पूर्ण स्तिथि में भी आकर दिल्ली पुलिस कार्यवाई करने की स्तिथि में नहीं है. वहीँ, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया कि जेएनयू में चल रहे विवाद के पीछे 26/11 के मुख्य आरोपी हाफिज़ सईद का हाथ है कहकर जेएनयू परिसर की घटना को नयी धार देने की कोशिश की. क्या बस्सी साहब में दम है कि इस तरह की आधारहीन बयानों के लिए कोई भी कार्यवाई करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगेंगे.
महात्मा गाँधी की हत्या से लेकर हाफिज सईद से मिलने जाने वाले लोगों की राष्ट्रभक्ति व देशभक्ति की उनकी परिभाषा क्या है. जम्मू एंड कश्मीर अलगाववादी नेता सज्जाद लोन को अपने कोटे से मिनिस्टर बनाने वाले लोग दिल्ली में ही रहते हैं. जम्मू एंड कश्मीर के भारतीय जनता पार्टी के उमीदवारों की लिस्ट उठाकर अगर बस्सी साहब देखें तो अधिकांश प्रत्याशी अलगाव वादी नेता हैं. क्या उनके आकाओं ने निवास स्थान दिल्ली में नहीं हैं, देखने की जरूरत है.
भारतीय नौकरशाही पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल के एजेंट के रूप में काम करने की आदत डाल ली है और सेवानिवृत्त होने के बाद शेष जीवन मलाई खाने के लिए इस तरह के कार्य करना उनकी मजबूरी है. शर्म और हया इनके चेहरे पर नहीं है.
सुमन
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