मंगलवार, 10 अक्टूबर 2023
फिलीस्तीन पर हुए जुल्म भी देखें - डाँ सुरेश खैरनार
बेंजामिन नेथ्यानू के राजनीतिक पुनर्जन्म के लिए, फिलिस्तीन का अस्तित्व समाप्त करने के लिए ही, यह लड़ाई शुरू की गई है !
14 मई 1948 के दिन अंग्रेजो ने भारत छोडने के पहले जैसे पाकिस्तान की निर्मिति की है ! बिल्कुल वैसे ही जैसे ही ! 'बाँटो और राज करो' की कुटनिति के अंतर्गत ! फिलिस्तीन से निकलने के पहले उसे बाटकर इजराइल की निर्मिति की है !
और अरबों की जनसंख्या ज्यादा रहने के बावजूद ! यहूदियों को 55% फिलिस्तीनी जमीन का हिस्सा दे देते हैं ! और इसीसे नाराज होकर, फिलिस्तीनीयो की तरफसे 15 मई से, 8 महिने की लड़ाई की शुरुआत होती है ! जिसमें फिलिस्तीन के तरफ से सभी अरब देश होतें है ! और इजरायल के साथ सभी पश्चिमी देश !
फिलिस्तीनीयो को जबरन उनके घरों से निकाला जाता है ! अरब मुस्लिम इस दिन को 'अल नकबा' यानी विनाश के दिन के तौर पर याद करते हैं ! जुलाई 1949 तक इजराइली सेना साढे सात लाख फिलिस्तीनीयो को निकाल चुकी थी ! 1949 में युद्धबंदी के ऐलान के साथ जंग रुकती है !
इस युद्ध के बाद, फिलिस्तीन का ज्यादातर हिस्सा इजराइल के कब्जे में चला जाता है ! जो जमीन जॉर्डन के कब्जे में थी ! उसे आज वेस्ट बैंक के नाम से जाना जाता है ! और जो हिस्सा सिनाई रेगिस्तान से सटा हुआ है ! जो इजिप्त के कब्जे में था ! वहीं आज की गाजा पट्टी है ! जहां से 7 अक्तुबर के दिन हमास ने हमला किया ! फिलिस्तीन की राजधानी यरूशलम को भी दो हिस्सों में बांटा जाता है ! एक जॉर्डन के पास होता है ! तो वही एक पर इजराइल का कब्जा हो जाता है ! 28 मई 1964 में अरब लीग की बैठक कैरो में हुई थी ! और उस बैठक में 2 जून 1964 के दिन, फिलिस्तीन को इजराइल से आजाद करने के लिए ही, इस संघठन की स्थापना की है ! जिसका नाम पॅलेस्टाईन लिब्रेशन ऑर्गनायझेशन ( PLO ) किया जाता है ! और वह यूएनओ में नॉन मेंबर ऑब्जर्वर के हैसियत से, 1974 के 'ओस्लो अकॉर्ड' के वजह से है !
1967 के युध्द में, इजराइल इजिप्त और सिरिया को हराकर, ईस्ट यरूशलम, वेस्ट बैंक, और गाजा पट्टी तथा गोलान हाईट्स पर कब्जा कर लेता है ! इसे ( six days war ) छ दिनों का युद्ध भी कहां जाता है ! और इजराइल ने कब्जा किए हुए इलाकों में, यहुदियो की कॉलनीया का बसाना शुरू होता है ! और हजारों की संख्या में फिलिस्तीनीयो को अपना घर छोडना पडता है !
1973 में अरब देशों का समुह इजिप्त के नेतृत्व मे, एक बार फिर इजराइल पर हमला करते हैं ! यह हमला यहुदियो के पवित्र दिन, नए साल के दिन यानी 'योम किपुर '6 अक्तुबर को किया जाता है ! इजराइल फिर एक बार अमेरिका की मदद से अरब देशों को हरा देता है !
1974 UN के प्रस्ताव 181 के तहत फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया जाता है ! एक यहूदियों के लिए और दुसरा अरब मुस्लिमों के लिए ! और उसी समय यरूशलम को इंटरनेशनल सीटी घोषित किया जाता है ! UN के इस प्रस्ताव को यहुदि सिर्फ कुटनितिक रुप से पसंद करते हैं ! लेकिन अरब देश इसे स्वीकार करने से मना कर देते हैं !
1978 में इजिप्त के राष्ट्रपती अनवर सादत और इजराइल के प्रधानमंत्री मेनाचेम बेगिन के बीच अमेरिकि राष्ट्रपति जिमि कार्टर शांति समझौता कराने की कोशिश करते हैं ! इसे 'कैम्प डेविड अॉकॉर्ड' के नाम से जाना जाता है ! और इस तथाकथित शांति समझौते की वजह से ही नोबल पुरस्कार कमेटी अपने विश्व प्रसिद्ध 'शांति पुरस्कार' से सम्मानित दोनों राष्ट्राध्यक्ष को बाँटकर किया जाता है ! हालांकि इसके तहत दिए गए सुझावों का कभी भी पालन नहीं किया गया है !
6 जून 1982 को इजराइल फिलिस्तीनी उग्रवादियों पर हमला करने के लिए लेबनान में घुसपैठ करता है ! इसमें इजराइल के समर्थन वाले मिलिशिया, बेरुत के कैंपों में रह रहे कई सौ से अधिक फिलिस्तीनी शरणार्थियों को मार डालते हैं !
1987 में फिलिस्तीन पहले 'इंतिफादा' यानी विद्रोह की शुरुआत करता है ! वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और इजराइल में हिंसक झडपे शुरू होती है ! पूरे 1987 के साल भर तक जारी रहती है ! दोनो तरफ के लोगों की जाने जाती है ! इसी गडबडी का फायदा उठाकर इजराइल यरूशलम को अपनी राजधानी घोषित कर देता है ! और अमेरिका, उसका तुरंत समर्थन, कर देता है !
1993 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की आगुवाई में, छ महीनों तक चली गुप्त बातचीत के बाद, इजराइल और फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनायझेशन के बीच दो समझौते कराए जाते हैं ! इसे 'ओस्लो एग्रीमेंट' का नाम दिया जाता है ! इस एग्रीमेंट के बाद भी दोनों देशों के बीच कोई हल नहीं निकल सका !
नई शताब्दी की शुरुआत में ही 2000 मे फिलिस्तीनीयो के तरफ से 'सेकंड इंतिफादा' की शुरुआत होती है ! इसकी वजह से इजराइल के नेतृत्व में एरिएल शेरॉन का मुस्लिमों के लिए पवित्र मानी जाने वाली 'अल - अक्सा' में जाने का कारण बनता है ! दरअसल ईसाई और यहुदि भी इसे अपना पवित्र स्थल टेंपल माऊंट समझते हैं !
2002 - 2004 के दौरान इजराइल आत्मघाती हमले की जवाबी कार्रवाई में वेस्ट बैंक मे घुसपैठ कर देता है ! और इजराइल की इस कार्रवाई को इंटरनेशनल कोर्ट अॉफ जस्टिस UN को बताता है, कि वेस्ट बैंक और गोलान हाईट्स में इजराइल का कब्जा गैरकानूनी है ! लेकिन इजराइल हमेशा की तरह इस फैसले को भी अनदेखी करता है ! और इसी साल के 11 नवंबर 2004 को यासर अराफात के मृत्यु, पॅरिस के अस्पताल में संशयास्पद, स्थिति में होती है !
2006, को 38 सालों तक गाजा पट्टी को कब्जे में रखने के बाद, इजराइल की सेना, गाजा पट्टी को छोड़कर चली जाती है ! और उसके बाद 'हमास' गाजा पट्टी में हुए चुनावों में जितकर सत्ताधारी पार्टी बन जाती है ! और आज भी दोबारा चुनाव जीत कर, गाजा पट्टी पर 'हमास'का ही राज जारी है ! जिसे आज विश्व भर का मिडिया आतंकवादी संगठन बोल रहा है !
2008 में फिलिस्तीन इजराइल पर इजिप्त द्वारा भेजी गई मिसाइल के साथ हमला करता है ! और जवाबी कार्रवाई में इजराइल भी गाजा पट्टी पर हमला करता है ! और इस लड़ाई में फिलस्तीन के 1110 लोगों की जान चली जाती है ! जबकि इजराइल के 13 लोगों की मौत होती है !
2012 में इजराइल हमास के मिलिटरी चिफ अहमद जबारी को मार डालता है ! बदले में गाजा पट्टी की तरफसे रॉकेट दागे जाते हैं ! इजराइल एअरस्ट्राइक करता है ! इसमें इजराइल के छ और फिलिस्तीन के 150 लोगों की मौत हो जाती है !
2014 मे हमास के मिलिटेंट 3 इजराइली बच्चों को मार देते हैं ! बदले में इजराइली मिलिटरी हमला करते हुए, सात हप्ते तक लड़ाई जारी रहती है ! इस लड़ाई में फिलिस्तीन के 2200 और इजराइल के 67 सैनिकों की, और छ बच्चों की मौत होती है !
2017 अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यरूशलम को इजराइल की राजधानी घोषित कर देते हैं ! और अमेरिकी दूतावास को तेल अविव से यरूशलम में स्थानांतरित करने की घोषणा करते हैं !
2018 में गाजा पट्टी में जबरदस्त प्रदर्शन शुरू होता है ! और इजराइली सेना के उपर पथराव किया जाता है ! क्योंकि फिलिस्तीन के पास कोई हथियार नहीं होते हैं ! जवाबी कार्रवाई में इजराइल की सेना 170 प्रदर्शनकारियों को मार गिराने का काम कर के ही, दम लेती हैं !
मैंने यह क्रोनॉलॉजी, जान बुझकर देने की एकमात्र वजह ! 'खरबूजा तलवार पर गिरा, या तलवार खरबूजा के उपर गिरी 'आखिर में नुकसान खरबूजा का ही होता है ! इस कहावत के अनुसार 14 मई 1948 के दीन फिलिस्तीन के भीतर इजराइल की निर्मिति करने के बाद ! और आज 10 अक्तुबर 2023 के दिन ! बचे हुए, कुल मिलाकर फिलिस्तीन का क्षेत्रफल, 14 मई 1948 के बाद से,अबतक, लगातार इजराइल हर लड़ाई में , फिलिस्तीन के क्षेत्र को अपने क्षेत्र में शामिल करते हुए ! फिलिस्तीन का क्षेत्रफल अब, दस प्रतिशत से भी, कम मे सिमटकर, रह गया है !
और मै दावे के साथ लिख रहा हूँ ! "कि इस मौके का फायदा उठाकर, इजराइल गाजा पट्टी में रहने वाले सभी फिलिस्तीनीयो का सफाया कर के ! गाजा पट्टी को, इजराइल का हिस्सा बनाने के मौके के रूप में, इस्तेमाल किए बगैर, नहीं रहेगा ! क्योंकि, बेंजामिन नेथ्यानू को उग्र झिअॉनिस्ट राष्ट्रवाद का बुखार पैदा कर के ! अपनी राजनीतिक जमीन दोबारा बनाने के लिए मौका मिला है !
और तथाकथित पश्चिमी देशों से लेकर भारत के उग्र हिन्दुत्ववादी तत्व, जिनके प्रतिनिधि वर्तमान सत्ताधारी दल और उसके साथ शामिल तथाकथित मिडिया, 7 अक्तुबर के बाद लगातार इजराइल की तरफ से, अपने आपको दिखाते हुए ! अप्रत्यक्ष रूप से इस्लाम के खिलाफ मामला दिखाते हुए ! भारत में आने वाले समय में चुनाव प्रचार के लिए ! अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए ! इस्तेमाल कर रहे हैं ! और इसिलिये प्रधानमंत्री पद पर बैठे हुए, नरेंद्र मोदी ने एक क्षण का इंतजार न करते हुए ! अपने खुद के ट्विटर हैंडल से, इजराइल के साथ भारत हैं, कि घोषणा कर दी है !
और वैसे भी संघने भले ही हिटलर और मुसोलिनी की नकल करते हुए, अपने संघटन की स्थापना की होगी ! लेकिन 14 मई 1948 से इजराइल वजूद में आने के तुरंत बाद ही ! चारों तरफ से इस्लामिक मुल्कों से घिरा हुआ, 'इजराइल' मुसलमानों को 'नाकों तले चने चबवा रहा है !' यह बात संघ के द्वारा, इजराइल के बारे मे लिखें जा रहे, साहित्य में भरमार है ! और किसी समय में फासिस्ट मॉडल का अनुकरण करने वाले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आज झिओनिस्ट इजराइल का हिमायती बन गया है ! और इसीलिए नरेंद्र मोदी ने बगैर कोई देर किए हम, इजराइल के साथ होने का, ऐलान कर दिया है !
हर लड़ाई हो या झड़प इजराइल के लिए बचा- खुचा फिलिस्तीन की जमिन पर कब्जा करने के मौके के तौर पर ! इस्तेमाल करने की कृतियों को देखते हुए ! लगता है, कि इजराइल बहुत ही चालाकी से फिलिस्तीन के लोगों को उकसा - उकसाते हुए ! और यूएनओ के किसी भी प्रस्ताव को न मानते हुए ! अपने देश का विस्तार करने के लिए, उन सभी घटनाओं का इस्तेमाल करता है ! और अमेरिका उसे सपोर्ट करने का काम करते रहता है !
और 7 अक्तुबर शनिवार के दिन हमास ने कीए हमले के बाद भी ! भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे हुए, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेथ्यानू के लिए, वरदान साबित हो सकता है ! क्योंकि नेथ्यानू ने अपने भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त होने के लिये इजराइल की सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारो को कम करने के लिए बील पास करा लिया है !
और इजराइल की जनता काफी समय से उसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन कर रही है ! और हमास के इस हमले से, स्वाभाविक रूप से, आंदोलन को रोकने से लेकर, विरोधी दलों को नेथ्यानू को सपोर्ट करने के लिए मजबूर कर दिया है ! इसलिए मुझे इस हमले के बारे में काफी शंकाएं दिखाई दे रही है ! क्योंकि हमास की निर्मिति खुद इजराइल ने ही पीएलओ के प्रभाव को कम करने के लिए स्थापित की थी !
क्योंकि अमेरिका में बैठी हुई झिओनिस्ट लॉबी, जबरदस्त सक्रिय रूप से, अमेरिका में अपनी भूमिका निभानेका काम करते रहती है ! और अमेरिका में भले ही रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति हो ! या डेमोक्रेटिक पार्टी के ! उन्हे, इजराइल के तरफ से, पचहत्तर सालों से, लगातार अंधे होकर, सपोर्ट करते हुए, देखा जा सकता है ! वर्तमान राष्ट्रपति बिडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों में स्पर्धा चल रही है ! कि कौन सबसे ज्यादा इजराइल के तरफसे है ! और इतिहास के क्रम में, हर अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजराइल को मदद देने से लेकर, यूएनओ में इजराइल को बचाने के लिए , अपने वेटो का इस्तेमाल करते रहते है !
अमेरिका और अंग्रेजो के फिलिस्तीन के उपर राज का मिलाजुला षड्यंत्र की पैदाइश है ! आजका इस्राइल ! 1907 में 'चाइम वाइजमैन' नामका एक यहूदी केमिस्ट, ब्रिटेन को महायुद्ध में नया और प्रभावशाली बम बनाने के लिए केमिकल खोजकर देने की वजह से, ब्रिटेन ने उसे खुश होकर "चाहें वह मांगों ! हम आप की इस मदद के एवज में कुछ भी, देने के लिए तैयार है !" तो वह पहले से ही यहुदीयो का बडा लिडर होने के नाते, उसने अपनी कौम के लिए फिलिस्तीन में राष्ट्र देने की मांग की ! उस समय फिलिस्तीन ब्रिटेन के कब्जे में था ! और वह पहली बार फिलिस्तीन जाता है ! वो वहां के इलाके में कंपनी खोलता है ! जिससे फिलिस्तीन में इस्राइल की निंव पडती है ! इसके 3 साल के भीतर एक यहूदी नेशनल फंड बनाया जाता है ! जिससे फिलिस्तीन में यहुदीयो की कॉलनी बसाने के लिए जमीन खरीदी जाती है !
इसके चलते 'मर्ज बिन आमेर' में पहली बार, 60,000 फिलिस्तीनियो को अपना घर छोडने के लिए मजबूर किया गया था ! विरोध के बावजूद सालों तक फिलिस्तीन में यहूदियों की एंट्री का सिलसिला और फिलिस्तीन के लोगों को फिलिस्तीन छोडकर जाने का, जारी रहा ! 14 मई 1948 में इस इलाके में यहूदियों के लिए अलग देश इस्राइल की स्थापना होती है !
आज फिलिस्तीन के संगठन हमास ने इजराइल पर पांच हजार रॉकेट से हमला कर दिया है ! और इजराइल की सेना ने भी जंग के लिए ऐलान कर दिया है ! ऐसी खबरें देखने और सुनने में आ रही है ! इसलिए मुझे इस भूभाग में आजसे तेरह साल पहले पहला एशियाई देशों के तरफ से अमन ओ कारवां के बहाने जाने का मौका मिला है ! और गाजा पट्टी में एक सप्ताह तक रहने का मौका मिला है !
इसलिए यह हमला मेरी समझ में नहीं आ रहा है, कि जिस 27/9 साईज की और 20-25 लाख के भीतर आबादी वाली गाजा पट्टी में ! इजराइल ने बंदरगाह से लेकर एअरपोर्ट तक नष्ट कर दिए ! और मिलिट्री का सवाल ही नहीं पैदा होता है ! अपने यहां जैसे होमगार्ड होते हैं ! वैसे ही कुछ गार्ड को मैंने देखा था ! और सब कुछ तो इजराइल के भरोसे पानी, बिजली, संचार के साधनों से लेकर सिवेज सिस्टम सब कुछ इजराइल की मेहरबानी पर चल रहे ! गाजा पट्टी के व्यवहारों पर, इजराइल का कब्जा है ! इस कारण मुझे तो वह संसद और तथाकथित गाजा पट्टी की आज़ादी एकदम नकली लगी थी ! और हमास की सरकार गाजा पट्टी पर राज करने का राज भी इजराइल है !
हमें गाजा की संसद को संबोधित करने का मौका मिला है ! और हमने कहा "कि जबतक फिलिस्तीन की मांग धर्म से उपर उठकर, वियतनाम के जैसे, मानवीय आधार पर नही होती ! तब तक फिलिस्तीन को संपूर्ण विश्व के लोगों का सपोर्ट नही मिल सकता ! इसलिए मेरी सलाह है ! कि फिलिस्तीन को सिर्फ इस्लाम धर्म के लोगो का सपोर्ट देखते हुए अन्य लोगों को लगता है, कि यह तो मुसलमानों का मामला है ! हमे क्या करना है ? इसलिए फिलिस्तीन के मुक्ति के लिए व्यापक स्तर पर कोशिश करते हुए इसे लडना चाहिए ! और मै भारत फिलिस्तीन सॉलिडॅरिटी फोरम के अध्यक्ष के नाते आप लोगों को आश्वस्त करते हुए घोषणा करता हूँ कि फिलिस्तीन की लड़ाई अपने अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई है और इसे मानवीय आधार पर विश्व के सभी सभ्य समाज के लोगों को समर्थन देना चाहिए !" मुझे खुशी है, कि तत्कालीन प्रधानमंत्री महमूद अब्बास ने जवाब दिया कि " हम आपकी बात से शतप्रतिशत सहमत हैं ! और हमारे साथ गाजा पट्टी तथा वेस्ट बैंक मे रहने वाले ख्रीस्चन तथा कुछ यहूदी लोग भी शामिल है ! लेकिन आंतराष्ट्रीय मिडिया, पश्चिमी देशों के कब्जे में होने की वजह से ! फिलिस्तीन की लड़ाई के बारे में इस्लाम धर्म का मामला है ! ऐसा प्रचार - प्रसार करते रहता हैं ! आप अभी कुछ दिनो से गाजा पट्टी में रह रहे हो ! आपको क्या यहाँ पर सिर्फ अरब मुस्लिम समुदाय के लोग ही दिखाई दे रहे हैं ? "
और गाजा पट्टी के एक तरफ कॅस्पियन समुद्र है ! और दुसरी तरफसे इजराइल ने 25 - 30 फिट उंची कांक्रीट की दिवारों से गाजा पट्टी को घेर कर रखा है ! और एक छोटे से भाग जो इजिप्त के सिनाई रेगिस्तान से सटा हुआ है ! जिसे रफा बॉर्डर बोला जाता है ! वह विश्व भर में आने-जाने का रास्ता है ! इजिप्त अन्वर सादात के समय से ही इजराइल के साथ शांति वार्ता करने की वजह से इजराइल के इशारे पर नाचता है ! और यह नजारा हम लोग खुद अपनी आंखों से देखकर लिख रहे हैं ! तो 7 अक्तुबर को इतना बड़ा असलहा हमास के पास कैसे पहुँचा यह मेरे लिए पहेली है !
1917 प्रथम विश्वयुद्ध में अॉटोमन एम्पायर की हार के बाद फिलिस्तीन पर ब्रिटेन कब्जा कर लेता है ! इस समय यहां ज्यादा आबादी अरब मुस्लिमों की होती है, और यहुदी अल्पसंख्यक होते हैं !1920 - 40 के दौरान युरोपीय देशों में यहूदियों के खिलाफ भावनाओं को पैदा करने का अभियान हिटलर के द्वारा, पैदा किया जाता है ! तो ब्रिटेन को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ! फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए एक अलग देश बनाने का काम सौंपा जाता है ! द्वितीय विश्वयुद्ध में हिटलर की फौज लाखो यहूदियों का नरसंहार करती है ! इस कारण विश्व की बहुत बड़ी आबादी के लोगों की यहुदीओ के प्रति सहानुभूति रही है और इसी परिस्थितियों का फायदा उठाकर झिओनिस्ट लॉबी ने अलाइड फोर्सेज के देशों के माध्यम से अपने अलग देश को जमीनी हकीकत में तब्दील कर दिया है ! और आज पचहत्तर सालों से लगातार अशांति और युद्ध की संभावना बनी हुई है ! जबतक फिलिस्तीन की समस्या का समाधान नहीं होता है तबतक ऐसा ही चलते रहेगा ! क्योंकि 1948 के बाद समय समय पर हुए हमले की वजह से लाखों की संख्या में फिलिस्तीनीयो को पलायन करते हुए पडोसी देशों में पनाह लेने के लिए इजराइल ने मजबूर कर दिया है और हमें बैरुत, दमास्कस के फिलिस्तीनी निर्वासित लोगों की कॉलनीयो में जाने का मौका मिला है ! बहुत ही बुरी स्थिति में वह लोगों को रहते हुए देखकर मुझे उस रात को निंद नही आई और रात को सोने के पहले खाना भी खाने का मन नहीं हुआ ! और रातभर मनमे सोचते रहा कि विश्व के किसी भी कौम को इस तरह अपने जन्मस्थान से विस्थापन होने की नौबत नहीं आनी चाहिए फिर वह हमारे अपने देश के कश्मीरी पंडित हो या पिछले छ महीनों से मणिपुर के मैती और कुकी समुदाय के लोग हो ! असली सवाल राष्ट्र - राज्य का पचडा है ! जिसकी विश्व कवि रविंद्रनाथ ठाकुर ने बहुत पहले ही आलोचना की है ! और मैंने भी !
3 जुलाई 2023 मतलब इसी साल के, सौ दिनों पहले, इजराइल के मिलिट्री के द्वारा ! वेस्ट बैंक स्थित, जेनिन के फिलिस्तीनी शरणार्थियों के शिविर, जिसमें 1948 के युध्द से, विस्थापित फिलिस्तीनी लोगों को, जो 18000 के उपर जनसंख्या में है ! ("Operation Home and Garden ") जो इस साल का इजराइल की करतूतों का ताजा मामला है ! और इस तरह से मुल निवासी फिलिस्तीनीयोको जिसमें बड़ी संख्या में अरब मुस्लिम और ख्रीस्चन धर्म के लोग भी हैं ! लगभग संपूर्ण वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में यही हाल है !
वैसे भी यहूदी पैदाइशी यरूशलम को अपना घर मानते हैं ! इनका दावा है कि, ये जमीन भगवान ने, अब्राहम और उनके वंशजों को सौपी थी ! ऐसा मानकर चलते हैं ! और दुसरी बात वह इश्वर के एकमात्र चुनी हुई कौम है ! ( Chosen people ) इसी मानसिकता के लोग ज्यादा तर झिओनिस्ट होते हैं ! और हिटलर भी इसी मानसिकता के वजह से यहुदीओ के खिलाफ रहा है ! और भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के, द्वितीय संघ प्रमुख, सबसे लंबे समय तक रहे हुए ! ( 1940-73, 33 साल ! ) श्री. माधव सदाशिवराव गोलवलकर ने भी, अपने किताबों में अन्य धर्मों के लोगों को कमतर कहते हुए ! उन्हें बहुसंख्यक समुदाय की सदाशयता के आधार पर ही, निर्भर रहना चाहिए ! यह तर्क दिया है !
और इजराइल के वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेथ्यानू, उन सभी सांप्रदायिक 'झिओनिस्ट' के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहा है ! यह हमला उसके लिए राजनीतिक संजीवनी का काम करेगा ! क्योंकि पिछले कई दिनों से, इजराइल की जनता, बेंजामिन नेथ्यानू के भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर चल रहे मामलों की वजह से ! इजराइल की न्यायिकव्यवस्था पर नकेल कसने के निर्णय लेने की वजह से ! इजराइल में जबरदस्त विरोध का आंदोलन चल रहा है ! और वैसे भी बेंजामिन नेथ्यानू अल्पमत में है ! और बड़ी मुश्किल से वह प्रधानमंत्री के पद पर टिका हुआ है ! और इस हमले के बाद इजराइल के विरोधियों ने कहा कि हम बेंजामिन नेथ्यानू के साथ है ! मतलब इस हमले के पीछे कौन हो सकता है ? यह शक - शुबहा निर्माण होता है ! इसलिए भारत की वर्तमान सरकार ने भले ही इस घटना में, हम इजराइल के साथ है ! और हमास की भर्त्सना करते हुए, सरकारी मिडिया अपनी ट्रायल में तथाकथित रक्षाविशेषज्ञको लेकर, गाजा पट्टी के अस्तित्व को खत्म करने से लेकर फिलिस्तीन को अरबों से मुक्त कराने की वकालत करते हुए, देखकर ! उनकी विशेषज्ञों के होने पर सवालिया निशान लगाने के लिए, मजबूर कर दिया है !
डॉ. सुरेश खैरनार
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