रविवार, 5 अप्रैल 2020

पहले भूख मिटाएं - फिर दिया जलाएं






प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में कोरोना कहर टूट पड़ा है जिससे प्रशासन को मजबूर होकर कर्फ्यू लगाना पड़ा है दूसरी ओर गरीब मुसहर जाति के लोगों को अखाद्य सामग्री खाने के लिए मजबूर होना पड रहा है। मोदी किट को लेकर दबंगों और गरीब मुसहर जाति को लेकर मारपीट का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास न काफी हो रहे हैं।
जिसका उदाहरण यह कि फूलपुर पुलिस थाना क्षेत्र के थाना गांव में शनिवार की शाम मोदी किट (अनाज) को लेकर दबंगों और गरीब व भूखें मुसहरों के बीच जंग शुरू हो गई ।
आरोप है कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया। इस हमले में फूलपुर के इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। खबर है कि उग्र भीड़ ने पुलिस का टियर गन और एक मोबाइल छीन लिया है। पुलिस की एक बाइक भी कूंच दी गई है। बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने थाना गांव में जमकर तांडव मचाया। कई मुसहरों की मड़इयां फूंक दी गई हैं।
लाक डाउन के बाद करोड़ों की संख्या में ग्रामीण मजदरों की मजदूरी चली गई है और वह भुखमरी के शिकार हो गए हैं। सरकारी मदद पहुंच नहीं पा रही है यदि थोड़ा बहुत पहुंच पा रही है तो दबंगों के आगे गरीब बौने साबित हो रहे हैं।
जनपद गोंडा में मनरेगा के रुपयों को लेकर दो हत्याएं हो गयी है उसका मुख्य कारण है कि सत्तारूढ़ दल के लोग विपक्षी पार्टियों के लोगों को मदद नहीं होने दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री भाषण में भारतीयता की दुहाई देते हैं लेकिन व्यवहार में भयानक साम्प्रदायिककरण किया जा रहा है। विपक्षी दलों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
राष्ट्रीय एकता प्रदर्शित करने के बहाने राजनीतिक एजेंडा अपनाया जा रहा है आज का भी कार्यक्रम उसी एजेंडे की एक कड़ी है क्योंकि आज भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के 40 वर्ष पूरे हो रहे हैं और कोरोना के कारण 6 अप्रैल को कार्यक्रम नहीं हो सकता है इसलिए जनसंघ के चुनाव निशान दिया का सहारा लेकर 'दिया जलाएं' कार्यक्रम हो रहा है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने यह आरोप स्पष्ट शब्दों में लगाया है।
जनता के संकट के समय मनुष्यता नहीं छोडनी चाहिए किन्तु जो व्यवहार में दिखाई दे रहा है उसमें जरा भी मनुष्यता नहीं है।
 'मुंह राम बगल में छूरी है । '
सरकार अविलंब गरीब तबकी भूख समाप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाए तभी इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।
-रणधीर सिंह सुमन 

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