2010
में दूसरी बार राज्य सभा की सदस्यता के लिए दाखिल किए गए हलफनामा में शराब कारोबारी विजय माल्या ने कहा था कि उनके पास कोई भी
प्रॉपर्टी नहीं है और न ही कोई कर्ज उन पर बकाया है। बैंकों व वित्तीय
संस्थानों से लोन से संबंधित कॉलम में उन्होंने NIL लिखा था। लेकिन माल्या की कम्पनी को बैंको ने बगैर पड़ताल के लोन दिया था कंपनियों का लोन इसी तरह देते ही है और फिर कर्ज डूब जाता है नेता और अफसर दोनों खुश रहते है
यह बात अब प्रकाश में आई है तो वही बैक किसानो को लोन स्वीकारते समय इतने दस्तावेज मांगती है कि जिसको पूरा करने के किसान हजारो रुपएखर्ज करने के बाद भी जब कमीशन देता है तब उसको लोन मिलता है विजय माल्या चौकीदार को धता बताकर भाग गया चौकीदार ऊँघता ही रहा . चौकीदार ऊँघता ही रहेगा इससे वोट नही बढना है नागपुरी आकाओ का मुस्लिम विरोध भी शामिल नही है
चौकीदार झूठ का सौदागर है इसी सौदागरी के कारण वह आज शासन में है इसके पुरखे हिटलर ने भी इसी तरह राज्य पर कब्जा किया था फिर नरसंघार किया था
सुमन
लो क सं घ र्ष !
यह बात अब प्रकाश में आई है तो वही बैक किसानो को लोन स्वीकारते समय इतने दस्तावेज मांगती है कि जिसको पूरा करने के किसान हजारो रुपएखर्ज करने के बाद भी जब कमीशन देता है तब उसको लोन मिलता है विजय माल्या चौकीदार को धता बताकर भाग गया चौकीदार ऊँघता ही रहा . चौकीदार ऊँघता ही रहेगा इससे वोट नही बढना है नागपुरी आकाओ का मुस्लिम विरोध भी शामिल नही है
चौकीदार झूठ का सौदागर है इसी सौदागरी के कारण वह आज शासन में है इसके पुरखे हिटलर ने भी इसी तरह राज्य पर कब्जा किया था फिर नरसंघार किया था
सुमन
लो क सं घ र्ष !
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-03-2016) को "लोग मासूम कलियाँ मसलने लगे" (चर्चा अंक-2280) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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