सोमवार, 23 सितंबर 2024

श्रीलंका में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन - अंध भक्त्तों को लाल सलाम

आज हम बात करते हैं श्रीलंका में कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता में वापसी को लेकर क्योंकि पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव में बहुमत हासिल किया है जिसके नेता अनुरा कुमारा दिशानायके राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं इस पार्टी की स्थापना 1965 में किया गया था कुछ दिन तक यह पार्टी भूमिगत रहकर भी काम की है जिसका चुनाव चिन्ह घंटी है और पार्टी का झंडा हसवा हथोड़ा है इस पार्टी का नाम श्रीलंका जनता विमुक्ति पेरामुना है जो श्रीलंका में मार्क्सवादी लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी है जिसने राष्ट्रपति के चुनाव में अपने एजेंडा में यह शामिल किया था कि हम सत्ता में आएंगे तो श्रीलंका में अडानी को जो पवन ऊर्जा का जो ठेका मिला है उसको रद्द कर देंगे जब कि यह ठेका वहां की संसदीय कमेटी ने मोदी के दबाव में दिया है क्योंकि इस परियोजना से श्रीलंका को पर्यावरण के लिए खतरा बताया गया है इसको लेकर वहां के सुप्रीम कोर्ट में भी एक रिट दाखिल किया गया है वैसे श्रीलंका में चीन ने बहुत बड़ा पोर्ट बना रखा है इसका विरोध नहीं हो रहा है इसका मतलब यह हुआ कि श्रीलंका भी चीन के पाले में चला गया है वैसे अडानी के खिलाफ कीनिया में भी धरना प्रदर्शन हो रहा है इधर हाल के चुनाव में फ्रांस में भी कम्युनिस्ट पार्टी बड़ा दल के रूप में उभरा है मुझे लगता है कि पूरे दुनिया में दक्षिण पंथ का प्रभाव कम हो रहा है और वामपंथ का प्रभाव बढ़ रहा है प्रेम

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सही विश्लेषण।

बेनामी ने कहा…

Very good government change hoti rehni chahiye

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