शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

विश्व शांति का दरोगा अब बम वर्षा करेगा

अब फंसे हो अमेरिकी दरोगा के चक्कर में
अमेरिकन साम्राज्यवाद के विरोधी लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी गृह युद्ध जैसी स्तिथि में फंसे हैं अमेरिका को आज जनता के मानवाधिकारों की याद आने लगी है इसके पूर्व ईराक में परमाणु शस्त्रों की बात प्रचारित कर अमेरिकन साम्राज्यवाद ने निरस्तीकरण के नाम पर लाखों नागरिकों की हत्या कर ईराक पर कब्ज़ा कर लिया है मिस्त्र, बहरीन टयूनेशिया जैसे मुल्कों में उसके पिट्ठू तानाशाह थे और उन तानाशाह के स्थान पर वह नए लोगों को स्थापित करना चाहता था महंगाई बेरोजगारी के खिलाफ जनता की आवाज को सहारा देकर अमेरिकन साम्राज्यवाद ने नेतृत्व परिवर्तन कर अपनी पकड़ मजबूत की है बहरीन में तीस हजार अमेरिकी सैनिक हैं सैकड़ों मिसाइल्स तैनात हैं जिनका रूख ईरान की तरफ है मिस्त्र में अमेरिकन खुफिया एजेंसी सी.आई. का सबसे बड़ा यातना सेंटर है अब वहां जन असंतोष के नाम पर अपने विरोधी मुल्कों पर कब्ज़ा करना चाहता है किसी देश की संप्रभुता को नष्ट करने के लिए उसके पास मानवाधिकार निरस्तीकारण लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता जैसे हथियार हैं जिनके बहाने वह अपने विरोधी मुल्कों में अपनी पिट्ठू सरकार स्थापित कराने का कार्य करता रहा है आज उसी हथियार का सहारा लेकर विश्व शांति का दरोगा लीबिया पर बम बरसाने का कार्य करने की योजना बना रहा है इसकी पुष्टि अमेरिकन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता फिलिप क्राउले ने की हैलीबिया पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने का काम शुरू हो गया है दुनिया को नियंत्रित करने के लिए उसकी पिट्ठू संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ ने बड़ी तेजी से कार्य करना शुरू कर दिया है लेकिन जब वियतनाम, अफगानिस्तान ईराक जैसे मुल्कों की बात आती है तो संयुक्त राष्ट्र संघ कि कोई हैसियत नहीं रहती है बस वो कोरी बयानबाजी कर के रह जाता है

2 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

यह हमेशा दुसरो की फ़टी मे टांग अडाता हे कभी मरेगा बुरी तरह से... अब बाकी देश इस की चाल पहचानने लगे हे, लेकिन फ़िर भी भारत जेसे देश इस को अपना दोस्त ही मानते हे:)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

असलियत सामने आ गयी!

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