सोमवार, 7 मार्च 2016

काश ! यही इलाज मोहन भागवत का कर देते

अरुण जेटली ने कहा कि जब कन्हैया जेल से निकलकर आए, तो उन्हें तिरंगा दिखाकर भारत माता की जय बोलना पड़ा। यह टिप्पणी करते समय अरुण जेटली को यह याद नहीं रहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय पर तिरंगा झंडा नहीं फहराया जाता है और जब राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा तय हुआ था तो संघ ने जमकर विरोध किया था. भारतीय संविधान की प्रस्तावना से लेकर राष्ट्रीय ध्वज तक संघ और उसके संगठन नहीं मानते हैं. संविधान के अनुसार देश धर्मनिरपेक्ष है और संघ उसको हिन्दू राष्ट्र के रूप में बदल देना चाहता है. तिरंगे झंडे का कभी भी विरोध कम्युनिस्ट पार्टियों ने नहीं किया है. 1947 तक के संग्राम में जो भी कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थक या सदस्य था वह जेल गया था. उस समय संघ के गुरु गोलवलकर से लेकर आजादी के बाद तक संघ अंगेजों की ही वकालत में लगा रहा. पता नहीं क्या हो गया है कि इन नेताओं को सफ़ेद झूठ बोलते समय भी जरा सा भी लज्जा और एहसास नहीं होता है. महात्मा गाँधी से विचारों का विरोध तो हो सकता है लेकिन हत्या जैसे जघन्य अपराध को आप ही की विचारधारा को मानने वाले लोगों ने किया और आज भी गोडसे वाद का समर्थक संघ है. आजादी की लड़ाई में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ कम्युनिस्टों का महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन धर्म के आधार के ऊपर देश विभाजन का सिद्धांत संघ का ही है. अब इतिहास के पन्नो को झुठलाने का काम सुनियोजित तरीके से संघ परिवार कर रहा है. उसी का एक हिस्सा अरुण जेटली का बयान है. कम्युनिस्ट किसी की चरित्र हत्या व झूठे लांछन लगाने का काम नहीं करते हैं. गाँधी और नेहरु की चरित्र हत्या का काम गोडसेवादी आज भी कर रहे हैं.
अगर कन्हैया को फर्जी मामले में जेल भेजने से राष्ट्रवाद पैदा हुआ है तो मोहन भागवत से लेकर उनके मानने वाले सभी लोगों को अरुण जेटली जी जेल की यात्रा करा दीजिये शायद उनके अन्दर देश भक्ति और राष्ट्र प्रेम जाग्रत हो जाए और वह भी इच्छा पूरी हो जाए की आजादी की लड़ाई में जेल नहीं जा पाए थे. अब वह हसरत पूरी हो जाए.
पूंजीपतियों की गुलाम सरकारों की वकालत आप कर सकते हैं, कम्युनिस्ट नहीं. इस देश के अन्दर रहने वाले लोगों का देश और उनकी जीवन पद्धतियों के अनुसार उनको रहने का अधिकार है. उनकी व्यवस्था में आपको कोई हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. आप सभी लोग अम्बानी, अडानी के मुनाफे को बढाने के लिए कार्य करते रहिये. मेनगे, बेरोजगारी, भूंख, शोषण, अत्याचार के सम्बन्ध में आप के पास कोई कार्य योजना नहीं है, इसीलिए आप सभी लोग देशभक्तों को देशद्रोही साबित करने का भरपूर प्रयास करते हैं जिससे अंग्रेजों की मुखबिरी करने जैसे मामलों से मुक्ति मिल सके लेकिन यह मुक्ति नहीं मिल सकती है. आज भी आपका चरित्र बदला नहीं है. आप कॉर्पोरेट सेक्टर से गुलाम हैं और गुलामी करके खुश रहिये. 

सुमन 
मथुरा। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को जवाहार लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) विवाद पर वामदलों पर हमला बोलते हुए उन्हें देश विरोधी करार दे डाला। उत्तर प्रदेश के मथुरा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के राष्ट्रीय अधिवेशन में बोलते हुए जेटली ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी महात्मा गांधी का विरोध करती थी और वे भारत को स्वायत्ता दिए जाने के खिलाफ थे।
उन्होंने आगे कहा कि जब भारत को स्वतंत्रता मिली तो सभी वाम दल लोकतंत्र के खिलाफ थे। वाम दल भारत के हिंसक बटवारे में विश्वास रखते हैं। देश के खिलाफ बोलने की परंपरा में ये दल विश्वास रखते हैं। देश में जब आपातकाल लगा था, तब वामदल ही थे जिन्होंने कांग्रेस का इस कदम पर समर्थन किया था।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर जेटली ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल जेएनयू विवाद पर गंदी राजनीति कर रहा है। इसी हफ्ते जेल से छूटने के बाद जेएनयू में कन्हैया कुमार के भाषण पर टिप्पणी करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि यह विचारधारा कि लड़ाई है जिसमें भाजपा की जीत हुई है।
उन्होंने कहा, जब कन्हैया जेल से निकलकर आए, तो उन्हें तिरंगा दिखाकर भारत माता की जय बोलना पड़ा। यह हमारी वैचारिक जीत थी। बीजेवाईएम के इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने जेएनयू मुद्दे पर विपक्ष पर जमकर हमला बोला। शनिवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला
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