रविवार, 23 जून 2019

किसानों की बरबादी


आज देश में अधिक अन्न उपजाओ तथा कृषि के तकनीकी प्रयोग से अन्न, फल व सब्जियाँ अत्यधिक मात्रा में पैदा हो रही हैं, लेकिन उसके बाद भी किसान आत्महत्याएँ कर रहा है। बहुसंख्यक जनता कुपोषण का शिकार है। पहले तो अतिवृष्टि तथा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसान अपने उत्पादन को इतने सस्ते दामों पर बेचने पर मजबूर होता है कि उसे फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है और वह कर्ज के मकड़जाल में फंसकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर होता है। वहीं पर कुछ प्रगतिशील किसान सरकारी अनुदान प्राप्त करके अपनी माली हालत को मजबूत कर किसानों की समृद्धि का गान करते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि अगर उनको सीधे मिलने वाले अनुदान को समाप्ंत कर दिया जाए तो उनके पास भी आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। देश के अन्दर सरकारी नीतियों का प्रचार-प्रसार करने के लिए सरकारी अनुदान द्वारा खेती को फायदे में पहुंचाने का विज्ञापन होता रहता है जबकि वास्तविकता यह है कि सरकारी धन से वह सभी खर्चे पूरे कर फायदे में रहते हैं। 
इन्हीं सब किसान समस्याओं के ऊपर विचार करने के लिए 26-27 जून 2019 को गांधी भवन, बाराबंकी में ऑल इण्डिया किसान सभा की राज्य परिषद की बैठक आहूत की जा रही है। इस अवसर पर लोक संघर्ष पत्रिका ने अपना विशेष अंक मेरे सम्पादन में प्रकाशित कर देश के किसानों को नई दिशा देने का प्रयास किया है। 

विनय कुमार सिंह 
जिलाध्यक्ष 
ऑल इण्डिया भारतीय किसान सभा, बाराबंकी
मोबाइल : 9452843310

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