गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

सरकार द्वारा आर्थिक डिफॉल्टर्स को, सजा देने की व पैसे वसूलने की जगह लाखों करोड़ों रूपयों का राहत, पैकेज दे रही है - अमरजीत कौर




आजादी के आंदोलन का गवाह मज़दूर वर्ग का एकमात्र ऐतिहासिक संगठन आल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के  शताब्दी वर्ष में एटक की प्रथम महिला महासचिव श्रीमती अमरजीत कौर ने दो टूक शब्दों में कहा जब पूरा संसार वैश्विक. कोरोना महामारी, मानवीय त्रासदी और हज़ारों मौतों  के लगातार सिलसिले से जूझ रहा है तब प्रधानमंत्री जी ज़रूरी उपकरण उपलब्ध करवाने व राहत देने की बजाय  रात 9 बजे समस्त देश की बिजली  सेवा बंद करवा कर मोमबत्तियां जलवा रहें हैं। हद तो तब हो गई जब देश भर में पटाखों एवं फुलझड़ियों के शोर से आकाश गुंजायमान हो उठा। पूरा माहौल जश्न के शोर से मग्न था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो हमने देश से कोरोना वायरस, भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी व तमाम बीमारियों का नामोनिशान ही मिटा दिया हो।
          राष्ट्रीय  एकता और भाईचारे के सन्देश की बात का डंका पीटा गया तथा फूहड़ तरीक़े से इस विश्वव्यापी त्रासदी पर भारी संख्या में जुलूस निकाले गए और  पटाखे छोड़े गए। इस प्रक्रिया में विधायक और सांसद महोदय भी उपस्थित रहे। मानव समाज से सरोकार रखने वाले किसी भी संवेदनशील, विवेकशील तार्किक और वैज्ञानिक सोच समझ रखने वाले समाज के लिए यह उन्माद भरा जश्न शर्मनाक होने के साथ साथ भयावह भी था। भारी प्रचार व संगठित तरीके से करोड़ों  लोगों से वह काम करा दिया गया जिसे वे शायद ही करना चाहते हों।

श्रीमती कौर ने कहा कि हाल ही में स्वास्थ्य उपकरणों की भारी कमी के चलते अगली पंक्ति में लड़ने वाले चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ़ इस बीमारी  के शिकार हो रहे हैं। मेडिकल कर्मियों, पुलिस, व सफ़ाई कर्मियों को मास्क दस्ताने व मेडिकल किट  के लिए जूझना पड़ रहा है। जान जोखिम में डाल कर ये सभी लोग कार्य कर रहे हैं। इस बाबत वह तमाम डॉक्टर्स, नर्सेस ,मेडिकल कर्मी व सफ़ाई कर्मचारियों के संगठन सरकार से आवश्यक कार्यवाही  करने की मांग कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री से इस सम्बन्ध में कई राज्य सरकारें लगातार अपनी मांगे रख रही हैं जिस पर प्रधानमंत्री द्वारा कोई ठोस कदम उठाया गया नहीं दिखता।
प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार अचानक बिना ठोस तैयारी  व योजना के लॉकडाउन की घोषणा की, उसके चलते देश भर के लाखों श्रमिक व दिहाड़ी मज़दूरों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। श्रीमती कौर ने कहा कि आज 110 से अधिक मौत कोरोना वायरस से तथा 30 से अधिक  मजदूरों की सैकड़ों किलोमीटर अपने घरों की ओर चलते हुए सड़क दुर्घटनाओं में हुई। इन मृतकों और सड़क पर ह्रदय विदारक मौतों के प्रति यह एक भद्दा मज़ाक ही साबित होता है।

सरकार द्वारा आर्थिक डिफॉल्टर्स को, सजा देने की व पैसे वसूलने की जगह लाखों करोड़ों रूपयों  का राहत, पैकेज के तहत दे दिया गया है तथा आम जनता को राहत देने के नाम पर सरकार को सांप सूंघ जाता है तथा सरकार द्वारा घोषित योजनायें भी पीड़ितों तक नहीं पहुंच रहीं हैं। यहाँ तक कि ग़रीब मज़दूरों को पेंशन की रकम मिलने में भी अधिक दिक़्क़त हो रही है।

श्रीमती अमरजीत कौर ने स्पष्ट रूप से 1990 के बाद विश्वभर में भूमंडलीयकरण व नई आर्थिक नीतियों तथा मुनाफ़ाखोरी पर आधारित पूंजीवाद को ही ऐसी बीमारियों व सार्वजानिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति गंभीर उदासीनता का मुख्य कारण बताया। कोरोना महामारी की वजह से 70000 के करीब मौतों की पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन कर चुका है।
50000 लोग गंभीर अवस्था में अस्पतालों में भर्ती हैं तथा 1300000 लोग इस महामारी से प्रभावित हैं। भारत में बड़े दुःख व अफ़सोस की बात है कि 130 करोड़ की आबादी पर अभी तक 60000 टेस्ट ही हो पाए हैं। जबकि सरकार जानती है कि पिछले दो महीने में देश में विदेशों  से आने वालों का ही आंकड़ा पंद्रह लाख से ऊपर है ।

श्रीमती कौर ने कहा कि चिकित्सकों पर हमले की निंदा करने के लिए प्रधानमंत्री के पास न तो कोई अल्फ़ाज़ हैं और न ही इस महामारी से लड़ने की लिए कोई योजना। ऐसे में राष्ट्रीय  एकता के नाम पर यह असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की सुनियोजित कोशिश है। श्रीमती कौर ने सवाल उठाया कि 28 मार्च को गुजरात के श्रद्धालुओं को हरिद्वार से निकालने के लिए केंद्र व उत्तराखंड सरकार कई लग्ज़री बसों की व्यवस्था करती है और  उत्तराखंड लौटने वाले प्रवासियों को छोड़ कर ये बसें किसके इशारे पर खाली उत्तराखंड पहुँचती हैं जबकि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के रोगियों को व हज़ारों मज़दूरों को सपरिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ खुले आसमान में कोरोना जैसे दुश्मन के लिए लावारिस छोड़ दिया जाता है।

श्रीमती कौर ने प्रधानमंत्री से उनकी पार्टी के आई.टी. सेल द्वारा भ्रामक व साम्प्रदायिक प्रचार करने तथा संस्कृति कर्मियों व पत्रकारों को बेवजह ट्रोल किये जाने की तीखी भर्त्सना की और प्रधानमंत्री से इस सम्बन्ध में कठोर कार्यवाही करने का आग्रह भी किया।

श्रीमती कौर ने कहा कि हाल ही में 10 राष्ट्रीकृत बैंकों को लॉकडाउन के इस दौर में विलय कर दिया गया। जिसका कर्मचारी संगठन संयुक्त रूप से विरोध कर रहे थे। सार्वजनिक बैंकिंग व्यवस्था को कमज़ोर करने की दिशा में यह एक सुनियोजित कदम है। उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री अपनी हठधर्मिता छोड़ सभी राजनितिक दलों, सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स व जन संगठनों को साथ लेकर इस गंभीर महामारी के खिलाफ योजनाबद्ध हो कर चलें।

 अंत में एटक महासचिव ने देश के समस्त श्रमिक संगठनों, कर्मचारी फैडरेशंस व विभिन्न जन संगठनों से इस महामारी से लड़ने का आह्वान व बढ़ चढ़कर सरकार को सचेत करते हुए अपना अहम योगदान देने को कहा। श्रीमती कौर ने आशा व्यक्त की कि पचास करोड़ से अधिक श्रमिक वर्ग देश की आम जनता के साथ संयुक्त रूप से इस महामारी के खिलाफ़ निर्णायक लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने सरकार से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत कर राष्ट्रीय सार्वजनिक क्षेत्रों को मज़बूत करने की अपनी मांग दोहराई जो इस संकट की घड़ी में देश के साथ मज़बूती से खड़े हैं।


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