प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक शगुन गौतम 80 वर्षीय अल्पसंख्यक मतदाता की पिटाई करते हुए |
स्थानीय निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ आदित्यनाथ ने दो हफ़्तों में 33 जनसभाएं की. प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ मिश्रा, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा सहित मंत्रियों ने पूरे प्रदेश में धनबल व सरकार का प्रयोग करते हुए जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश की लेकिन सफलता हाथ नही लगी.
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद
मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा
है. यहां तक कि जिस वार्ड में केशव का घर पड़ता है वहां भी बीजेपी की हार
हुई है.सभी 6 नगर पंचायतों में भाजपा की जबरदस्त हार हुई है. वहीँ, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने गोरखपुर जिले के जिस वार्ड में अपने मत का प्रयोग किया था वहां भी भाजपा हार गयी है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों के अथक प्रयास करने के बावजूद अधिकांश प्रत्याशी चुनाव हार गये हैं लेकिन मीडिया द्वारा चुनाव जीतने का जश्न मनाया जा रहा है. लगता नहीं है कि सरकार में बैठे हुए लोग विवेकशील व्यक्ति हैं या लफ्फाजों या गप्पबाजों के गिरोह के सरगना हैं.
जहाँ तक निष्पक्ष चुनाव कराने की बात है वहां पर योगी सरकार स्थानीय निकाय चुनाव में सही मतदाता सूची भी नहीं बनवा पायी थी. मतदाता सूची में सैकड़ों नाम उसी वार्ड में कई बार थे. फिर वही नाम दूसरे वार्डों में भी थे और ऐसे लोगों के नामों की फर्जी आईडी सत्तारूढ़ दल द्वारा देकर मतदान कराया जा रहा था. देखने में यह भी आया है कि सत्तारूढ़ दल के कई प्रत्याशी फर्जी आईडी प्रूफ बनाने की मशीने भी लगाये हुए थे. मतदाताओं को डराने और धमकाने का काम मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी पुलिस बल के साथ कर रहे थे. हिन्दुस्तान अखबार में बाराबंकी जनपद की एक फोटो प्रकाशित हुई है जिसमें एसडीएम व सीओ एक मतदाता को पोलिंग स्टेशन के सामने मुर्गा बनाये हुए हैं और बाकी पुलिस बल उस दृश्य का आनंद ले रहा है.
बाराबंकी, प्रतापगढ़ सहित प्रदेश के अनेक जिलों में चुनाव मशीनरी को संचालित करने वाले बड़े अधिकारीयों ने नियोजित तरीके से अल्पसंख्यक बाहुल्य मतदान केन्द्रों पर सुबह से ही तोड़फोड़ व मतदाताओं की पिटाई का अभियान चला रखा था जिससे अल्पसंख्यक मतदाता अपने मत का प्रयोग न कर सकें. क्या यह योगी सरकार की निष्पक्षता का सबूत है ?
बाराबंकी, प्रतापगढ़ सहित प्रदेश के अनेक जिलों में चुनाव मशीनरी को संचालित करने वाले बड़े अधिकारीयों ने नियोजित तरीके से अल्पसंख्यक बाहुल्य मतदान केन्द्रों पर सुबह से ही तोड़फोड़ व मतदाताओं की पिटाई का अभियान चला रखा था जिससे अल्पसंख्यक मतदाता अपने मत का प्रयोग न कर सकें. क्या यह योगी सरकार की निष्पक्षता का सबूत है ?
लोकतंत्र में प्रचार तो चलता है लेकिन नागपुर की संघी प्रयोगशाला दुष्प्रचार करने में माहिर है. भाजपा अपनी नीतियों के कारण हार रही है लेकिन जनता में यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि वह जीत रही है.
रणधीर सिंह सुमन
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