मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

अडानी में पीएम मोदी जी की आत्मा, सरकार में प्रधानमंत्री नंबर टू, नंबर वन- राहुल गांधी

अडानी में पीएम मोदी जी की आत्मा, सरकार में प्रधानमंत्री नंबर टू, नंबर वन- राहुल गांधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर गौतम अडानी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया है. उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पीएम मोदी की आत्मा अडानी में बसती है. साथ ही उन्होंने एप्पल अलर्ट को लेकर भी सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, “हमने अडानी के मुद्दे पर सरकार को इस तरह के घेरा है कि सरकार अब जासूसी करने पर उतर आई है. सरकार में अडानी नंबर वन पर और पीएम मोदी नंबर दो पर हैं. अमित शाह तीसरे नंबर पर आते हैं. देश की सत्ता अडानी के हाथों में है.” कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा, "आप चाहे कितनी ही जासूसी क्यों न करवा लें हम पीछे हटने वाले नहीं है. आपको फोन चाहिए तो मेरा फोन लेकर जाइए, करिए जासूसी." राहुल गांधी ने दिखाई ई-मेल की कॉपी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, कांग्रेस सांसद राहुल गाधी ने कई विपक्षी नेताओं को उनके फोन निर्माता से मिले चेतावनी ई-मेल की एक कॉपी दिखाई, जिसमें कहा गया था कि "राज्य प्रायोजित हमलावर उनके फोन से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं." उन्होंने कहा, "तोते को अब हमने ऐसा पकड़ा है कि वह बच के नहीं निकल सकता है. देखिए पूरे अपोजिशन को एप्पल का नोटिस आया है. यह तोते का काम है. हम लड़ने वाले लोग हैं. लड़ेंगे. चाहे जितनी टैपिंग करवा लो, चाहिए तो मेरा फोन ही ले जाओ." 'सिर्फ सरकार बदलने से नहीं हटेंगे अडानी' इस दौरान पत्रकारों ने सवाल भी किए और पूछा कि आप कह रहे हैं कि ये मोदी सरकार नहीं अडानी सरकार है, ये सरकार कैसे बदलेगी? इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा, "आईडिया है मेरे पास. सिर्फ सरकार बदलने से अडानी नहीं हट जाएंगे. समय आने पर बताऊंगा. इसकी दवाई देनी पड़ेगी." वहीं, पूंजीवाद पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं आइडिया ऑफ इंडिया को बचा रहा हूं. यह गहरी लड़ाई है. मैं सच बोलने का आदी हूं. हम एकाधिकार (मोनोपॉली) के शिकार होते जा रहे हैं. यह गुलामी की तरफ ले जाएगा. इससे बचना है." कास्ट सेंसस को लेकर स्पष्ट नजरिया पेश करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “मैं मोनोपॉली के खिलाफ हूं. अडानी अब ईडी/सीबीआई पर भी नियंत्रण कर रहे हैं. मोनोपॉली का ही दूसरा उदाहरण है कि पिछड़े, दलित, आदिवासी भी अपना हक हासिल नहीं कर पा रहे हैं.”

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