लेनिन
ठीक है माँ!
आपकी आज्ञा का पालन करूँगा .
अब मै पढ़ने के लिएजा रहा हूँ ,इससे रूस के बारे में जानकारी भी मिल जाएगी .
कवि
लेलिन को समझा बुझा कर स्कूल पठाय .
लगी सोचने जुल्म के कब बादल छट जायं ..
उधर लेनिन ने पढने में करी मन से तैयारी है .
रहे अव्वल सभी दर्जे को मेहनत बे शुमारी है.
निकाले भी गये स्कूल से हिम्मत न हारी है .
दौराने पढ़ाई ही बने वह क्रांतिकारी है.
हुए जब लेनिन पढ़ कर तैयार,
रूस में थी जो जालिम सरकार.
जार जालिम के जुल्मों से ,
हो गई लेनिन की तकरार.
एक कम्युनिस्ट -
कामरेड पढ़ाई लिखाई की बाता पूरी कर चुके हैं अब मेहनतकश गरीब किसान- मजदूरों को खुशहाली के लिए कुछ करने का उपाय सोचिए .
लेनिन-
हम को बताने की क्या जरूरत है पूरे हालात आपके सामने हैं.
नौजवानों रहे देख तुम हाल हो ,आज सम्राट कैसा चलन चल रहा है .
जो कि निर्धन मुसीबत जदा लोग हैं, सख्त उन पर है कितना दमन चल रहा है.
वही कम्युनिस्ट -
शक्ति बर्दाश्त की जितनी हमने हमें रही ,उससे ज्यादा सबर अब तक कर चुके .
और कमेरों के खूनो पसीने पे भी,
ऐश अब तक लुटेरे बहुत कर चुके..
लेनिन -
है ए सच मेहनत कशों पे बहुत ,
आज तक जार शाही में है हो रहा.
सख्त मेहनत से पैदा जो करता है यहाँ ,
उससे महरूम मजदूर है हो रहा ..
दूसरा कम्युनिस्ट-
कामरेड आपसे गर इजाजत मिले ,जार को खत्म करके ही आऊंगा मैं .
दर्द मेहनतकशों के अगर कट सके , जान को दांव पर फिर लगाऊँगा मैं..
लेनिन -
जार के खत्म होने से साथी सुनो
जारशाही पे पड़ता असर ही नहीं .
एक जालिम मिटा दो जो संसार से,
होगा तैयार दूजा कसर ही नहीं..
इसलिए इस हुकूमत को तुम छीन लो,
लोग खुशहाल केवल तभी हो सके.
राज मजदूर का रूस में दो बना,
लूट जारी न जिससे कभी हो सके..
दूसरा कम्युनिस्ट -
हमको सौगंध है आज से मार्क्स की ,
रूस से जुल्म को अब मिटायेगे हम.
जार को तख्त से इस हटाएंगे और,
राज मजदूर का अब बनाएंगे हम .
लेनिन -
जब तक रूस में मजदूरों और किसानों का राज कायम नहीं होता है, तब तक आम जनता को पेट भर भोजन नहीं मिलेगा और बादशाह के अहलकार जनता को कदम -कदम पर बेइज्जत करते रहेंगे.
दोनों कम्युनिस्ट एक साथ -
रूस में मजदूरों और किसानों का राज जब तक नहीं कायम हो जाता है ,हम चैन से नहीं बैठेंगे.
शेष ...............लेनिन का परिवार
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर और उपयोगी आलेख।
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