किंगफ़िशर एयरलाइन्स के मालिक व प्रमुख शराब व्यवसायी विजय माल्या जब 7000 करोड़ रुपये देनदारी को छोड़कर विदेश जा रहा था तो विदेश जाने से रोकने के लिए लुकआउट नोटिस हवाई अड्डों को प्राप्त हो चुकी थी इसलिए विजय माल्या को विदेश जाने के लिए किसी दमदार नेता की जरूरत थी जो एरोड्रम पर उसकी गिरफ्तारी न होने दे. इस कार्य के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली से विजय माल्या मिले और उसी के बाद वह समस्त देनदारियां छोड़ कर विदेश चले गये और उसके बाद सरकार अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए माल्या को इंग्लैंड से देश में लाने के लिए एक राजनीतिक ड्रामा करने लगी.
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने 12 जून को ट्वीट किया था, माल्या देश नहीं
छोड़ सकता क्योंकि हवाई अड्डों पर उसके खिलाफ कड़ा लुक आउट नोटिस जारी हो
चुका था. इसके बाद वो दिल्ली आया और उसने किसी प्रभावी शख्स से मुलाकात की
जो विदेश जाने से रोकने वाले उस नोटिस को बदल सकता था. वो शख्स कौन है
जिसने नोटिस को कमजोर किया?
आज विजय माल्या द्वारा जब यह स्वीकार कर लिया गया कि देश छोड़ने से पहले उसने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी. इस तथ्य को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अभी तक देश से छिपाए रखा था.
इस तरह के मामले में अगर किसी विपक्ष के नेता का नाम आया होता तो सीबीआई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर उस नेता की गिरफ्तारी कर लेती और न्यायलय में सीबीआई रिमांड का प्रार्थना पत्र देकर कम से कम तीन महीने का सीबीआई रिमांड आदेश प्राप्त कर टोर्चेर करने का काम शुरू कर दिया होता. देश के अन्दर इस समय सीबीआई अमित शाह के तोते के रूप में जानी जाती है.
रणधीर सिंह सुमन
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