जैन मुनि तरुण सागर ने हरियाणा विधानसभा में प्रवचन दिए और उन्होंने संसद और विधानसभाओं के सदस्यों को खतरनाक व्यक्ति घोषित कर दिया लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने की आजादी है. जैन मुनि साहब को भी अपनी बात कहने की आजादी है लेकिन हरियाणा विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जैन साहब को खुश करने के लिए जिस तरह से धर्म गुरु तरुण सागर का प्रवचन कराया गया है, क्या उसी तरह भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप संसद से लेकर विधानसभाओं तक विभिन्न धर्मों के धर्माचार्यों का प्रवचन होना चाहिए और सबसे बड़ी चीज है कि जैन मुनि साहब ने कहा कि राजनीति में नीति का मतलब धर्म ही होता है तो वर्तमान सन्दर्भों में भारतीय राजनीति में नीति का अर्थ हिन्दू धर्म या जैन धर्म या इस्लाम धर्म की नीतियों का होना चाहिए यह बात साफ़ नहीं हुई लेकिन मानव की जनसँख्या के आधे भाग को अर्थात महिलाओं को सम्मानीय कहकर तो संबोधित किया जा सकता है लेकिन उनको आर्थिक तरीके से समर्थ बनाने के लिए आरक्षण नहीं देना चाहिए.
श्री तरुण सागर ने कहा कि सुधार सभी एक विचार के नहीं होते. निंदा उसी की होती है जो जिन्दा रहता है. हाथी
चलता है तो कुत्ते भौंकते ही हैं. संविधान सबको अभिव्यक्ति की आजादी देता
है.की प्रक्रिया ऊपर से शुरू होनी चाहिए. संसद और विधानसभाओं में बैठे
दस हजार लोग खतरनाक हैं. 160 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज है. इसलिए वो
नेताओं को प्रवचन देते हैं. ये राजनीति के सुद्धिकरण की प्रक्रिया है.
श्री सागर ने कहा कि राजनीति में नीति का मतलब धर्म ही होता है. उसके बगैर राजनीति मदमस्त हाथी की तरह हो जाएगी.धर्म में भी बुराइयां आ गई हैं. एक हजार साल बाद धर्म को आग लगा देना चाहिए. महिलाओं में सवाल पर उन्होंने कहा कि महिलाएं पूजनीय है. हालांकि उन्होंने कहा कि महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सन्त का काम बोलने का है, कौन क्या अर्थ निकालता है इसकी उन्हें परवाह नहीं है.
श्री सागर ने कहा कि राजनीति में नीति का मतलब धर्म ही होता है. उसके बगैर राजनीति मदमस्त हाथी की तरह हो जाएगी.धर्म में भी बुराइयां आ गई हैं. एक हजार साल बाद धर्म को आग लगा देना चाहिए. महिलाओं में सवाल पर उन्होंने कहा कि महिलाएं पूजनीय है. हालांकि उन्होंने कहा कि महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सन्त का काम बोलने का है, कौन क्या अर्थ निकालता है इसकी उन्हें परवाह नहीं है.
भारतीय राजनीति में सत्तारूढ़ दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को खुश करने के जो-जो उपाय अपनाए जा रहे हैं वह अद्भुद हैं लेकिन अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष को खुश करने का खट्टर फार्मूला अगर प्रारंभ हो गया तो संसद और विधान सभाएं प्रवचन का केंद्र हो जाएँगी और वहां से भ्रष्टाचार नदारद हो जायेगा ऐसा माना जाना चाहिए.
सुमन
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