शनिवार, 9 मई 2020

इबादत अलग-अलग तरीके से कर सकते हैं लेकिन मानवता तो एक है l अतुल कुमार अंजान

कोरोना वायरस के इस दौर में जहां कुछ लोग सांप्रदायिक वायरस को फैला रहे हैं ,वही मेरठ में वहां के निवासियों ने एक नई मिसाल पेश कर दी l मंदिर के पुजारी का अंतिम संस्कार मुस्लिम भाइयों ने पूरी इज्जत के साथ , पूरे संस्कार के साथ करके यह कह दिया ,  अभी इंसानियत मरी नहीं है  l इबादत अलग-अलग तरीके से कर सकते हैं लेकिन मानवता तो एक है l 
यह विचार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने बताया कि हिन्दू पुजारी की लॉक डाउन में मृत्यु होने के बाद पुजारी को रिश्तेदारों के ना आने के कारण मेरठ के शाह पीर गेट के मुसलमानो ने 68 वर्षीय रमेश माथुर पुजारी चित्रगुप्त मंदिर की शव यात्रा हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार निकाल कर अंतिम संस्कार श्मशान घाट पर ले जा कर किया. उनके बेटे पुलिस की कागजों के पेट भरने में समय लगने के कारण मेरठ नहीं आ पाए. 
ज्ञातव्य है कि भारतीय समाज की मुख्य विशेषता यह है कि हिंदू और मुसलमानों में आपसी प्यार व मोहब्बत है लेकिन अंग्रेजों के मुखबिरी संगठन और उनके दुष्प्रचार के कारण कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं और वही अंग्रेजों के मुखबिरी वाले संगठन अपनी राजनीतिक रोटियों को सेंकने के लिए दंगा फसाद करते हैं. इस घटना ने हिन्दू मुसलमान करने वाले राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों को आईना दिखाया हैI

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