गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

क्रांतिकारी योद्धा - पी सी जोशी


 ब्रिटिश राज में कम्युनिस्टों पर जुल्म        

          ऐतिहासिक मेरठ षड्यंत्र केस(1929- 1933 )गतांक से आगे


साथियों पिकभले अंक में हमने मेरठ षड्यंत्र केस की पृष्ठ भूमि,गिरफ्तार किए गए देश भर के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेताओं के नाम और तस्वीर प्रस्तुत की थी उक्त 33 लोगों में जो सबसे कम22 वर्ष की उम्र के थे ,वे थे उत्तराखंड  के अल्मोड़ा में पैदा हुए  और सबसे पहले पृथक उत्तराखंड की माँग करने वाले विचारक  कामरेड पी सी जोशी जो बाद में 1935 में 27 साल की उम्र में भरती कम्युनिस्ट पार्टी के महा सचिव  बने । मेरठ षड्यंत्र केस में इन्हें 20 मार्च1929 को इलाहाबाद हॉलैंड हाल होस्टल से गिरफ्तार कर मेरठ लाया गया था।जोशी पढ़ने लिखने के काम में माहिर थे इसीलिए सभी कैदियों के लिए कानूनी नोट और ज्ञापन वे ही तैयार करते थे।जिन्होंने अपने बचाव में केस 65 पेज का वयान दिया था। नीचे हम उन्हीं कामरेड पी सी जोशी की ही तस्वीर है।loksangharsh - Navbharat Times Reader's Blog

         जैसे ही कम्युनिस्ट सुर मजदूर नेताओ की गिरफ्तारी हुए और उनपर षड्यंत्र का झूठा केस दर्ज हुआ अखिल भारतीय कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने इसे राष्ट्रीय आंदोलन पर हमला बताया।।चूंकि तब कांग्रेस स्वयं एक जंन आंदोलन थी उसमें सोशलिस्ट कम्युनिस्ट और अन्य उदारवादी देश भक्त उज़के सदस्य थे 33 गिरफ्तार मजदूर और कम्युनिस्ट नेताओं में8 एटक ,कम्युनिस्ट नेता ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के भी सदस्य थे।

तुरंत अभियुक्तों के बचाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने एक डिफेंस कमेटी की स्थापना की जिसमें एटक के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू,एम ए अंसारी श्रीनिवास अयंगार, मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना के एफ नारायण, एम आर जयकर, घनश्यामदास बिड़ला, थे इस कमेटी के चेयरमैन मोतीलाल नेहरू थे।यह भी उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आंदोलन के एकता के मध्यनजर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने बचाव के लिए 15000 रुपया भी दिया।महात्मागांधी स्वय मेरठ जेल में अभियुक्तों से मिलने गए और उन्होंने उनसे अगले सत्याग्रह आंदोलन के लिएसमर्थन भी मांगा।  

       यह मुक़द्दमा साढ़े तीन साल चला था। बचाव में320 लोगों की गवाही हुई,3000प्रपत्र(exhibits)दाखिल किए गएऔर पूरे मुकद्दमें पर15 लाख रुपया खर्च हुआ।

   एटक के अध्यक्ष की हैसियत से नेहरू जी ने मजदुरो से आंदोलन करने के लिये कॉल दिया  पं जवाहर लाल नेहरु ने गिफ्तारियों और झूठे मुकद्दमें की निंदा करते हुए  ब्रिटिश ट्रेडयूनियन कांग्रेस जनरल काउंसिल के सेक्रेटरी वाल्ट सिट्रीन को लिखा कि :-मैं यह बताना चाहूँगा कि इस केस को सामान्य परिस्थितियों से अलग नही किया जा सकता। और इसे सरकार कीमजदूर आंदोलन पर क़ी जाने वाली आक्रमक कार्यवाही के एक चरण के रूप में में देखा जाना चाहिए। "उन्होंने आगे कहा कि:--" भारतमेकम्युनिस्टोंऔरकम्युनिज़्म(साम्यवाद)का बड़ा शोर मचाया जा रहा है।निःसंदेह भारत में कुछ कम्युनिस्ट हैं परंतु साथ ही साम्यवाद का हो हल्ला ब्रिटिश सरकार द्वारा किये गए बेइंतहा पापों पर पर्दा डालने जैसा है "

,"विश्वभर के कम्युनिस्ट आंदोलन ने मेरठ मुकद्दमें के अभियुक्तों के साथ एकजुटता का इजहार किया और उनकी रिहाई की माँग की। रोमां रोलां, हेनरी बरबुस सुर मैक्सिम गोर्की आदि विश्वप्रसिद्ध हस्तियों ने मेरठ के साथियों को शूर वीर कह कर उन्हें सममान दिया और ब्रिटिश साम्राजय वाद द्वारा किये जाने वाले  भीषण दमन की निंदा की।"

 ब्रिटिश प्रसिद्ध राजनीति शास्त्री प्रो, हेराल्ड लास्की का कहना था " मेरठ मुकद्दमा उन मुकद्दमों की श्रेणी में आता है जिंसमे अमरीका में मूनी मुकद्दमा शाशो बानजेनी मुकद्दमा,फ्रांस मेंड्रेफ़स और जर्मनी का रीस्टाग अग्निकांड मुकद्दमें सबसे बड़े उदाहरण हैं।"(,The Meerut trial belongs to the class of which the Moony trial  and the Sacco vanjz etti trial america, the Dreyfus trial in France,the Reichstag fire in Germany are the supreem instances"") (क्रमशः शेष अगले अंक में मुकद्दमें की कार्यवाही और सजा"+)

गिरधर पंडित 

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