बाराबंकी। शनिवार को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन बम विस्फोट कांड के मुख्य
संदिग्ध आतंकी गुलजार अहमद बानी व उसके साथी अब्दुल मुबीन को अपर जिला जज
कोर्ट नंबर 1 महमूद अहमद खां की कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया गया। 14 अगस्त
2000 को रोजा गाव स्टेशन पर हुए बम विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी।
जबकि 40 लोग घायल हो गए थे। इस मामले की सुनवाई करते हुए अपर जिला जज
कोर्ट नंबर 1 की कोर्ट ने आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए कहा कि प्रकरण में
अभियोजन की लापरवाही से आरोपी दोषों से मुक्त हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि
सबूतों के अभाव में इन दोनों संदिग्ध आतांकियों को दोषमुक्त कर दिया गया
है। बता दें कि साबरमती एक्सप्रेस में 14 अगस्त 2000 को बम विस्फोट किया
गया था। इस मामले के आरोपी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (ए0एम0यू) के पूर्व
शोध छात्र गुलजार अहमद वानी पिछले 16 साल से जेल में बंद है। वहीं गुलजार
को दिल्ली पुलिस ने जुलाई 2001 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार
किया था। उन्हें दिल्ली के अलग-अलग इलाकों और यूपी के आगरा, कानपुर समेत
विभिन्न शहरों में हुए 11 मामलों में आरोपी बनाया गया था। बाकी सभी मामलों
में कोर्ट पहले ही आरोपी को बरी कर चुकी है। तो वही साथी अब्दुल मुबीन को
पूर्व में जमानत मिल चुकी थी।
साबरमती विस्फोट के आरोपियों को आज साक्ष्यो के अभाव में न्यायालय श्रीमान अपर जिला जज कोर्ट नंबर 1 महोदय द्वारा दोषमुक्त कर दिया गया। अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए पूर्व में आरोपियों के बचाव पक्ष के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा की उक्त केस में फर्जी फसाये गए गुलजार अहमद वानी व अब्दुल मुबीन को आज सच में न्याय मिला है। न्यायालय ने आज दोनों को दोषमुक्त करते हुए पीडितो को न्याय दिया है। न्यायालय में बहस से लेकर जिरह तक अभियोजन इनके ऊपर लगाये गए आरोपों को सिद्ध कर पाने में भी नाकाम रहा है
साबरमती विस्फोट के आरोपियों को आज साक्ष्यो के अभाव में न्यायालय श्रीमान अपर जिला जज कोर्ट नंबर 1 महोदय द्वारा दोषमुक्त कर दिया गया। अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए पूर्व में आरोपियों के बचाव पक्ष के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा की उक्त केस में फर्जी फसाये गए गुलजार अहमद वानी व अब्दुल मुबीन को आज सच में न्याय मिला है। न्यायालय ने आज दोनों को दोषमुक्त करते हुए पीडितो को न्याय दिया है। न्यायालय में बहस से लेकर जिरह तक अभियोजन इनके ऊपर लगाये गए आरोपों को सिद्ध कर पाने में भी नाकाम रहा है
1 टिप्पणी:
अगर दोषी ये नही है भाई दोषी कौन हुए... क्यों कोर्ट ने इन्हें बाइज़्ज़त बरी करने के तुरंत बाद दोषियों को पकड़ने का आदेश नही दिया... क्यों कोर्ट ने केस को रिओपेन करने का आदेश नही दिया... कुछ करे ऐसे तो सिर्फ बेगुनाह मुसलमान 15 साल 20 साल 25 साल तक जेल में रह कर बाइज़्ज़त बरी हो जाते है लेकिन दोषियों को सज़ा नही मिल पाती...
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