इतना ही नहीं अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसेन राइस और व्हाइट
हाउस के पत्रकारों को भी जांच से छूट नहीं दी गई। आमतौर पर, ओबामा के साथ
यात्रा पर जाने वाले पत्रकार विमान उतरने के बाद बोइंग 747 के विंग के नीचे
खड़े हो जाते हैं जिससे वे राष्ट्रपति के विमान से बाहर निकलने की
तस्वीरें ले सके। लेकिन, हांगझोऊ में ओबामा के विमान के उतरने के बाद चीनी
सुरक्षा अधिकारियों ने एक नीली रस्सी लगा दी और पत्रकारों को उसके पीछे
धकेल दिया।
चीनी अधिकारी यहीं नहीं रुके। उनमे से एक व्हाइट हाउस के अधिकारियों पर
चिल्लाने लगा। वह पत्रकारों को वहां से जाने के लिए कहने लगा। तब व्हाइट
हाउस की एक महिला अधिकारी ने उससे कहा-यह अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान है।
इसके जवाब में चीनी अधिकारी ने अंग्रेजी में कहा,'यह हमारा देश है। यह
हमारा हवाई अड्डा है।'
इसके अलावा राइस और व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी बेन रोड्स ने जब नीली
रस्सी उठाकर ओबामा के पास जाने की कोशिश की तो चीनी अधिकारी फिर नाराज हो
गया। उसने राइस का रास्ता रोकने की भी कोशिश की। उसकी सीक्रेट सर्विस के
एजेंटों से बहस हो गई। इस घटना के बाद ओबामा का काफिला हवाई अड्डे से रवाना
हो गया।
अमेरिका द्वारा कुछ भारतीयों के साथ की गयी बदसलूकी के उदहारण दिए जा रहे हैं.
देवयानी
प्रकरण में अमेरिका ने कूटनीतिक संरक्षण को आंशिक रूप से मानते हुए उनको
वीजा 1 दे दिया और अपने मुल्क से भगा दिया। जिस पर भारत ने अमेरिकी
दूतावास के निदेशक स्तर के अधिकारी को संगीता रिचर्ड के अभिभावकों को
अमेरिका ले जाने की प्रक्रिया में सहयोग करने के आरोप में भगा दिया और उसको
भागने का समय 48 घंटे का दिया है। देवयानी को 12 दिसंबर को गिरफ्तार किया
गया था। उन्हें 250,000 अमेरिकी
डॉलर के बांड पर रिहा किया गया था। गिरफ्तारी के बाद कपड़े उतारकर देवयानी
की तलाशी ली गयी थी और उन्हें नशेड़ियों के साथ रखा गया था जिससे भारत और
अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ गई। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी
राजनयिकों के विशेषाधिकार कम कर दिए।
आज़म खान साहब के साथ
क्या-क्या हुआ वह भी पूरी तरीके से देश को बताया नही गया लेकिन जब देवयानी
का मामला आया तो विडियो फुटेज से उनकी तलाशी का तरीका सामने आया। हरदीप
पूरी, निरुपमा राव के साथ भी बदतमीजियां हुई थी। अब सवाल उठता है कि यह सब
होने के बाद आप अमेरिका क्या करने जाते हैं निश्चित रूप से कुछ न कुछ
व्यक्तिगत स्तर पर प्राप्ति की कामना अमेरिका यात्रा के लिए यह सब सहने को
मजबूर करती है।
शाहरुख खान को अमेरिका के न्यूयार्क हवाई अड्डे पर रोके रखने पर एसएम
कृष्णा ने कहा था कि किसी भी हस्ती को रोके रखना, और बाद में माफी मांग
लेने को अमेरिका ने आदत बना लिया है।
इससे उनके
राष्ट्रविरोधी देशविरोधी गतिविधियों पर तुरंत लगाम लगेगी। अमेरिका कभी भी
भारत का स्वाभाविक मित्र नही रहा है और न हो ही सकता है क्यूंकि अमेरिका
सम्राज्यवादी मुल्क है और आप साम्राजयवाद पीड़ित।
वे आए तो हमने सिर पे बैठाला हम गए तो लतियाया ......
वे आए तो हमने सिर पे बैठाला हम गए तो लतियाया ......
हरदीप पुरी------------------मीरा शंकर
वे आए तो हमने सर पे बैठाला हम गए तो लतियाया इसी तर्ज पर अमेरिका हमारे देश से व्यवहार कर रहा है। क्या हमारा स्वभाव बन गया है, कि हम उनके लतियाने को भी अपना अहो भाग्य समझें और उलट कर उनके पैर की मालिश करने लगे कि सरकार चोट तो नहीं लगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा पहले भारत की यात्रा पर आये अपने सुरक्षा गार्डों तथा सैन्य अधिकारियों के साथ हमारे देश ने उनका स्वागत किया, स्वागत गीत गाये। प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया तक उनकी हर एक अदा को प्रमुखता से प्रचारित व प्रसारित किया वहीँ जब हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी जी गए तो उनके ऊपर अमेरिकी राष्ट्रपति ने शराब गिरा दी थी। तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज जब अमेरिका की यात्रा पर गए तो डलास एअरपोर्ट पर उनकी जामा तलाशी ली गयी और 2003 में रक्षा मंत्री जब ब्राजील जा रहे थे तब भी उनकी तलाशी ली गयी थी और हम आह भी नहीं कर पाए।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के अस्थायी प्रतिनिधि शीर्ष राजनयिक हरदीप पूरी की ह्यूस्टन एअरपोर्ट पर पगड़ी की तलाशी देने के लिए कहा गया। तलाशी न देने पर उनके साथ बदसलूकी की गयी और एक कमरे में अघोषित रूप से कैद कर लिया गया। उनको तब रिहा किया गया जब उनके साथ चल रहे टी.एस.ए अधिकारीयों ने दखल दिया और अमेरिका में भारत की राजदूत मीरा शंकर की अपमानजनक तरीके से तलाशी ली गयी इन दोनों घटनाओ में हम सिर्फ विरोध दर्ज करा कर रह गए। इसके पूर्व भी भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री श्री प्रफुल्ल पटेल से शिकागो के एअरपोर्ट पर बदतमीजी पूर्ण तरीके से पूछताछ की गयी थी।
चीन ने यह साबित कर दिया कि वह अमेरिका से किसी तरह से कमजोर नहीं है. अमेरिकियों ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम से भी बदसलूकी की थी और भारत नहीं बोला था. अब जब अमेरिका को जवाब मिला है तो उनको महसूस हुआ होगा कि सुरक्षा के नाम पर बदसलूकी जायज नहीं है.
सुमन
लो क सं घ र्ष !
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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