बुधवार, 28 सितंबर 2016

न्याय-जांच का काल चेहरा

'CBI अफसर ने कहा, तुम्‍हारी आने वाली पीढ़ियां भी मेरे नाम से कांपेंगी', नौकरशाह बंसल ने सुसाइड नोट में लिखा
कॉर्पोरेट अफेयर मंत्रालय में डीजी थे बीके बंसल
न्याय से पहले जांच. भारतीय न्याय व्यवस्था में पुलिस अपराध की विवेचना करने का काम करती है और विवेचना में संभावित अपराध करने वाले लोगों को पकड़ कर देश के विभिन्न थानों में या सीबीआई, एटीएस, एसटीएफ के कुख्यात यातना गृहों में यातनाएं देकर लाखों लोगों को प्रतिवर्ष जिन्दा लाश के रूप में तब्दील कर दिया जाता है. यह हमारी व्यवस्था की सबसे बड़ी उपलब्धि पूरी दुनिया में है. दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और कमजोर तबकों की हालत बाद से बदतर है इन यातना ग्रहों में कहने के लिए माननीय उच्चतम न्यायलय डी के बसु की व्यवस्था को लागू करने की बात करता है और राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग पूरी दुनिया में इन एजेंसियों के काले कामों को छिपाने के काम के आलावा कुछ नहीं करता है.छत्तीसगढ़ की सोनी सोरी से लेकर देश के विभिन्न गाँवों में इन आधुनिक जल्लादों के काले कारनामे आये दिन प्रकाश में आते रहते हैं. यह लोग कथित अपराधी के परिवार की महिलाओं, बच्चों व रिश्तेदारों को अमानुषिक उत्पीडन करते हैं. इस सन्दर्भ में कंपनी मामलों के महानिदेशक व उनके परिवार की आत्महत्या इन सारी जांच एजेंसियों की पोल खोलती है और इनका चेहरा कितना काला और कुरूप है
कंपनी मामलों के मंत्रालय के महानिदेशक व आईएएस अधिकारी बीके बंसल ने अपने सुसाइड नोट में सीबीआई पर प्रताड़ि‍त करने का आरोप लगाया. बसंल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि सीबीआई उनकी पत्‍नी और बेटी को भी 'टॉर्चर' कर रही थी. बंसल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि 'सीबीआई जांचकर्ता ने कहा था कि तुम्‍हारी आने वाली पीढ़ियां भी मेरे नाम से कांपेंगी.' बंसल ने लिखा कि उनकी पत्नी को थप्पड़ मारे गए, नाख़ून चुभोए गए, गालियां दी गईं. अपने सुसाइड नोट में बीके बंसल ने लिखा है, 'डीआईजी ने एक लेडी अफसर से कहा कि मां और बेटी को इतना टॉर्चर करना कि मरने लायक हो जाएं. मैंने डीआईजी से बहुत अपील की, लेकिन उसने कहा, तेरी पत्नी और बेटी को ज़िंदा लाश नहीं बना दिया तो मैं सीबीआई का डीआईजी नहीं इसके अलावा एक हवलदार ने मेरी पत्नी के साथ बहुत गंदा व्यवहार और टॉर्चर किया, बहुत गंदी गालियां मेरी पत्नी और बेटी को दी. अगर मेरी ग़लती थी भी तो मेरी पत्नी और बेटी के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था.
बीके बंसल के बेटे ने भी अपने नोट में लिखा है, 'मैं योगेश कुमार बंसल बहुत ही दुखी और मजबूरी की स्थिति में सुसाइड कर रहा हूं. मुझे इस सुसाइड के लिए मजबूर करने वाले सीबीआई के कुछ चुनिंदा अधिकारी हैं, जिन्होंने मुझे इस हद तक मानसिक रूप से परेशान किया. मेरी मां सत्या बाला बंसल एक बहुत ही विनम्र और धार्मिक महिला थी. मेरी बहन नेहा बंसल बहुत सीधी-सादी और दिल्ली यूनिवर्सिटी की गोल्ड मेडलिस्ट थी. उन दोनों पवित्र देवियों को भी इन्ही पांचों ने डायरेक्टली और इंडायरेक्टली इस हद तक टॉर्चर किया, इस हद तक सताया, इतना तड़पाया कि उन्हें सुसाइड करना पड़ा, वरना मेरी मम्मी और मेरी बहन नेहा तो सुसाइड के सख़्त ख़िलाफ़ थे. भगवान से प्रार्थना करूंगा कि ऐसा किसी हंसते-खेलते परिवार के साथ न करना.'
             सीबीआई ने माना है कि उसे दिल्ली पुलिस से ये चिट्ठियां मिली हैं. वो जांच कर दोषियों को सज़ा देने की बात कह रही है. रिश्वत के एक आरोप से शुरू हुआ ये सिलसिला जिस तरह एक पूरे परिवार के ख़ात्मे तक जा पहुंचा है, वह अपने में दिल दहलाने वाली दास्तान है.
हम चाहे जितना लोकतंत्र, न्याय, समानता की बात करें लेकिन असली चेहरा काला है कुरूप है, भयानक है. यहाँ जो बातें प्रकाश में आ रही हैं. उसकी जानकारी राजनेताओं को, प्रशासनिक अफसरों को और न्यायिक अधिकारीयों को भी है लेकिन वह मुंह मियां मिठू बन अपने काले चेहरे को सफ़ेद कहते हैं लेकिन जनता की निगाह में उनके चेहरे का यही स्वरूप है जो बंसल नें अपने आत्महत्या करने वाले पत्र में लिखा है.

सुमन 


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