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बुधवार, 26 मार्च 2014

सत्ता पाने के लिए शीर्षासन

आरएसएस के अनुवांशिक संगठन भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है।  इसके लिए कॉर्पोरेट सेक्टर द्वारा जनित चेहरा नरेंद्र मोदी का है।  नरेंद्र मोदी ने कॉर्पोरेट सेक्टर के इशारे पर भाजपा के पुराने नेताओं को अप्रासंगिक घोषित कर उनको अलग थलग करने का कार्य बड़ी तेजी से किया है। इसमें काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिली है। लाल कृष्ण अडवाणी को अपनी मनचाही सीट से लड़ने नहीं दिया तो जसवंत सिंह जैसे नेताओं को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने के लिए मजबूर कर दिया।  लाल जी टंडन, केसरीनाथ त्रिपाठी, कल्याण सिंह जैसे सैकड़ों दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान से बाहर कर दिया है।  टिकट वितरण में रुपया, गुटबाजी, जिस्मफरोशीका भी योगदान रहा है।  जिसका एक उद्धरण यह भी है टिकट के लिए भाजपा नेता ने अपनी बेटी को बेचा, दामाद ने की हत्या
दिल्ली के निकट साहिबाबाद में भाजपा नेता धर्मवीर चौधरी की उन्हीं के दामाद ने गोली मारकर हत्या कर दी। गिरफ्तार आरोपी ने बताया कि मृत नेता अपनी बेटी को दूसरे नेताओं के साथ सोने के लिए मजबूर करते थे। साहिबाबाद के रहने वाले धर्मवीर चौधरी पार्टी के वार्ड अध्यक्ष भी थे।
उन्हें गोली मारने के बाद दामाद सुनील ने साहिबाबाद थाने में जाकर सरेंडर कर दिया। आरोपी ने बताया कि उसकी शादी 18 साल पहले मृत नेता की बेटी से हुई थी। लेकिन पिछले 8 महीने से मेरी बीवी मेरे साथ ना रहकर अपने पिता के घर में रहने लगी थी। पिता ने मेरी पत्नी को जबरदस्ती अपने घर में रखा हुआ था। वह पार्टी की ओर से टिकट पाने के लालच में नेताओं को अपनी बेटी और मेरी पत्नी को उनके घरों में गंदे काम के लिए भेजा करता था।
इलाके में रसूख होने के कारण कोई इससे उलझना नहीं चाहता था। मैं अपने ससुर की इन हरकतों से बहुत परेशान हो गया था, इस कारण आज मैंने उसे गोली मार दी। पुलिस ने बताया कि सुनील की 4 लड़कियां और 2 लड़के हैं। 
इस तरह के कितने उदहारण मिल सकते हैं यह जांच का विषय है। वहीँ पर भाजपा ने अपने पुरानी पीढ़ी के नेताओं को बेइज्जत कर वाणी से पूरी तरह पंगु बना दिया है।  वहीँ, सत्तारूढ़ दल के पुराने नेताओं को राजनितिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना प्रारम्भ किया है।  स्वप्नदर्शी नेहरू को इस वजह से भी बदनाम किया जा रहा है कि उनसे जुड़े हुए लोग सत्ता पर काबिज हैं।  दूसरे के पितामह को अपना पितामह घोषित करना और अपने पितामह को बेइज्जत करना इस चुनाव की मुख्य विशेषता भी है। जनसत्ता ने लिखा है "आज देश में संघ परिवार और उसके ‘शो ब्वॉय’ नरेंद्र मोदी, सरदार पटेल के कंधे का इस्तेमाल करते हुए नेहरू के चरित्र पर अवांछित हमले कर रहे हैं। उनकी राय में जवाहरलाल ने लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांतों को भारतीय संविधान में गूंथ कर कोई अपराध कर दिया है। यह संयोग है कि नेहरू के उत्तराधिकारी लगातार भारतीय राजनीति के केंद्र में रहे हैं। जिस विचारधारा ने आजादी की लड़ाई में खुद को महफूज रखा, वह इस बात से खौफजदा है कि नेहरू-गांधी परिवार राजनीति के शिखर पर कब तक काबिज रहेगा। इसलिए उसने कांग्रेस के सभी हिंदुत्व समर्थक नेताओं को अपने पूर्वज होने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया है "
  यह सब इसलिए हो रहा है कि गुजरात में टाटा से लेकर सभी प्रमुख उद्योगपतियों को एक तरह से निशुल्क जमीन दी गयी है।  प्राकृतिक सम्पदाओं को उपहार स्वरूप सौंपा गया है।  बैंक ऋण एक तरह से ब्याज मुक्त है इसलिए उस लाभ को पूरे देश में प्राप्त करने के लिए नरेंद्र मोदी को मीडिया द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि वह विकास पुरुष हैं और एक मिथ्या लहर कि बात कही जा रही है।  हाँ यह जरूर है कि मीडिया एक सम्मोहन की स्तिथि पैदा कर रही है कि मत देने तक मतदाता भ्रमित रहे। और उस भ्रम का लाभ नरेंद्र मोदी को हो और पूरे देश में कॉर्पोरेट सेक्टर को मुक्त लूट का अवसर मिल सके। 

सुमन
लो क सं घ र्ष ! 
 

रविवार, 9 दिसंबर 2012

नब्वे फीसद भरतवासी बेवकूफ

वित खुले बाजार की जय जय कार फिर भी कारोबारी माहौल से निराश रतन टाटा तो काटजू को  नब्वे फीसद भरतवासी बेवकूफ नजर आते है!
 आर्थिक सुधारों पर राजनीति का असर नहीं होता क्योकि राजनीति और खुला बाजार दोनों बहिष्कार और अस्पश्यता के सिद्दांतों पर ​​आधारित है। संसदीय हरी झंडी मिलकर निवेशक बल्ले बल्ले हैं और कारपोरेट हित में तमाम कानून बदल दिये जा रहे हैं। फिरभी रतन ​​टाटा हताश हैं, तो इसका खास तात्पर्य होना चाहिए। दूसरी ओर,जस्टिस काटजू राजनीति के राम जेठमलानी की तरह सनसनीखेज​ ​ बयानबाजी के पारंगत होते जा रहे हैं। उनके ताजा बयान पर बवाल होना तय है। दोनों खबरों को मिलाकर देखा जाये तो सार बेहद मायनेखेज निकलता है।टाटा अपने कारोबारी हित की बात कर रहे हैं, जिसका देश के कारोबारी माहौल से ताल्लुकात शायद नहीं है। उद्योग जगत तो वैसे ही बम ​​बम है। सेनसेक्स के उछाले से साफ जाहिर है। इस पर तुर्रा यह कि अमेरिकी आका भी एफडीआई जिहाद में विपक्ष के ध्वस्त हो जाने से ​​बहुत खुश है। कारोबारी माहौल की पृष्ठबूमि में जो जेहादी धर्म राष्ट्रवाद का धर्मोन्माद है, जस्टिस काटजू की टिप्पणी उसी संदर्भ में है। जिसतरह देश का बहुजन समाज अपनी जातीय धार्मिक पहचान के नाम पर धर्म राष्ट्रवाद की पैदल सेना बनकर अपने ही विरुद्ध अश्वमेध अभियान में ​​शामिल है और राजनीति जैसे उसे टुकड़ा टुकड़ा बांटकर मनुस्मृति शासन के जरिये अन्याय और असमानता का लोकतंत्र कायम रखती है उसे जल जंगलजमीन आजीविका और नागरिकता से वंचित करते हुएए जस्टिस काटजू की इस टिप्पणी को इस संदर्भ में निरादार तो कहा नहीं जा सका । बशर्ते हम अपने को बेवकूफ मानने को तैयार हों।। देश में कारोबारी माहौल से निराश रतन टाटा ने सिर्फ नाखुशी जताई थी। टाटा समूह के 74 वर्षीय मुखिया ने सरकार के प्रति कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है। समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने मीडिया में आए रतन के साक्षात्कार को लेकर यह सफाई दी है। एक ब्रिटिश अखबार में प्रकाशित इंटरव्यू में टाटा के हवाले से कहा गया था कि भारत के कारोबारी माहौल में घूसखोरी का बोलबाला है। सरकार पूरी तरह निष्क्रिय बनी हुई है। भारतीय मीडिया में भी इससे संबंधित खबरें चलीं। टाटा इसी माह समूह के चेयरमैन पद से रिटायर हो रहे हैं।भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कन्डेय काटजू ने आज दावा किया कि नब्बे प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं जिन्हें शरारती तत्वों द्वारा धर्म के नाम पर आसानी से गुमराह किया जा सकता है। उन्होंने यहां एक संगोष्ठी में कहा, मैं कह सकता हूं कि" नब्बे प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं। आप लोगों के दिमाग में भेजा नहीं होता  ,आपको आसानी  से बहकाया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि दिल्ली में महज 2000 रूपये के लिए सांप्रदायिक दंगा भड़काया जा सकता है।गौरतलब है कि भारतीय संसद में मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ;एफडीआई को मिली मंजूरी का अमेरिका ने स्वागत किया है। अमेरिका का कहना है कि यह सबकी जीत है और इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग मजबूत होंगे। बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले को संसद की मंजूरी मिलने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि इस कदम से किसानों और उपभोक्ताओं को लाभ होगा तथा कृषि बाजार में नयी प्रौद्योगिकियों के प्रवेश में मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले का पंजाब में किसानों के संगठनों ने समर्थन किया है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार रखते हुए सिंह ने कहा कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से कृषि बाजार में नयी प्रौद्योगिकियों के प्रवेश में मदद मिलेगी और किसानों तथा उपभोक्ताओं को फायदा होगा।उन्होंने कहा कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले का पंजाब में किसानों के संगठनों ने समर्थन किया है। विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री को "डॉक्टर ऑफ साइंस" की डिग्री से सम्मानित किया गया।खुदरा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ;एफडीआई में संसद में मिली जीत से उत्साहित सरकार ने आज कहा कि आने वाले संसद के सत्र में बैंकए बीमा और पेंशन क्षेत्र से जुड़े अनेक विधेयकों को पेश करेगी।प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने आज चेन्नई में संवाददाताओं से कहा "आने वाले सत्र में हम बैंकिंग सुधार" बीमा में एफडीआई, कंपनी कानून में संशोधन और पेंशन योजनाओं से जुड़े विधेयकों को संसद में पेश करेंगे।" उन्होंने कहा कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ;संप्रगद्ध सरकार की उन कोशिशों का हिस्सा है जिनसे न केवल अधिक विदेशी निवेश आएगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।उन्होंने कहाए "वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बावजूद सरकार छह प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है।"मंत्री ने एफडीआई के मुद्दे पर संसद में हुए मतदान में मनमोहन सिंह सरकार को समर्थन देने के लिए संप्रग में शामिल डीएमके समेत सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया।सरकार को बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विवादास्पद फैसले के विरोध में राज्यसभा में लाए गए विपक्ष के प्रस्ताव के गिरने के साथ ही इसके लिए मंजूरी मिल गई क्योंकि बहुजन समाज पार्टी ने उच्च सदन में संप्रग के पक्ष में मतदान किया। अपने फैसले को जायज ठहराते हुए सरकार ने कहा था कि यह देश के हित में लिया गया फैसला है।आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने लोकसभा के मध्यावधि चुनाव की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेश निवेश पर संसद में मतदान के बाद यूपीए और मजबूत उभरकर सामने आया है। ज्यादा मजबूत हुआ है यूपीए। पटना में संवाददाताओं से बात करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि देश में मध्यावधि चुनाव का प्रश्न ही नहींए क्योंकि यूपीए सरकार और मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि लोकसभा का अगला चुनाव अपने समय यानी वर्ष 2014 में होगा।राष्ट्रीय जनातांत्रिक गठबंधन ;राजग के संयोजक शरद यादव ने कहा है कि गठबंधन के केन्द्र की सत्ता में आने पर मल्टीब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ;एफडीआई की अनुमति के मौजूदा सरकार के फैसले को रद्द कर इस क्षेत्र में व्यापार को उन्नत बनाने के लिए एक नई नीति बनायी जायेगी।कोलकाता में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने एफडीआई पर जनमत संग्रह की मांग की।एक कार्यक्रम में केजरीवाल ने कहा कि हम सबने देखा कि ससंद में एफडीआई पर चर्चा के दौरान राजनीतिक पार्टियों का क्या रवैया रहा। मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार ने सपा और बसपा पर सीबीआई का दांव इस्तेमाल कर सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में मत विभाजन के दौरान जीत दर्ज कर ली।सोनिया के 67वें रविवार को जन्मदिन से पहले शनिवार को उन्हें बधाई देते हुए करूणानिधि ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष के तौर परए आपने चुतराई से कई बाधाएं पार की हैं और सफलतापूर्वक बहुत सारे अवरोधों का सामना किया है। देश इस महत्वपूर्ण दौर में केंद्र में एक धर्मनिरपेक्ष और स्थिर सरकार देने के लिए केवल आपकी ही ओर देखता है।यह है आपका बहुजन समाज!अब हिंदु राष्ट्रवाद का नजारा देखें! पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ.मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि यदि एनडीए सत्ता में आई तो खुदरा व्यापार से एफडीआई वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा कि एफडीआई से हमारी नहीं बल्कि चीन की अर्थ व्यवस्था सुधरेगी। संसद में प्रस्ताव गिरने पर वह बोले कि एफडीआई की हार और सीबीआई की जीत हुई।भोपाल प्रवास पर आए डॉ. जोशी ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान भाजपा के संगठन चुनावए राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी और पार्टी में प्रधानमंत्री पद के दावेदार जैसे सवालों को टाल दिया।मध्यावधि चुनाव की संभावना जताते हुए वह बोले अभी तो सिर्फ एफडीआई पर ही बात होगी। एनडीए के सत्ता में आते ही एफडीआई के निर्णय को हम पलट देंगे। क्योंकि इससे चार बड़ी कंपनियां लाभान्वित होंगी जिन्हें चीन की छह हजार कंपनियां माल सप्लाई करती हैं। इसलिए इससे चीन की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। इस पर जल्दबाजी को लेकर सोनिया गांधी ने भी सरकार को चिट्ठी लिखी थी लेकिन बाद में सब सामान्य हो गया। जब उनसे पूछा कि क्या अब यह मान लिया जाए कि देश के खुदरा कारोबार में विदेशी कंपनियों का रास्ता साफ हो गयाए वे बानून का राज है ही नहीं और मानवादधिकार के अपराधी छुट्टा सांड़ की तरह हमारे बाग्यविधाता बने हुए हैंए तब राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि भारतीय सहकारी संस्थाओं को पेशेवर बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्यों के कानून में केन्द्रीय कानून के अनुरुप संशोधन करना होगा ताकि देश की छह लाख सहकारी संस्थायें स्वायत्तए आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक निकाय के रूप में काम कर सकें। केन्द्र सरकार ने संविधान में 97वां संशोधन किया है जो कि फरवरी 2012 से प्रभावी हो गया है। इसके जरिये सहकारी संस्थाओं को कामकाज में अधिक स्वायत्ता की पहल की गई है। प्रदेश सरकारों को केन्द्रीय कानून के अनुरूप अपने कानूनों को संशोधित करने के लिये फरवरी 2013 तक का एक साल का समय दिया गया है।मुखर्जी ने यहां सहकारिता उत्कृष्टता के लिए एनसीडीसी अवार्ड देने के बाद कहाए हाल ही में केन्द्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र के लिए संविधान का 97वां संशोधन कर बड़ी पहल की है जो इन संस्थाओं के लोकतांत्रिक और स्वायत्त परिचालन को सुनिश्चित करता है। इस संशोधन से सहकारिता बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है। मुखर्जी ने कहा कि इस पहल को आगे जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए राज्य सरकारों को भी आवश्यकतानुसार राज्यों के कानून में संशोधन करते हुए उपयुक्त माहौल बनाने की जरुरत है।ऐसे में न्यायमूर्ति मार्कन्डेय काटजू को कैसे गलत कह सकते हैं , जब वे कहते हैं, "मैं कह सकता हूं कि नब्बे प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं। आप लोगों के दिमाग में भेजा नहीं होता .आपको आसनी से बहकाया जा सकता है।उन्होंने यहां एक संगोष्ठी में कहा कि दिल्ली में महज 2000 रूपये के लिए सांप्रदायिक दंगा भड़काया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपको महज इतना करना है कि किसी पूजा के स्थान के प्रति असम्मान दिखाते हुए कोई शरारतपूर्ण काम कर दें और लोग एक दूसरे से झगड़ना शुरू कर देते हैं।काटजू ने कहाए "आप पागल लोग आपस में झगड़ने लग जायेंगे और इस बात को समझेंगे भी नहीं कि इसके पीछे कुछ भड़काने वाले लोग हैं।" उन्होंने कहा कि 1857 से पहले देश में कोई सांप्रदायिकता नहीं थी लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदल गयी है। उन्होंने कहाए "आज 80 प्रतिशत हिन्दू सांप्रदायिक हैं और 80 प्रतिशत मुस्लिम सांप्रदायिक हैं।" मैं आपको बता रहा हूं कि यह कड़वी सच्चाई है। यह कैसे हो गया कि 150 साल में आप आगे जाने के बजाय पीछे चले गये क्योंकि अंग्रेज आपके भीतर जहर भरते रहे।" काटजू ने कहा कि 1857 के बाद लंदन से आने वाली नीति यही थी कि इस देश पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है कि हिन्दू और मुस्लिम आपस में लड़ते रहें।उन्होंने कहा कि यह दुष्प्रचार चल रहा है कि हिन्दी हिन्दुओं की भाषा है और उर्दू मुस्लिमों की। "हमारे पूर्वजों ने भी उर्दू पढ़ी है लेकिन आपको बेवकूफ बनाना बहुत आसान है। आप मूर्ख है, लिहाजा आपको आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है।" काटजू ने कहा कि वह ये कड़ी बातें इसलिए कह रहे हैं कि भारतीय इस पूरे खेल को समझे और बेवकूफ नहीं बने रहें।भारतीय कारोबारी माहौल पर चिंता जताते हुए टाटा ग्रुप के प्रमुख रतन टाटा का कहना है कि भारत की तुलना में चीन में व्यापार करना ज्यादा आसान है। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत में चीन को टक्कर देने की हिम्मत तो है लेकिन सरकारी से सहयोग की कमी की वजह से वह चीन से मुकाबला नहीं कर पा रहा है।एक इंटरव्यू के दौरान टाटा ने कहा कि उनके समूह ने विस्तार के लिए अन्य उभरते बाजारों में संभावनाएं तलाशी लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नौकरशाही के मामले में शिकायतों को दूर करने में नाकाम रहे। यही वजह रही कि उन्हें विदेश की ओर रूख करना पड़ा।गौर हो कि टाटा का यह बयान उस समय आया है जब सरकार इस समय कई आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा रही है। इनमें बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र;एफडीआईद्धएबीमा और विमानन क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलना शामिल है। टाटा ने कहा कि सरकार के सहयोग में भारी अंतर है। अगर हमारे उद्योग को उसी तरह का प्रोत्साहन दिया जाता जैसा कि चीन में दिया जाता है तो मुझे लगता है कि भारत निश्चित तौर पर चीन से प्रतिस्पर्धा कर सकता। टाटा के इन हाउस प्रकाशन में एक अलग इंटरव्यू में टाटा ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को समूह के नैतिक मूल्यों के साथ समझौता नहीं करने के एक बड़े संघर्ष से जूझना पड़ेगा।ोले कि जरूरी नहीं हैए क्योंकि भारत में इसका प्रबल विरोध है यह बात वे कंपनियां भी जानती हैं। इसलिए एफडीआई आसानी से नहीं आएगाए वे अपने भारतीय पार्टनर के कंधों पर बंदूक रखकर चलाएंगे। भाजपा इसका देशव्यापी विरोध करेगी। युवाओंए व्यापारियों और किसानों को इसके नुकसान बताएंगे।विदेशी बीमा कंपनियों के मामले में उन्होंने कहा कि देश में भारतीय जीवन बीमा अच्छा काम कर रही हैं। दुनिया में विदेशी बीमा कंपनियां घाटे में जा रही हैं इसलिए उन्हें भारत में एक ब़़डा बाजार दिख रहा है। बीमा कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन के अध्यक्ष बिजनर से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए डॉ जोशी ने कहा कि जब उन्होंने इसकी वकालत की तो मैंने उनसे कंपनियों की बैलेंस शीट दिखाने को कहा इस पर वह पीछे हट गए।उन्होंने खुलासा किया कि वॉलमार्ट ने अपनी बैलेंस शीट में लिखा है कि एफडीआई की लॉबिंग पर उसने हिन्दुस्तान में 53 मिलियन डॉलर खर्च किया। इससे आप अनुमान लगा लीजिए कि सरकार क्यों इस पर अड़ी थी। इसके आने से देश में अब हर जगह भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इससे बचने का उपाय तो यही है कि हिन्दुस्तान अपने बलबूते पर खड़ा हो।इसपर तुर्रा यह कि जब संविधान की पांचवीं और आठवीं अनुसूचियों के मुताबिक आदिवासियों को स्वायत्तता देने के बजाय राष्ट्र ने उनके किलाफ युद्ध घोषमा कर रखी होए जबकि डिजिटल नागरिकता के जरिये बहुजनसमाज की बेदखली और बहिष्कार के लिए नागरिकों की स्वायत्तता और ​​संप्रभुता का खुला उल्लंघन हो रहा होए कअमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहाए ष्हम मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ;एफडीआईद्ध को मंजूरी देने दिए जाने संबंधी भारतीय संसद के फैसले का स्वागत करते हैं।ष् टोनर ने कहाए एफडीआई से छोटे व्यवसायियों और किसानों के लिए अवसर पैदा होंगे तथा ढांचागत क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा और यहां तक कि खाद्यान्न पर महंगाई कम होगी।ष् टोनर ने एक सवाल के जवाब में कहा, "हमारा मानना है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से भारत में चीन, ब्राजील और अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तरह बाजार बढ़ेंगे।" उन्होंने कहाए "कई अमेरिकी कंपनियां भारत के खुदरा क्षेत्र में निवेश करने को उत्सुक हैं और मेरा मानना है कि इस फैसले से हमारा आर्थिक सहयोग मजबूत होगा।" यूएस.इंडिया बिजनेस काउंसिल ;यूएसआईबीसी ने एक बयान में भारतीय संसद के फैसले की सराहना की।यूएसआईबीसी के अध्यक्ष रोन सोमर्स ने कहाए मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई से किसानों के लिए उचित मूल्य हासिल करने के भारत सरकार के लक्ष्य को समर्थन मिलेगा और इससे गुणवत्ता बढ़ेगी तथा उपभोक्ताओं के लिए विकल्प पैदा होंगे। इस बात को मानते हुए कि सुधार को लागू करना राज्यों पर निर्भर है, बयान में कहा गया कि यूएसआईबीसी उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पंजाब और बिहार सहित प्रगतिशील राज्यों की सरकारों के साथ काम करने की इच्छुक है और वह 2013 में अपनी सदस्य कंपनियों के इन राज्यों के दौरे का नेतृत्व करेगी।
-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

सोचते ही रह जाओगे.........

2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में कंपनियों ने कितना मुनाफा कमाया है हम आप सिर्फ सोचते ही रह सकते हैं-

1. यूनिटेक: पलभर में चार हजार करोड़ का फायदा

1661 करोड़ में लाइसेंस ख़रीदा। लगे hath 60 प्रतिशत हिस्सेदारी 6200 करोड़ रुपये में नार्वे की टेलीनार को बेच दिया। यानी चं मिनटों में ४५३९ करोड़ का फायदा उठाया। कंपनी की कीमत बढ़कर १०,३३३ करोड़ हो गयी।

2. टाटा : हाथोंहाथ 11 हजार करोड़ का मुनाफा कमाया

1600 करोड़ में लाइसेंस लिया। 27.31 प्रतिशत हिस्सेदारी जापानी कंपनी डोकोमो को 12,924 करोड़ में बेच दी। यानी बिना कुछ किये 11324 करोड़ का फायदा। कंपनी की कीमत भी बढ़कर 47,866 करोड़ रुपये हो गयी।

3. स्वान: यू.. कंपनी से साढ़े सात हजार करोड़ कमाए

1,537 करोड़ रुपये में लाइसेंस ख़रीदा। 45 प्रतिशत हिस्सा यू.ए.ई की एस्तिलात को 9,000 करोड़ में बेच दिया। इस तरह 7,463 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लिया। स्वान (आरकाम) की कीमत 20 हजार करोड़ रुपये हुई।

4. श्याम : 27 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर करोडो कमा लिये

1,626.32 करोड़ में लाइसेंस ख़रीदा। रूसी कंपनी सिस्टेमा को 10 प्रतिशत हिस्सेदारी 450 करोड़ में बेच दी। बाद में 17.14 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिये 2,699 करोड़ रुपये चुकाए। अब कंपनी पर सिस्टेमा का ही वर्चस्व है

5. रिलायंस: स्वान का साथ लेकर हथियाया लाइसेंस

स्वान पहले रिलायंस अनिल धीरुभाई अम्बानी समूह का हिस्सा थी। बाद में डीबी रियल्टी हावी हो गयी। स्वान ने उन्ही लाइसेंस के लिये आवेदन जहाँ रिलायंस नहीं थी। लाइसेंस के लिये स्वान टेलीकॉम का इस्तेमाल किया।

6. लूप: 5 लाख की पूँजी को 8 करोड़ बताकर लाइसेंस लिये

लूप का पहले नाम शिपिंग स्टॉप डॉट काम था। मालिक एस्सार वाले रुइया थे। शेयर पूँजी पांच लाख थी, जबकि दिखाई 8 करोड़। एस्सार ने लाइसेंस हासिल करने के लिये इस कंपनी का इस्तेमाल किया।

यह कुछ उदहारण हैं, घोटाले में शामिल कंपनियों के इसके अतिरिक्त 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कई स्तरों पर घोटाले हुए हैं। क्या आप भी इतना कमा सकते हैं ? नहीं तो सोचते रह जाओगे

सुमन
लो क सं घ र्ष !

मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

भारत के तीन बड़े झूठ




एयरलाईन खोलने के लिए मुझसे रिश्वत मांगी गयीमेरे एक मित्र ने कहा कि इस व्यवसाय में आना चाहते हो तो दे दो 15 करोड़ की रिश्वतलेकिन मैंने उन्हें मना करते हुए कहा कि अगर मैं रिश्वत दे दूंगा, तो मुझे नींद नहीं आएगी
- रतन टाटा ( चेयरमैन, टाटा संस )

टाटा जी का पूरा साम्राज्य घूस देने पर ही टिका हुआ है तमाम टैक्सों की चोरी से लेकर नौकरशाही को उपहार देकर भ्रष्ट बनाने का कार्य आपका आर्थिक साम्राज्य करता है। अमेरिका की ओबामा की पार्टी से लेकर भारत में कांग्रेस भाजपा तक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से चंदा रूपी आप घूस देते हैं और उसी घूस के तहत तमाम सारे अपराधों से मुक्ति पाते हैं। यदि ईमानदारी से विभिन्न मामलों की जांच करा ली जाये तो आप पर हजारो आर्थिक मुकदमें होंगे। जिसमें कई जन्मो की सजा हो सकती है लेकिन तुलसीदास जी लिख गए हैं - समरत को नहि दोष गोसाईं॥

यह सच है कि व्यावसायिक कम्पनियां रिश्वत देकर अपना काम करवा रही हैंलेकिन उन्हें काम करवाने के लिए रिश्वत नहीं देनी चाहिएआम आदमी की तुलना में उनके लिए यह ज्यादा आसान होगा
-राहुल बजाज ( सांसद एवं चेयरमैन, बजाज ग्रुप)


भ्रष्टाचारियों का उपदेश है यह आप के आर्थिक साम्राज्य को किसी समय में कांग्रेस का भरपूर समर्थन प्राप्त था। बीच में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का भी अपूर्व समर्थन प्राप्त था जिसके कारण नियमो उपनियमो की धज्जियां उड़ा कर साम्राज्य खड़ा हुआ है। कौन सा कार्य आप के आर्थिक साम्राज्य में नहीं होता है।

देश की सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार हैदेश से यह दूर हो जाएगा तो सारी समस्याएं हल हो जायेंगीभ्रष्टाचार राजनितिक समस्या है की सामाजिक समस्या
-बाबा रामदेव ( योग गुरु व पतंजलि के संस्थापक )

यह भ्रष्टाचारी उवाच है आप आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माता व्यापारी हैं। दवाओं में मानव हड्डियों का इस्तेमाल करते थे। बवाल होने पर बड़ी सफाई दी। उस समय इनके द्वारा उत्पादित दवाओं में लेबेल के ऊपर उसमें इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री का वर्णन नहीं होता था। इनका औषधि व्यापार भ्रष्टाचार रहित है यह बात उसी तरीके से सत्य है जिस तरीके से रात को सूरज निकला था।
वर्तमान समय में भारत के ये तीन बड़े झूठ हैं।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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