मंगलवार, 19 जून 2018

संघ, विहिप जैसे संगठनों के कारण भारत में अल्पसंख्यकों और दलितों की दशा खराब

अमरीकी सरकार द्वारा गठित एक आयोग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि देश में जारी भगवाकरण अभियान के शिकार मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और दलित हिंदू हैं।
वाशिंगटन : अमरीकी सरकार द्वारा गठित एक आयोग ने आरोप लगाया है कि भारत में पिछले साल धार्मिक स्वतंत्रता की स्थितियों में गिरावट जारी रही और हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने गैर हिंदुओं और हिंदू दलितों के विरुद्ध हिंसा, धमकी और उत्पीड़न के माध्यम से देश के भगवाकरण की कोशिश की।
यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भारत को अफगानिस्तान, आजरबैजान, बहरीन, क्यूबा, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, कजाकिस्तान, लाओस, मलेशिया और तुर्की के साथ खास चिंता वाले टीयर टू देशों में रखा है।
यूएससीआईआरएफ ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा गैर हिंदुओं और हिंदुओं के अंदर निचली जातियों को अलग-थलग करने के लिए चलाए गए बहुआयामी अभियान के चलते धार्मिक अल्पसंख्यकों की दशा पिछले दशक के दौरान बिगड़ी हैं।’
    उसने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि इस अभियान के शिकार मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और दलित हिंदू हैं।
उसने कहा, ‘ये समूह अपने विरुद्ध हिंसक कार्रवाई, धमकी से लेकर राजनैतिक ताकत हाथ से चले जाने तथा मताधिकार छिन जाने की बढ़ती भावना से जूझ रहे हैं। भारत में 2017 में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थितियों में गिरावट जारी रही है।’
यूएससीआईआरएफ ने कहा, ‘बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक समाज के रूप में रहा भारत का इतिहास अब धर्म पर आधारित राष्ट्रीय पहचान की बढ़ती बहिष्कार करने की अवधारणा के खतरे से घिर गया है। इस साल के दौरान हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने गैर हिंदुओं और हिंदू दलितों के विरुद्ध हिंसा, धमकी और उत्पीड़न के माध्यम से देश का भगवाकरण करने की कोशिश की।’
उसने कहा कि करीब एक तिहाई राज्य सरकारों ने गैर हिंदुओं के विरुद्ध धर्मांतरण रोधी और  गोहत्या रोधी कानून लागू किए, भीड़ ने ऐसे मुसलमानों और दलितों के विरुद्ध हिंसा की जिनके परिवार पीढ़ियों से डेयरी, चमड़ा, बीफ के कारोबार में लगे हैं तथा उन्होंने ईसाइयों के विरुद्ध भी धर्मांतरण को लेकर हिंसा की।
रिपोर्ट के अनुसार, गोरक्षकों की भीड़ ने वर्ष 2017 में कम से कम 10 लोगों की हत्या कर दी। घर वापसी के माध्यम से गैर हिंदुओं को हिंदू बनाने की खबरें सामने आईं।
धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ भेदभाव के तौर पर विदेशी चंदा लेने वाले एनजीओ पर पंजीकरण नियमों का बेजा इस्तेमाल किया गया।
रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल धार्मिक स्वतंत्रता की दशाएँ बिगड़ने के साथ ही कुछ सकारात्मक बातें हुईं। उच्चतम न्यायालय ने कई ऐसे निर्णय किए जिससे धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा हुई।

-अमरीकी रिपोर्ट
लोकसंघर्ष पत्रिका जून 2018 अंक में प्रकाशित

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