रविवार, 23 अक्तूबर 2022

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पूर्व आई जी दिनेश पाण्डेय के निधन पर शोक व्यक्त करती है

लखनऊ में पूर्व आईजी की लखनऊ दम घुटने से मौत, पत्‍नी और बेटे की हालत गंभीर; एसी में लगी आग से कमरे में भर गया था धुआं लखनऊ के इंदिरा नगर के सेक्टर 18 में आग लग जाने के कारण रिटायर आईपीएस अफसर की दम घुटने से मौत हो गई। पत्नी-बेटे की हालत गंभीर है। दोनों को राम मनोहर लोहिया संस्थान में भर्ती कराया गया है। श्री पांडेय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य साथी गिरीश के साले थे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बाराबंकी उनके आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करती है। परिवार के अन्य सदस्यों की स्वास्थ्य लाभ की कामना भी करती है। लखनऊ के इंदिरा नगर के सेक्टर 18 में शनिवार की रात घर में धुआं भर जाने के चलते दम घुटने से एक रिटायर्ड आईजी (पूर्व आईपीएस) दिनेश चंद्र पांडेय की मौत हो गई। उनकी पत्नी और बेटे की हालत गंभीर बताई जा रही है। दोनों को राम मनोहर लोहिया संस्थान में भर्ती कराया गया है। घटना का कारण शार्ट सर्किट के चलते एसी में लगी आग बताया जा रहा है। रिटायर आईजी दिनेश चंद्र पांडेय की उम्र 71 वर्ष थी। वह अपनी पत्नी अरुणा पांडेय ( उम्र 68 वर्ष) और बेटे शशांक पांडेय ( उम्र 32 वर्ष) के साथ इंदिरा नगर सेक्टर-18 के मकान नंबर 28 में पहली मंजिल पर रहते थे। शनिवार शाम खाना खाने के बाद तीनों एक ही कमरे में सो गए थे। रात करीब 10:30 बजे दूसरे कमरे के एयरकंडीशनर में आग लग गई। इससे उस कमरे का पूरा सामान जलने लगा। दूसरे कमरे से निकला धुआं उस कमरे में भर गया, जिसमें दिनेश चंद्र पांडेय परिवार के साथ सोए थे। दम घुटने से तीनों कमरे में ही बेहोश हो गए। दिनेश चंद्र पांडेय मूलरूप से कानपुर के आर्यनगर के रहने वाले थे। दिनेश चंद्र पाण्डेय का एक बेटा प्रशांत बाहर रहता है। नजर कानपुरी के नाम से मिली थी प्रसिद्धि रिटायर्ड आईपीएस दिनेश चंद्र पाण्डेय काफी संवेदनशील और शेर ओ शायरी में गहरी रुचि रखने वाले व्‍यक्ति थे। उनकी 12 गजलें खूब चर्चित हुई थीं। वह यूपी उर्दू अकादमी अवार्ड, फिराक गोरखपुरी अवार्ड तथा नाजिर अवार्ड से सम्मानित थे। उनके लिखे शेर विश्व पटल पर चर्चित हुए। उर्दू के नामचीन शायरों के कलाम संकलित करने वाली संस्था ‘रेख्ता’ के आर्काइव में भी नजर कानपुरी के नाम से उनका दखल था। डीसी पाण्डेय का लिखा शेयर ‘सूरत ए शाम ए सर बज्म जला दो मुझको, सुबह हो जाए तो अनवल से बुझा दो मुझको’ काफी प्रसिद्ध हुआ। शुरुआती जिंदगी डीसी पाण्डेय की संघर्षों से भरी थी फिर भी जिंदगी के हर पहलू, हर चुनौती का सामना करते हुए डीसी कानपुरी ने एक मुकाम हासिल किया। लिखने पढ़ने का शौक वर्दी के पीछे धड़कते दिल में कायम रहा। नतीजतन जो बातें खुलकर नहीं कह सकते थे उनको शायरी में पिरो देते। दिनेश चंद्र पांडेय 2009 वह रिटायर हुए थे। दिनेश चंद्र पाण्डेय राष्ट्रपति पदक से सम्मानित थे। किराएदार ने धुआं देखकर मचाया शोर जब धुएं से कमरा भर गया तो ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले किराएदार अनिल ने शोर मचाया। मोहल्ले वालों ने पुलिस को सूचना दी। खबर लगते ही आसपास के फायर स्टेशनों से दमकल की पांच गाड़ियां मौके पर पहुंची। एसीपी गाजीपुर विजयराज सिंह ने बताया कि जब पुलिस ने कमरे का दरवाजा खोला तो तीनों बेहोश पड़े थे। सभी को तुरंत बाहर निकालकर लोहिया अस्पताल पहुंचाया गया। जहां दिनेश चंद्र पांडेय की मौत हो गई।

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