भारतीय जन नाट्य संघ के तीन दिवसीय 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन
और राष्ट्रीय जन सांस्कृतिक महोत्सव के तीसरे दिन सांगठनिक चर्चा,
प्रस्ताव एवं नये पदाधिकारियों के नामों की घोषणा ही मुख्य रहे। इन अलग-अलग
संगठन सत्रों में प्रगतिशील संस्कृतिकर्मियों और कलाकारों में मंचासीन रहे
रणवीर सिंह, एम एस सथ्यु, भावना, ज्योत्सना रघुवंशी, तनवीर अख्तर, अंजन
श्रीवास्तव और इप्टा के महासचिव राकेश।
तीसरे दिन की शुरुआत तेलंगाना के इप्टा कलाकारों द्वारा
प्रस्तुत जनगीत से हुई। इसके बाद विभिन्न अंतरालों में केरल, तमिलनाडु,
रायपुर, लखनऊ इप्टा के कलाकारों ने जनगीत एवं लोकनृत्य प्रस्तुत किये।
लिटिल इप्टा, लखनऊ की दो बच्चियों ने ओम प्रकाश नदीम का गीत ‘हमें भी दिखा
दो किताबों की दुनिया…’ सुनाकर सभी को भावविभोर करने के साथ झकझोर कर रख
दिया। इन प्रस्तुतियों में विद्यमान कला, भारतीय संस्कृति, प्रगतिशीलता,
संघर्षशीलता और उत्सवधर्मिता मौजूद लोगों को झूमने और प्रेरित करने में सफल
रहे। इसके साथ ही इप्टा रायपुर और जेएनयू के कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक
खेले। जेएनयू का नुक्कड़ नाटक ‘खतरा’ खासतौर से दक्षिणपंथी ताक़तों द्वारा
14वें राष्ट्रीय सम्मेलन और जन सांस्कृतिक महोत्सव को ‘देशद्रोही’ करार
दिये जाने के जवाब में प्रस्तुत किया गया। ‘खतरा’ ने बहुत प्रभावशाली ढंग
से स्थपित किया कि इप्टा के मूल्य और संघर्ष, भारतीय संविधान की आत्मा और
मानवाधिकारों के पक्ष में हमेशा से चले आ रहे हैं, जारी हैं और आगे भी
अक्षुण्ण रहेंगे।
संगठन सत्र की चर्चा में भाग लेनेवाले कई सदस्यों ने आरएसएस
समेत तमाम दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा इप्टा के सम्मेलन को प्रश्नांकित किये
जाने एवं उसके संबंध में राष्ट्रविरोधी होने की अफ़वाह फैलाने का कड़ा
विरोध किया। भर्त्सना की। साथ ही अपनी वर्षों से चली आ रही अमन, शांति तथा
सुधारों के प्रति परंपरा-प्रतिबद्धता दोहरायी। वक्ताओं में प्रमुख थे-
नरहरि(असम), सुमन श्रीवास्तव(लखनऊ), शैलेंद्र(पटना), शैलेंद्र शैली(भोपाल),
सुशांत महापात्रा(उड़ीसा), दिबांग ज्योति बोरा(असम), भावना और मनीष
श्रीवास्तव(जेएनयू)। नरहरि ने असम की समस्याओं के लिए दक्षिणपंथी और पूर्व
सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने ओएनजीसी जैसी तेल कंपनियों के
निजीकरण के विरोध की दिशा में कदम उठाये जाने का आह्वान किया। दिबांग
ज्योति बोरा ने कहा- कला, सामाजिक बदलाव का हथियार है हमें इसे वैसे ही
बरतना चाहिए। भावना ने कहा कुछ छद्म संगठनों की इंदौर सम्मेलन के संबंध में
अखबारों में व्यक्त की गयी प्रतिक्रया आयोजन की सफलता को दर्शाती है। हमें
दक्षिणपंथी ताक़तों से सभ्य, सांस्कृतिक तथा लोकतांत्रिक तरीके से लड़ने
की आवश्यकता है। इप्टा के महासचिव ने राष्ट्रीय युवा उत्सव मनाये जाने,
शीतल साठे के पति को रिहा किये जाने के लिए रैली करने तथा लोक कलाकरों का
सम्मेलन बुलाये जाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने इप्टा के वेबसाईट लांच की
घोषणा भी की।
इस अवसर पर मनीष श्रीवास्तव, शैलेंद्र तथा सारिका श्रीवास्तव
द्वारा अलग-अलग प्रस्ताव लाये गये जिन्हें ध्वनि मत से पारित किया गया। इन
प्रस्तावों में मुख्य थे शिक्षा संस्थानो, विद्यार्थियों पर हो रहे सरकारी
हमलों का एकजुट विरोध, आतंकवाद की निंदा के साथ सरकार द्वारा निर्मित
युद्धोन्माद का सांस्कृतिक, शांतिपूर्ण विरोध, दलितों आदिवासियों की बेदखली
के खिलाफ़ एकजुटता एवं मेट्रोसिटी बनाये जाने के नामपर बस्तियाँ उजाड़े
जाने की गुंडागर्दी के विरुद्ध शातिपूर्ण कानूनी उपायों की ज़रूरत पर उठाये
जानेवाले प्रभावी कदम। इसके साथ ही सरसों की खेती में सरकारी दुष्चक्र के
खिलाफ़ जागरूकता अभियान को प्राथमिकता, समानधर्मा संगठनों का बेशर्त सहयोग
एवं समर्थन।
मंचन का एक सीन |
जिस क्षण आनंद मोहन माथुर सभागार में प्रस्ताव पारित किये जा
रहे थे उसी क्षण कुछ संगठनों के दसेक गुंडा तत्वों ने भारत माता की जय
बोलते हुए आक्रामक ढंग से हॉल में प्रवेश किया। उनके हाथों में तिरंगे थे।
उन्होंने मंच पर चढ़कर माईक छीन लिए और धमकियाँ दीं की यदि आप लोगों ने
हमारे साथ भारत माता की जय के नारे नहीं लगाये तो हम यहां से नहीं जायेंगे
और कुछ भी हो सकता है। उन्होंने आगे कहा हमारे हाथ में तिरंगे हैं और आप
लोग बेहतर जानते हैं कि तिरंगा लेकर चलनेवालों की बात न माने का परिणाम
क्या होता है। इप्टा के महासचिव राकेश ने हाल में मौजूद साथियों से अपील की
कि सब शांत रहें, किसी किस्म की अशांति, उत्तेजना या अपरातफरी न हो।
उन्होंने असमाजिक तत्वों से कहा कि हमारे कार्यक्रम को चलने दिया जाये। हम
देश के सम्मान या उसके प्रति प्रेम में पूरी तरह सत्यनिष्ठ हैं। कृपया
हमारे आयोजन में जानबूझकर हिंसक विघ्न न डाला जाये। माईक से भी बार बार
शातिपूर्ण आग्रह के बावजूद असमाजिक तत्वों ने जब किसी तरह मानने से इंकार
कर झूमा झटकी और मारपीट शुरू कर दी तो इप्टा के साथियों द्वारा उन्हें
शांतिपूर्ण ढंग से हाल से बाहर निकाला गया। बाहर निकलकर उन्होंने इप्टा के
कुछ साथियों के साथ मारपीट की जिनमें से एक इप्टा सदस्य के सिर में चोटें
आयीं। इप्टा प्रतिनिधियों द्वारा तत्काल पुलिस को फोन कर सहायता माँगी गयी।
पुलिस लगभग एक घंटे बाद मौके पर पहुँची।
इप्टा की प्रतिबद्धता या उत्सवधर्मिता इस बात से पुष्ट हुई कि
निर्धारित सत्र पूर्ववत फिर शुरू हो गये। कॉमरेड पेरिन दाजी ने होमी दाजी
की याद में ‘अपने लिए जिये तो क्या जिए ऐ दिल तू जी जमाने के लिए…’ सुनाकर
साथियों के उत्साह को फिर ताज़ा कर दिया। राकेश ने नये पदाधिकारियों समेत
नवगठित कार्यकारिणी के सदस्यों के नामों की घोषणा की एवं उनका परिचय दिया।
कुल मिलाकर यह रिपोर्ट लिखे जाने तक पुलिस, मीडिया की आवाजाही
भले बढ़ गयी हो ढोल, नगाड़ों, गीत-संगीत के स्वर थमें नहीं हैं। कलाकारों
में विरोध को झेलकर डँटे रहने का स्वाभाविक जोश देखा जा रहा है। उम्मीद है
देर रात तक यह महोत्सव अपनी मूल प्रतिज्ञाओं के साथ परवान चढ़ता रहेगा।
रणधीर सिंह सुमन
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