गुरुवार, 22 अगस्त 2024

सरकार के लिए शर्मनाक - धर्म परिवर्तन के मामले में बरी पुलिस के खिलाफ कार्रवाई के आदेश

जबरन धर्म परिवर्तन मामले में अदालत ने 2 आरोपियों को किया बरी, शिकायतकर्ता और पुलिसवालों के खिलाफ ऐक्शन का आदेश बरेली कोर्ट ने धर्म परिवर्तन मामले में दो लोगों को बरी कर दिया है। इस मामले में पुलिस और शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं। घर में केवल बाइबिल रखने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ धर्म परिवर्तन से संबंधित धाराओं में केस दर्ज हुआ था। बरेली: उत्तर प्रदेश की बरेली कोर्ट ने धर्म परिवर्तन विरोधी कानून के तहत घर में सिर्फ बाइबिल रखने के आरोप में दो लोगों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही शिकायतकर्ता और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया है। अदालत ने आरोप पत्र दाखिल किए जाने को आधारहीन और कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग माना। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने मामले को समाज के लिए चिंताजनक बताया और चेतावनी दी कि व्यक्ति निजी हितों के लिए कानूनी व्यवस्था का दुरुपयोग कर सकते हैं। 41 वर्षीय रेडियोलॉजी तकनीशियन अभिषेक गुप्ता और 38 वर्षीय कुंदन लाल को 29 मई 2022 को बिथरी चैनपुर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत बिचपुरी गांव में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने अभिषेक गुप्ता के घर से कथित तौर पर बाइबिल बरामद की थी। दक्षिणपंथी समूह के सदस्य हिमांशु पटेल ने पुलिस को सूचना दी कि अभिषेक गुप्ता आठ लोगों के समूह के साथ धर्म परिवर्तन कार्यक्रम आयोजित कर रहे थे। पुलिस ने अभिषेक को एक सभा में बाइबिल की आयतें पढ़ते हुए पाया। बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने 19 दिसंबर 2022 को आरोप पत्र दाखिल किया और जुलाई 2023 में मामला अदालत में लाया गया। जज ने सुनाया फैसला जज ने अपने फैसले में कहा कि व्यक्तिगत हितों के लिए कोई भी व्यक्ति मामला दर्ज कर सकता है और दूसरों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर सकता है। जांच की आड़ में पुलिस किसी को 100 रुपये का नोट रखने के आरोप में भी गिरफ्तार कर सकती है। अभिषेक गुप्ता ने न केवल अपनी नौकरी खो दी, बल्कि उसे गंभीर आर्थिक और सामाजिक कठिनाई का भी सामना करना पड़ा। कुंदन लाल का मामले में कोई संबंध नहीं था, उसे भी अभिषेक के साथ गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने दबाव में आकर पूरी तरह से झूठे और निराधार आरोप को वैध बनाने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस और अदालत दोनों का कीमती समय बर्बाद हुआ। पुलिस पर लगे हैं गंभीर आरोप अभिषेक गुप्ता उस घटना के बाद से गोरखपुर चले गए हैं। उन्होंने इस घटना से हुई निराशा और परेशानी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे झूठे आरोपों ने उनके परिवार की जिंदगी को उलट-पुलट कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं और मेरी पत्नी ईसाई हैं और हम रविवार को प्रार्थना करते हैं। मुझे नहीं पता कि लोगों को क्यों लगा कि हम धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रहे हैं। अचानक हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। मुझे जेल भेज दिया गया और अस्पताल ने मुझे अपनी नौकरी से इस्तीफा देने को कहा। मेरी पत्नी, जो उसी अस्पताल में काम करती थी, को भी नौकरी छोड़नी पड़ी। अभिषेक गुप्ता ने कहा कि हमारी जिंदगी उलट गई। हमें अपने बच्चों का स्कूल बदलना पड़ा और गोरखपुर में अपने गृहनगर वापस जाना पड़ा। हमने इस मामले में अपनी सारी बचत खर्च कर दी। अब हम अदालत के निर्देशानुसार मुआवजा मांगेंगे। बचाव पक्ष के वकील इमरान खान ने कहा कि हम 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगेंगे।

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