शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

हैदराबाद बम विस्फोट

 हैदराबाद बम विस्फोट 2013 में अब तक 16  व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। 6 मरणासन्न व्यक्तियों सहित लगभग 120 लोग घायल हैं। गृह मंत्री शिंदे कह रहे हैं कि दो दिन पूर्व सूचना दे दी गयी थी। खुफिया एजेंसियों द्वारा मीडिया में कई तरह की फिल्में दिखाई जा रही हैं। जनता जिस फिल्म को सर्वाधिक पसंद कर ले वही फिल्म न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया जायेगा। और फिर अन्य विस्फोट हो जायेंगे। जनता मरेगी, फिर वही डायलॉग डेलीवेरी शुरू हो जाएगी। मीडिया के माध्यम से खुफिया एजेंसी बता रही हैं कि यासीन भटकल इंडियन मुजाहिद्दीन आजमगढ़ के तबरेज की तरफ शक की सुई है। दूसरी ओर घटना करने का तरीका मक्का मस्जिद विस्फोट की तरह है या पुणे विस्फोट की तरह है बताया जा रहा है। मीडिया में साक्ष्यों को बताना या जारी करना विधि सम्मत नही होता है। और न ही जनता की सहमति की आवश्यकता होती है लेकिन विस्फोटों के बाद अज्ञात और ज्ञात सूत्रों द्वारा कुछ कहानियो का प्रचार किया जाता है और अधिकांश मामलों में पहले से अविधिक रूप से निरुद्ध व्यक्ति का चालान कर दिया जाता है। वास्तविक अभियुक्त मौज कर रहे होते हैं। सबसे दुखद बात यह है केंद्र में सत्ता और विपक्ष अपने अपने मतदाताओं को खुश करने के लिए राजनितिक व बेढंगे बयान जारी करने लगते हैं। 
             जरूरत इस बात की है कि इन बम विस्फोटों की जांच निष्पक्षता व धैर्य के साथ की जाए कोई जरूरी नही है की अभियुक्त 24 घंटे या 48 घंटे में गिरफ्तार ही कर लिए जाये। जो भी गिरफ्तार कर लिया जाए कम से कम उसकी गिरफ्तारी में पारदर्शिता तथा विधि का पालन किया जाए तभी बम विस्फोटो व अपराध पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस तरह की घटनाएं दुखद है और बेगुनाह लोगों को मार डालने का कहीं से कोई औचित्य नही है। लेकिन ऐसे क्रूर अपराधियों की गिरफ्तारी व दंड की व्यवस्था करना राज्य की जिम्मेदारी है लेकिन निष्पक्षता के साथ, वैसे तो भारतीय पुलिस के सम्बन्ध में अक्सर कहा जाता है कि घटना होने के पूर्व ही अपराधी गिरफ्तार हो जाता है। यह भी दुखद स्तिथि है।

सुमन 

2 टिप्‍पणियां:

G.N.SHAW ने कहा…

सहमी - सहमी रिपोर्ट |

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

सार्थक पोस्ट | आभार

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